Rajasthan: अजमेर में दिखा महाराष्ट्र का राज्य पक्षी हरियल: पर्यावरण प्रेमियों में उत्साह
अजमेर (Ajmer) के पहाड़गंज (Paharganj) में बड़-पीपल के पेड़ों पर पीले पैर वाले हरे कबूतर (Yellow-footed Green Pigeon) यानी हरियल पक्षी (Harial Pakshi) देखे गए हैं। यह पक्षी पारिवारिक एकता का संदेश देता है और महाराष्ट्र (Maharashtra) का राज्य पक्षी (State Bird) है। इनका दिखना पर्यावरण प्रेमियों (Environmentalists) के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
अजमेर: अजमेर (Ajmer) के पहाड़गंज (Paharganj) में बड़-पीपल के पेड़ों पर पीले पैर वाले हरे कबूतर (Yellow-footed Green Pigeon) यानी हरियल पक्षी (Harial Pakshi) देखे गए हैं। यह पक्षी पारिवारिक एकता का संदेश देता है और महाराष्ट्र (Maharashtra) का राज्य पक्षी (State Bird) है। इनका दिखना पर्यावरण प्रेमियों (Environmentalists) के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
अजमेर के पहाड़गंज इलाके में पीपल के एक ऊंचे पेड़ पर पीले पैर वाले हरे रंग के कबूतर, जिन्हें हरियल पक्षी के नाम से जाना जाता है, दिखाई दिए हैं। इन दुर्लभ पक्षियों को देखकर पर्यावरण प्रेमी और पक्षी विशेषज्ञ काफी उत्साहित हैं। हरियल पक्षी अपनी अनूठी सुंदरता और व्यवहार के लिए जाने जाते हैं, और इनका दिखना स्थानीय जैव विविधता के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
अजमेर में हरियल पक्षियों का दिखना एक शुभ संकेत
हरियल पक्षी, जिसे वैज्ञानिक रूप से 'ट्रॉन कंबोडिया' के नाम से भी जाना जाता है, मुख्य रूप से भारत, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका के घने जंगलों में पाया जाता है। यह पक्षी पारिवारिक एकता और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। महाराष्ट्र में इसे राज्य पक्षी का दर्जा प्राप्त है, जहाँ इसके संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। राजस्थान के जंगलों में भी इनकी अच्छी खासी तादाद है।
यह पक्षी आमतौर पर जंगलों से बाहर तभी आते हैं जब बड़ (बरगद) और पीपल के पेड़ों में फल लगते हैं। लाल रंग के ये फल, जो फिग फैमिली से संबंधित हैं, हरियल के सबसे पसंदीदा भोजन होते हैं। इन फलों की उपलब्धता ही इन्हें शहरी या अर्ध-शहरी क्षेत्रों के पेड़ों तक खींच लाती है, जिससे पर्यावरण प्रेमियों को इन्हें करीब से देखने का अवसर मिलता है।
पर्यावरण के लिए हरियल का महत्व
बर्ड विशेषज्ञ डॉ. आबिद खान ने हरियल पक्षियों के बड़ी संख्या में दिखाई देने को पर्यावरण के लिए एक शुभ संकेत बताया है। उनके अनुसार, हरियल एक प्रवासी पक्षी है और आमतौर पर सर्दियों के मौसम में ही इनका प्रवास होता है। अन्य समय में इनकी संख्या काफी कम नजर आती है। महाराष्ट्र में इनकी घटती संख्या के कारण ही इसे राज्य पक्षी का दर्जा देकर संरक्षण प्रदान किया गया है।
डॉ. खान ने यह भी बताया कि बड़ी संख्या में हरियल का दिखना इस बात का प्रमाण है कि स्थानीय पर्यावरण अभी भी इन संवेदनशील पक्षियों के लिए अनुकूल है। यह दर्शाता है कि पेड़-पौधों और प्राकृतिक आवासों का संरक्षण कितना महत्वपूर्ण है, ताकि ऐसी दुर्लभ प्रजातियाँ हमारे आसपास बनी रहें।
हरियल की अनोखी जीवनशैली और आदतें
झुंड में रहने वाले शांत स्वभाव के पक्षी
डॉ. आबिद खान के अनुसार, हरियल सामान्य कबूतरों से काफी अलग होते हैं। ये हमेशा झुंड में रहना पसंद करते हैं और सामाजिक प्राणी होते हैं। जहाँ अन्य कबूतर दाना खाते हैं, वहीं हरियल पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर होते हैं। इनका मुख्य आहार केवल बरगद और पीपल के पेड़ों पर लगने वाले फल होते हैं। ये इन्हीं पेड़ों पर अपना आवास बनाते हैं और अपनी पत्तियों के बीच खुद को इस तरह छिपा लेते हैं कि इन्हें देखना काफी मुश्किल हो जाता है।
संवेदनशील और शिकार का खतरा
हरियल बहुत ही शांत और संवेदनशील पक्षी होते हैं। तेज आवाज से ये काफी डरते हैं और इन्हें हमेशा शांत जगह ही पसंद होती है। अपनी इसी संवेदनशीलता के कारण इन्हें ढूंढना भी काफी मुश्किल होता है। दक्षिण एशिया में ये पक्षी अपेक्षाकृत आसानी से दिखाई देते हैं, लेकिन इनकी सीधी प्रकृति इन्हें शिकारियों का आसान निशाना बना देती है। रैप्टर्स (शिकारी पक्षी) अक्सर हरियल को ही अपना शिकार बनाते हैं, क्योंकि ये अपनी चाल को भी ठीक से समझ नहीं पाते।
हमेशा समूह में उड़ते हैं हरियल
डॉ. आबिद खान ने बताया कि हरियल शुद्ध शाकाहारी पक्षी हैं और हमेशा समूह में उड़ान भरते हैं। सुबह के समय इन्हें अक्सर पेड़ों की सबसे ऊंची शाखाओं पर बैठे देखा जा सकता है। दूसरे कबूतरों की तरह हरियल या हरा कबूतर भी अपनी गर्दन को फुला लेता है, जो इनकी एक विशिष्ट पहचान है। इनका समूह में रहना इनकी सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण होता है।
आवास और भोजन की प्राथमिकता
हरियल पक्षी अपने बसेरे के लिए ऐसे पेड़ और स्थान चुनते हैं, जहाँ लंबे समय तक भोजन और पानी की व्यवस्था हो सके। डॉ. आबिद खान ने बताया कि इन्हें सरोवर या जल स्रोतों के पास वाले पीपल और बड़ के पेड़ों पर अधिक संख्या में देखा जा सकता है। ऐसे स्थान जहाँ लोगों द्वारा पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था की जाती है और आसपास घने वृक्ष होते हैं, वे हरियल के लिए आदर्श आवास होते हैं। यह दर्शाता है कि मानव और प्रकृति के सह-अस्तित्व से ही इन सुंदर जीवों का संरक्षण संभव है।