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राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी योजना - जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत
जयपुर | कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक योजना (ईआरसीपी के साथ एकीकृत) राजस्थान के लिए बड़ा उपहार है। इससे पूर्वी राजस्थान में निवास करने वाली प्रदेश की 40 प्रतिशत आबादी को भरपूर पानी मिलेगा तथा 2.80 लाख हैक्टेयर भूमि सिंचित होगी। योजना के मूर्त रूप लेने पर प्रदेश के किसान खुशहाल होंगे और उद्योगों का विकास होगा।
कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री मंगलवार को विधानसभा में इस परियोजना पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए वर्ष 1999 से ही निरन्तर प्रयास हुए, लेकिन मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा इसे धरातल पर उतारने में भागीरथ की भूमिका निभा रहे हैं।
मीणा ने कहा कि वर्ष 2019 एवं 2020 में पूर्ववर्ती राज्य सरकार द्वारा मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिखा गया था, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने 75 प्रतिशत निर्भरता का प्रोजेक्ट बनाने की बात कहते हुए इस पर सहमति देने से मना कर दिया था।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1975 में केन्द्र सरकार द्वारा जारी परिपत्र, केन्द्रीय जल आयोग की गाइडलाइन तथा योजना आयोग के मापदण्डों के अनुसार किसी भी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने के लिए 75 प्रतिशत निर्भरता की शर्त पूरी होना जरूरी है।
मीणा ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 के बाद से किसी भी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं किया गया है। लेकिन एनपीपी (राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना) का प्रोजेक्ट होने के कारण अब केन्द्र सरकार संशोधित पीकेसी लिंक योजना (ईआरसीपी के साथ एकीकृत) के लिए 90 प्रतिशत अंशदान देगी, जिससे राज्य सरकार को कम आर्थिक भार वहन करना पड़ेगा। योजना के मूर्त रूप लेने से राज्य को 3378 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर्स) पानी उपलब्ध होगा। इसमें पेयजल, सिंचाई, उद्योग तथा बांधों के भराव आदि के लिए 2930 एमसीएम तथा धौलपुर लिफ्ट परियोजना के लिए 448 एमसीएम पानी का प्रावधान किया जाएगा।
इससे पूर्व जल संसाधन मंत्री श्री सुरेश सिंह रावत ने चर्चा की शुरूआत में वक्तव्य देते हुए कहा कि यह परियोजना राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी। यह किसान परिवारों को और अधिक सशक्त तथा समृद्ध बनाने वाली है, जिससे किसानों का जीवन बदलेगा।
साथ ही, पर्यटन व उद्योग जगत के लिए नई राहें खुलेंगी और भूमि का जल स्तर भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि 28 जनवरी, 2024 को केन्द्र सरकार, राजस्थान सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार के बीच हुए एमओयू से 13 जिलों को पीने का पानी, 2.80 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी तथा उद्योगों के लिए पानी उपलब्ध होगा। वहीं, 26 बाधों में जल भरे जाने के अतिरिक्त पानी की उपलब्धता के अऩुसार रास्ते में पड़ने वाले अन्य पूर्व निर्मित बांधों को भी भरा जाएगा। योजना से गंभीरी, बाणगंगा, रूपारेल एवं साबी नदियां भी रिचार्ज होंगी।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि संशोधित पी.के.सी. लिंक योजना के अंतर्गत ईआरसीपी की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को एकीकृत करने का कार्य राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण द्वारा किया जा रहा है, जिसमें दोनों राज्यों में गत लगभग 30 वर्षों में हुई वर्षा के आंकड़ों के आधार पर केन्द्रीय जल आयोग द्वारा उपलब्ध पानी की गणना की जाएगी।
रावत ने कहा कि प्रदेश में जल संसाधन की उपलब्धता काफी कम है। राज्य में देश के कुल सतही जल का मात्र 1.16 प्रतिशत तथा कुल भूजल का महज 1.72 प्रतिशत ही पाया जाता है। पूर्वी राजस्थान के लिए बेहद महत्वपूर्ण इस परियोजना को धरातल पर लागू करने के लिए पूर्ववर्ती सरकार द्वारा कोई सार्थक प्रयास और प्रगति नहीं की गई।
अब इस परियोजना में आधुनिक सिंचाई पद्धति को अपनाने से एक ओर जहां पानी का समुचित उपयोग सुनिश्चित होगा वहीं दूसरी ओर क्षेत्र के सभी किसानों को समुचित पानी उपलब्ध होने से उनकी वार्षिक आय में आशातीत वृद्धि भी होगी।