Rajasthan Education: आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में ऐतिहासिक बदलाव: पूरे जयपुर में आवेदन, सीटें तय
आरटीई प्रवेश प्रक्रिया (RTE Admission Process) में बड़ा बदलाव किया गया है। अब जयपुर (Jaipur) में एक ही नगर निगम (Municipal Corporation) होने से विद्यार्थी पूरे शहर के निजी स्कूलों में आवेदन कर सकेंगे। पहली बार आरटीई सीटें (RTE Seats) तय होंगी और प्रवेश प्रक्रिया जनवरी (January) में शुरू होगी।
जयपुर: आरटीई प्रवेश प्रक्रिया (RTE Admission Process) में बड़ा बदलाव किया गया है। अब जयपुर (Jaipur) में एक ही नगर निगम (Municipal Corporation) होने से विद्यार्थी पूरे शहर के निजी स्कूलों में आवेदन कर सकेंगे। पहली बार आरटीई सीटें (RTE Seats) तय होंगी और प्रवेश प्रक्रिया जनवरी (January) में शुरू होगी।
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के तहत निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश के नियमों में सरकार ने महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं। इन बदलावों से हजारों अभिभावकों और विद्यार्थियों को सीधा लाभ मिलेगा, खासकर जयपुर जैसे बड़े शहरों में।
जयपुर में अब एक नगर निगम: पूरे शहर में आवेदन की सुविधा
जयपुर में पहले दो नगर निगम (हेरिटेज और ग्रेटर) होने के कारण आरटीई प्रवेश में बाधाएं आती थीं। अभिभावक अपने निगम क्षेत्र से बाहर के स्कूलों में आवेदन नहीं कर पाते थे।
सरकार ने अब जयपुर में दो नगर निगम की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। अधिसूचना जारी होने के बाद, पूरे जयपुर में केवल एक ही नगर निगम कार्यरत रहेगा।
इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब अभिभावक जयपुर के किसी भी निजी स्कूल में आरटीई प्रवेश के लिए आवेदन कर सकेंगे। इससे आवेदन का दायरा बहुत बढ़ जाएगा।
हालांकि, प्रवेश में प्राथमिकता संबंधित वार्ड के विद्यार्थियों को ही मिलेगी। सीटें खाली रहने पर ही अन्य वार्ड के विद्यार्थियों को मौका दिया जाएगा।
यह सुविधा कोटा और जोधपुर जैसे अन्य शहरों के विद्यार्थियों को भी मिलेगी, जहां पहले इसी तरह की निगम-आधारित पाबंदियां थीं।
पहली बार आरटीई सीटें होंगी तय: प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता
आरटीई कानून लागू होने के 15 वर्षों में यह पहली बार होगा कि निजी स्कूलों में आरटीई प्रवेश के लिए सीटों की संख्या पहले से तय की जाएगी।
इसके लिए पिछले तीन वर्षों में हुए प्रवेशों का औसत आंकड़ा निकाला जाएगा। इसी औसत के आधार पर प्रत्येक स्कूल में आरटीई की सीटें निर्धारित की जाएंगी।
सीटें फिक्स होने का यह फायदा होगा कि सभी आरटीई प्रवेश एक साथ हो सकेंगे। अब तक, तीन शुल्क वाले बच्चों के प्रवेश होने पर ही एक आरटीई विद्यार्थी को प्रवेश मिलता था।
इस व्यवस्था के कारण आरटीई के प्रवेश अक्सर अटके रहते थे। अब शुल्क वाले बच्चों के प्रवेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा, जिससे प्रक्रिया तेज और सुगम होगी।
आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में अन्य महत्वपूर्ण बदलाव
जनवरी से शुरू होगी प्रवेश प्रक्रिया
पहली बार आरटीई प्रवेश प्रक्रिया जनवरी माह में प्रारंभ होगी। इससे विद्यार्थियों को नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत यानी 1 अप्रैल से ही निजी स्कूलों में पढ़ाई करने का अवसर मिलेगा।
दस्तावेजों में बदलाव नहीं
एक बार प्रवेश के लिए नंबर आने और रिपोर्टिंग करने के बाद दस्तावेजों में कोई बदलाव संभव नहीं होगा। इससे प्रक्रिया में स्थिरता आएगी।
फेल होने पर भी जारी रहेगी पढ़ाई
यदि आरटीई में पढ़ रहा कोई विद्यार्थी किसी कक्षा में फेल हो जाता है और वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहता है, तो सरकार उसे आरटीई से बाहर नहीं करेगी। स्कूल को उसकी पुनर्भरण राशि मिलती रहेगी।
ग्रीवांस पोर्टल और जुर्माने का प्रावधान
ग्रीवांस पोर्टल को और मजबूत बनाया जाएगा। प्रवेश न मिलने की शिकायत आने पर डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी) और सीबीईओ (मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) की जिम्मेदारी होगी कि वे प्रवेश सुनिश्चित करें।
प्रवेश न देने वाले निजी स्कूलों पर जुर्माने का प्रावधान भी प्रस्तावित है, जिससे नियमों का पालन सुनिश्चित हो सके।
आय सीमा में कोई बदलाव नहीं
आरटीई प्रवेश के लिए सालाना आय सीमा 2.50 लाख रुपये में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह सीमा पहले की तरह ही लागू रहेगी।
पहले की पाबंदियां और उनका प्रभाव
पहले आरटीई के प्रावधानों में कैचमेंट एरिया के कारण एक निगम से दूसरे निगम के क्षेत्र में प्रवेश नहीं हो पाते थे। नियमों में स्पष्ट था कि स्कूल जिस वार्ड में है, उसी वार्ड के विद्यार्थियों को प्राथमिकता मिलेगी।
इसके बाद ही शेष शहरी निकाय या ग्राम पंचायत के बच्चों को प्रवेश मिलता था। लेकिन किसी भी स्थिति में स्कूल से संबंधित शहरी निकाय या ग्राम पंचायत के बाहर निवास करने वाले विद्यार्थी उन खाली सीटों पर प्रवेश के पात्र नहीं होते थे।
यह पाबंदी आधे जयपुर के लिए ही आवेदन करने की अनुमति देती थी, जिससे कई योग्य विद्यार्थी वंचित रह जाते थे। नए बदलाव से यह समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।
ये सभी बदलाव शिक्षा के अधिकार कानून को और अधिक प्रभावी और सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इससे वंचित वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी।