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प्रस्ताव दिया गया कि अगर पार्टी दिल्ली और पंजाब में चुनाव लड़ने से परहेज करती है, तो आप मध्य प्रदेश और राजस्थान में आगामी चुनावों से दूर रहेगी
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों से समर्थन हासिल करने के लिए देशव्यापी दौरे की शुरुआत की।
जयपुर | नई दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस पार्टी के बीच तीखी नोकझोंक हुई है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कांग्रेस को एक दिलचस्प 'ऑफर' पेश किया।
जिसमें प्रस्ताव दिया गया कि अगर पार्टी दिल्ली और पंजाब में चुनाव लड़ने से परहेज करती है, तो आप मध्य प्रदेश और राजस्थान में आगामी चुनावों से दूर रहेगी। यह अप्रत्याशित बयान दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस से समर्थन की उम्मीद में बैठी आम आदमी पार्टी के लिए क्या रंग दिखाएगा। यह तो वक्त ही बताएगा।
दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस:
दिल्ली में 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के कमजोर प्रदर्शन पर सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कांग्रेस के लिए अपनी रणनीति का पुनर्मूल्यांकन करने का समय आ गया है। भारद्वाज ने सुझाव दिया कि अगर कांग्रेस दिल्ली और पंजाब में चुनाव लड़ने से परहेज करती है, तो आम आदमी पार्टी मध्य प्रदेश और राजस्थान में इसका पालन करेगी।
"कॉपी-कैट—कांग्रेस":
भारद्वाज ने कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते हुए उसे "कॉपी-कैट-कांग्रेस" करार दिया। कांग्रेस पर मौलिकता की कमी का आरोप लगाते हुए उन्होंने दावा किया कि पार्टी ने आप के घोषणापत्र को चुराया है।
भारद्वाज ने तर्क दिया कि कभी देश की सबसे पुरानी पार्टी रही कांग्रेस को अब नए विचार उत्पन्न करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। वह वह लोगों की आकांक्षाओं से जुड़ने में विफल रही है।
उन्होंने अन्य राज्यों में मुफ्त बिजली और महिलाओं के लिए मासिक भत्ते जैसे आप के वादों को दोहराने वाली कांग्रेस के उदाहरणों का हवाला भी दिया कि कांग्रेस कट कॉपी पेस्ट कर रही है।
कांग्रेस की दुविधा
आप नेता ने प्रशासनिक सेवा अध्यादेश पर आप के रुख के समर्थन के लिए कांग्रेस की अनिर्णय की स्थिति के लिए भी कटाक्ष किया। भारद्वाज ने टिप्पणी की कि गोवा में भाजपा के हेरफेर का उदाहरण देते हुए कांग्रेस पार्टी अक्सर महत्वपूर्ण फैसलों में देरी करती है।
आप का राष्ट्रव्यापी दौरा
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों से समर्थन हासिल करने के लिए देशव्यापी दौरे की शुरुआत की।
केजरीवाल ने ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, हेमंत सोरेन, के चंद्रशेखर राव, एमके स्टालिन, शरद पवार, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव सहित प्रमुख नेताओं के साथ चर्चा की। यह ठोस प्रयास AAP के समर्थन को रैली करने और केंद्र सरकार द्वारा एक अतिरेक के रूप में देखे जाने के खिलाफ गठबंधन बनाने के प्रयास को दर्शाता है।
अध्यादेश विवाद
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने के केंद्र सरकार के निर्णय ने विवाद को जन्म दिया। इस कदम का उद्देश्य केंद्र बनाम दिल्ली मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए स्थानांतरण पोस्टिंग, सतर्कता और अन्य प्रासंगिक मामलों के संबंध में नियम स्थापित करना था। इस विकास ने AAP के विरोध को जन्म दिया और अध्यादेश के खिलाफ समर्थन के लिए उनके राष्ट्रव्यापी अभियान का नेतृत्व किया।