सिरोही: राम झरोखा मंदिर पट्टा विवाद: सिरोही: कुलदीप देवड़ा ने संयम लोढ़ा पर लगाए राम मंदिर पट्टों में गंभीर आरोप

सिरोही (Sirohi) में भाजपा (BJP) के पूर्व जिला उपाध्यक्ष कुलदीप सिंह देवड़ा (Kuldeep Singh Devra) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूर्व विधायक संयम लोढ़ा (Sanyam Lodha) पर राम झरोखा मंदिर (Ram Jharokha Mandir) के भूमि पट्टों के मामले में गंभीर आरोप लगाए हैं। देवड़ा ने लोढ़ा पर जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया और कहा कि सभी पट्टे नियमानुसार जारी किए गए हैं।

सिरोही: सिरोही में भाजपा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष कुलदीप सिंह देवड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूर्व विधायक संयम लोढ़ा पर राम झरोखा मंदिर के भूमि पट्टों के मामले में गंभीर आरोप लगाए हैं। देवड़ा ने लोढ़ा पर जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया और कहा कि सभी पट्टे नियमानुसार जारी किए गए हैं।

राम झरोखा मंदिर भूमि पट्टों पर विवाद: कुलदीप देवड़ा का पलटवार

भाजपा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष कुलदीप सिंह देवड़ा ने पूर्व विधायक संयम लोढ़ा द्वारा राम झरोखा मंदिर की भूमि के पट्टों को लेकर लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। देवड़ा ने स्पष्ट किया कि उनके पास भी एक भूखंड है, और सभी पट्टे नियमानुसार जारी किए गए हैं। उन्होंने लोढ़ा पर जनता को गलत जानकारी देकर भ्रमित करने का आरोप लगाया।

देवड़ा ने कहा कि संयम लोढ़ा ने बिना किसी ठोस जानकारी के इस मामले को उठाया है, जिससे अनावश्यक विवाद पैदा हो रहा है। उन्होंने लोढ़ा के दावों को भ्रामक और गलत बताया, विशेषकर निजी संपत्ति को मंदिर की संपत्ति बताने के उनके प्रयास को।

देवड़ा ने जोर देकर कहा कि इस पूरे मामले पर सत्यता सामने आनी चाहिए, और वे इसी उद्देश्य से मीडिया के सामने आए हैं। उन्होंने लोढ़ा को चुनौती दी कि वे इस जमीन को मंदिर की संपत्ति साबित करके दिखाएं।

संयम लोढ़ा के कार्यकाल पर गंभीर सवाल: मंदिरों का टूटना और मदरसों का बढ़ना

कुलदीप सिंह देवड़ा ने संयम लोढ़ा के राजनीतिक इतिहास और उनके कार्यकाल पर भी कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि संयम लोढ़ा, जो अब खुद को सनातनी घोषित कर रहे हैं, उनके कार्यकाल में कई मंदिरों को नुकसान पहुंचा।

देवड़ा ने उदाहरण देते हुए कहा कि लोढ़ा के कार्यकाल में कालंदरी में शनिदेव का मंदिर, आबू रोड में हनुमान जी का मंदिर और शिवगंज के चांदाणा में एक मंदिर टूटा था। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि जिस व्यक्ति के कार्यकाल में मंदिरों को क्षति पहुंची, वह आज मंदिरों की पंचायती कर रहा है।

इसके विपरीत, देवड़ा ने दावा किया कि लोढ़ा के कार्यकाल में सबसे ज्यादा मदरसे खुले और वे मदरसों के हिमायती रहे हैं। उन्होंने लोढ़ा पर हिंदुत्व के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया, और विधानसभा में उनके एक बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने रामशिला पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।

देवड़ा ने कहा, “जो व्यक्ति विधानसभा के अंदर यह कहता है कि मैं यह रामशिला पे तो तुम्हारे कुत्ते पेशाब करेंगे, वो व्यक्ति आज राम जी की पंचायती करेगा।” यह बयान संयम लोढ़ा की सनातनी होने की घोषणा पर सीधा प्रहार था।

आरएसएस और आदर्श विद्या मंदिर पर लोढ़ा का विरोध

कुलदीप देवड़ा ने संयम लोढ़ा पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का विरोधी होने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि लोढ़ा हमेशा से संघ के विरोधी रहे हैं और उन्होंने अपने कार्यकाल में स्वरूपगंज में आदर्श विद्या मंदिरों की मान्यता रद्द करवाकर उन्हें बंद करवाने का प्रयास किया था।

देवड़ा ने आदर्श विद्या मंदिरों को बच्चों के संस्कार और चरित्र निर्माण का केंद्र बताया, और लोढ़ा के इन विद्यालयों को बंद करवाने के प्रयासों की कड़ी निंदा की। उन्होंने जोर देकर कहा कि आदर्श विद्या मंदिर सीताराम दास जी के गुरु जय रामदास जी के समय से चल रहे हैं और 30 साल से किराया दे रहे हैं।

देवड़ा ने चुनौती दी कि संयम लोढ़ा में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह इन विद्यालयों को बंद करवा सकें। उन्होंने कहा कि आदर्श विद्या मंदिर उसी जगह पर आगे भी चलेगा, और लोढ़ा जैसे व्यक्ति की औकात नहीं है कि वह इसे बंद करवा सकें।

राम झरोखा मंदिर भूमि: खालसा भूमि या मंदिर की संपत्ति?

