शेखावाटी ने रचा नया इतिहास: 2700 सौ किलो का रोट, 23 घंटे में क्रेन की मदद से पकाया, बालाजी महाराज को लगा महाभोग 

2700 सौ किलो का रोट, 23 घंटे में क्रेन की मदद से पकाया, बालाजी महाराज को लगा महाभोग 
Devipura Balaji Sikar
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सीकर के इतिहास में पहली बार ऐसा कुछ हुआ है जो किसी अचंभे से कम नहीं है। 

शनिवार यानि आज सीकर शहर के सिद्ध पीठ बालाजी मंदिर में 27 सौ किलो के रोट का महाभोग बालाजी को लगाया गया है।

देवीपुरा सिद्ध पीठ बालाजी मंदिर में जहां 24 घंटे अखंड धार्मिक कार्यक्रम आयोजन हो रहे हैं और भगवान को महाभोग लगाया गया है। 

सीकर | राजस्थान का सीकर जिला एक बार फिर से चर्चा में बना हुआ है। 

चर्चा भी ऐसी जिसे सुन हर कोई हैरान हो जाए। 

दरअसल, सीकर के इतिहास में पहली बार ऐसा कुछ हुआ है जो किसी अचंभे से कम नहीं है। 

शनिवार यानि आज सीकर शहर के सिद्ध पीठ बालाजी मंदिर में 27 सौ किलो के रोट का महाभोग बालाजी को लगाया गया है।

देवीपुरा सिद्ध पीठ बालाजी मंदिर में जहां 24 घंटे अखंड धार्मिक कार्यक्रम आयोजन हो रहे हैं और भगवान को महाभोग लगाया गया है। 

ऐसे में मंदिर परिसर में सुबह से ही भक्तों का बड़ी संख्या में हुजूम उमड़ रहा है।

दावा- विश्व का सबसे बड़ा रोट, गिनीज बुक की टीम पहुंची सीकर

बालाजी ट्रस्ट मंदिर के महंत ओम प्रकाश शर्मा का दावा है कि यह विश्व का सबसे बड़ा रोट है। 

इससे पहले सूरत में 127 किलो का रोट बनाया गया था। गिनीज बुक में सूरत का यह रोट का नाम दर्ज है। 

अब गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में सीकर के बालाजी मंदिर का नाम दर्ज कराने के लिए मेल किया गया था। 

जिसके बाद गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की टीम दिल्ली से सीकर आई और जानकारी एकत्रित कर ले गई है।

25 हजार भक्तों को मिलेगा महाभोग का प्रसाद

बालाजी को लगाए गए महाभोग से करीब 25 हजार भक्तों को प्रसाद वितरण किया जाएगा।

यह शेखावटी का ऐतिहासिक व धार्मिक आयोजन है। 

बालाजी के महाभोग के समय सीकर शहर ही नहीं, अपितु देश और प्रदेश की खुशहाली की भी मनोकामना की गई। 

इस अवसर पर बालाजी ट्रस्ट मंदिर के महंत ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि हमारा मुख्य मकसद है कि शहर, देश और प्रदेश में हमेशा खुशहाली रहे।

देश विकास के पथ पर आगे बढ़े। इस महा भोग का प्रसाद करीब 25 हजार श्रद्धालुओं को वितरित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में 2 दिनों से लगातार धार्मिक कार्यक्रम चल रहे हैं। 

ये तो बालाजी महाराज की ही कृपा रही है जिसकी वजह से इतना बडा आयोजन हो सका। 

बालाजी महाराज की कृपा से सभी लोग खुश रहेंगे और हमेशा देश में खुशहाली का माहौल रहेगा।

हमने बालाजी महाराज से प्रार्थना की है कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में खुशियां मिले।

महाभोग की सिकाई, भिलाई एवं पूरी देखरेख का कार्यक्रम जोधपुर के संत श्री रामदास जी महाराज पूनासर बापजी के सानिध्य में हुआ है। 

इस महा आयोजन में सभी श्रद्धालुओं से अपील की गई थी कि वह इस आयोजन में आकर बालाजी महाराज का प्रसाद ग्रहण करें।

कैसे किया गया तैयार ?

सूरत और फलौदी के पूरनासर से बुलाए गए 20 कारीगरों ने इस विशाल रोट को तैयार किया है। 

23 घंटे में क्रेन की मदद से रोट को पकाया गयाहै।  रोट की गोलाई 11 फीट है और मोटाई 2 फीट है।

इसे बनाने में 12 लाख रुपए का खर्चा आया है। रोट को 23 घंटे में क्रेन की मदद से पकाया गया है। 

इसे शुक्रवार सुबह 5 बजे बनना शुरू किया था जो शनिवार रात तीन बजे बनकर तैयार हुआ। 

क्या-क्या सामग्री हुई इस्तेमाल ?

इस 2700 किलो के रोट को बनाने में 1125 किलो आटा, सवा सौ किलो सूजी, 400 लीटर दूध, 400 लीटर गाय का देसी घी और 1100 किलो ड्राई फ्रूट्स से इस रोट तैयार किया गया। 

ऐसे तैयार किया गया विशेष रोट

इसे तैयार करने के लिए मंदिर परिसर में विशालकाय भट्‌टी बनाई गई। भट्टी बनाने में 10 दिन का समय लगा। 

क्रेन की मदद से रोट को जलती हुई भट्टी में सेकने के लिए रखा गया। 

रोट को भट्टी पर सेकने के लिए स्पेशल तवा व बेलन भी बनवाया गया। तवे का वजन 300 किलो और बेलन का वजन 250 किलो है। 

भारी मात्रा में ड्राई फ्रूट्स को मिक्स करने के लिए एक मिक्सर भी बनाया गया। 

रोट को थ्रेसर मशीन में पीसा गया और महाभोग तैयार किया गया।

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