PM की ड्राइवर से दोस्ती : PM के लिए एयरपोर्ट पर खड़े थे सब VVIP लेकिन PM ने पूछा कि वो ड्राइवर कहाँ है, फिर सब उस ड्राइवर को ढूंढने लगे

PM के लिए एयरपोर्ट पर खड़े थे सब VVIP लेकिन PM ने पूछा कि वो ड्राइवर कहाँ है, फिर सब उस ड्राइवर को ढूंढने लगे
chandrshekhar and sharad panwar
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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि वे किसी भी तरह की औपचारिकताओं में भरोसा नहीं करते थे और जिन लोगों से उनकी गहरी मित्रता होती थी उसे वे पूरी सिद्दत से निभाते भी थे. 

NCP के सुप्रीमो शरद यादव उनके सबसे गहरे मित्रों में से एक थे. यहाँ तक की जब वे महाराष्ट्र जाते तो वे शरद पंवार के बंगले में ही ठहरते थे.शरद पंवार के घर कोई भी पारिवारिक कार्यक्रम हो चंद्रशेखर उसमे जरूर शिरकत करते थे. 

चंद्रशेखर से अपनी मित्रता के बारे में शरद पंवार उनकी जीवनी ' अपनी शर्तो पर ' में खुलकर लिखते है. शरद पंवार की किताब इस बात बात का खुलासा भी करती है कि बाबरी मस्जिद और राम-जन्मभूमि के मामले में को सुलझाने के लिए चन्द्रषेखर के सबसे भरोसेमंद साथियों में शरद पंवार और भैंरों सिंह शेखावत ही थे. 

एक ऐसे ही वाकये का जिक्र शरद पंवार अपनी किताब में करते है,जब चंद्रशेखर बतौर प्रधानमंत्री मुंबई गए और उनके स्वागत के लिए महाराष्ट्र की सियासत के तमाम VVIP एयरपोर्ट पर PM का स्वागत करने के लिए खड़े थे. तमाम लक्जरी गाड़ियां PM को ले जाने के लिए वहां मौजूद थी लेकिन चंद्रशेखर ने वहां एक ड्राइवर का ऐसा जिक्र किया कि न केवल सब हैरान हो गए बल्कि उस ड्राइवर को ढूंढने लगे जिसका जिक्र प्रधानमंत्री ने किया. 

दरअसल शरद पंवार का एक ड्राइवर था जिसका नाम गामा था. गामा नाम का यह ड्राइवर शरद पंवार के साथ 1967 से ही काम कर रहा था. शरद पंवार गामा के बारे में लिखते है कि वह उनके एक ड्राइवर से कहीं ज्यादा था. चूँकि गामा लम्बे समय से शरद पँवार के साथ काम कर रहा था इसलिए चंद्रशेखर उसे अच्छी तरह से जानते थे. 

प्रधानमंत्री बनने के बाद जब चंद्रशेखर पहली बार मुंबई गए तो वहां पूरा प्रोटोकॉल उनके लिए मौजूद था लेकिन जब PM एयरपोर्ट से बाहर आए और कार के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा कि गामा कहां है ? उसे यहां बुलाओ.चंद्रशेखर के इतना कहने के बाद वहां खलबली मच गई और वहां मौजूद किसी भी व्यक्ति ने इससे पहले गामा का नाम नहीं सुना था.

 

तभी एयरपोर्ट के बाहर सब गामा को ढूंढने लगे.अचानक किसी ने गामा को पहचानकर प्रधानमंत्री के सामने भेज दिया. गामा को देखकर प्रधानमंत्रीं ने पूछा कैसे हो गामा ? काफी दिनों बाद देखा, अच्छा लगा. यहां आओ. 

प्रधानमंत्री का यह व्यवहार देखकर गामा की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. तभी फोटोग्राफर ने चंद्रशेखर के साथ गामा की एक फोटो अपने कैमरे में उतार ली. 

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