विज्ञापन चाहिए तो मेरी बात छापो: जयपुर सांसद ने कहा, अशोक गहलोत पत्रकारों को विज्ञापन के नाम पर धमकाते हैं

जयपुर शहर के सांसद रामचरण बोहरा ने शून्यकाल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री का ध्यानाकर्षण करते हुए कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अपनी सरकार की विफलताओं की खबर न छापने और सरकार की योजनाओं को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने के लिए मजबूर करते हैं।

जयपुर | राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पत्रकारों को विज्ञापन के नाम पर धमकाते हैं। यही नहीं भारत की प्रेस परिषद उनके खिलाफ प्रस्ताव लेकर निंदा भी कर चुकी है। यह कहते हुए जयपुर के सांसद रामचरण बोहरा ने सोमवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इस मामले में केन्द्र सरकार के  सूचना एवं प्रसारण मंत्री की ओर से कार्यवाही अपेक्षित है।

जयपुर शहर के सांसद रामचरण बोहरा ने शून्यकाल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री का ध्यानाकर्षण करते हुए कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अपनी सरकार की विफलताओं की खबर न छापने और सरकार की योजनाओं को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने के लिए मजबूर करते हैं।

यह लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को मजबूर करने की साजिश है। मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की दूसरी वर्षगांठ पर आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि अगर विज्ञापन लेना है तो  मेरी बात को छापो अगर विज्ञापन लेना है तो मैं कहूं वैसा छापो।

मुख्यमंत्री इसी तरह मीडिया पर दबाव बना रहे हैं। राजस्थान के सबसे मुख्य, सबसे पुराने दैनिक राष्ट्रदूत के प्रबंध निदेशक राकेश शर्मा ने वित्तीय को नुकसान पहुंचकर स्वतंत्रता पत्रकारिता को पूरी तरह खत्म करने के इस प्रयास के खिलाफ प्रयास प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया में शिकायत की।

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित की। बोहरा ने जांच समिति का व्यक्तव्य सदन में पढ़कर भी सुनाया और कार्यवाही की मांग की।