देवड़ा ने राम झरोखा मंदिर के पास की विवादित भूमि की प्रकृति पर विस्तार से बात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह भूमि खालसा भूमि है और गैर मुमकिन आबादी में आती है, न कि मंदिर की संपत्ति।

उन्होंने संयम लोढ़ा को चुनौती दी कि वे इस जमीन को मंदिर की जमीन साबित करके दिखाएं। देवड़ा ने कहा कि उनके पास मंदिर के स्टेट टाइम के पट्टे की पूरी पत्रावली है, जिसे उन्होंने जिला कलेक्टर महोदय को भी सौंपा है।

उन्होंने लोढ़ा पर आरोप लगाया कि वे भ्रम फैलाकर अपना उल्लू सीधा करने और राजनीतिक स्टंट करने की कोशिश कर रहे हैं। देवड़ा ने कहा कि ऐसे व्यक्ति को शर्म आनी चाहिए जो धर्म का सहारा लेकर लोगों को गुमराह करता है।

पट्टों की वैधता और 2002 का संदर्भ

देवड़ा ने पट्टों की वैधता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जय रामदास जी के नाम से 2002 में पट्टा बना था। उन्होंने सवाल उठाया कि जब यह पट्टा बना, तब यहां का विधायक कौन था, और जवाब दिया कि तब संयम लोढ़ा ही विधायक थे।

अगर यह मंदिर की भूमि थी, तो लोढ़ा के कार्यकाल में यह पट्टा कैसे बना? देवड़ा ने लोढ़ा से पूछा कि उन्होंने इस मामले में कितने पैसे खाए, यह भी जनता को बताएं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि जय रामदास जी की गुजरात में एक निजी प्रॉपर्टी थी, जिसे बेचकर उन्होंने यह जमीन खरीदी थी। इसका पैसा बकायदा भरा गया है, और यह उनकी निजी प्रॉपर्टी थी।

देवड़ा ने 2005 में बने ट्रस्ट का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट में जो संपत्तियां शामिल की गई थीं, उनमें यह विवादित प्रॉपर्टी शामिल नहीं थी।

इसलिए, जो प्रॉपर्टी ट्रस्ट में शामिल नहीं है, उसे बेचने का अधिकार सीताराम दास जी को है। देवड़ा ने इस संबंध में सभी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की बात कही।

2005 के ट्रस्ट और सीताराम दास जी का मुकदमा

कुलदीप देवड़ा ने बताया कि ट्रस्ट के पास सभी संपत्तियों पर अधिकार नहीं है। ट्रस्ट ने जिन सूचियों में संपत्तियों को शामिल किया है, केवल उन्हीं पर उनका अधिकार है।

उन्होंने सीताराम दास जी पर चले एक मुकदमे का भी जिक्र किया। नियंत्रण और सलाहकार समिति ने पोस्ट ऑफिस में रखी सीताराम दास जी की 40 लाख की एफडी पर अधिकार जताते हुए मुकदमा दर्ज किया था।

सीताराम दास जी ने यह मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट से जीता था। कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि जिन सूचियों में संपत्ति शामिल नहीं है, उस पर ट्रस्ट का कोई अधिकार नहीं है।

देवड़ा ने कहा कि हमारी वाली संपत्ति भी उस सूची में शामिल नहीं थी, इसलिए उस पर ट्रस्ट का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने इस मुकदमे के फैसले की कॉपी भी प्रस्तुत की।

संयम लोढ़ा पर अन्य भूमि अतिक्रमण के आरोप

कुलदीप देवड़ा ने संयम लोढ़ा के कार्यकाल में हुए अन्य भूमि अतिक्रमणों का भी खुलासा किया। उन्होंने कहा कि लोढ़ा केवल राम झरोखा मंदिर के पट्टों पर भ्रम फैला रहे हैं, जबकि उनके कार्यकाल में कई अन्य जगहों पर भी जमीनें खुर्द-बुर्द की गईं।

देवड़ा ने शिवगंज का उदाहरण देते हुए बताया कि महावीर स्मृति कुंज में एक जैन समाज की धर्मशाला ने पूरी एक गली दबा दी थी। यह सब संयम लोढ़ा के कार्यकाल में हुआ, लेकिन तब उन्हें सनातन की जमीन की याद नहीं आई।

दूसरी घटना शिवगंज के हाथी पोल की है, जहां की जमीन भी खुर्द-बुर्द कर दी गई। देवड़ा ने बताया कि लोढ़ा के किसी चहेते के नाम से पट्टा बन गया और उसकी रजिस्ट्री भी हो गई।

उन्होंने केरलेश्वर महादेव मंदिर और रामदेव जी मंदिर की जमीनों को हड़पने की कोशिशों का भी जिक्र किया, जिनका सनातनियों ने विरोध किया और जमीनें बच गईं।

देवड़ा ने आरोप लगाया कि संयम लोढ़ा ने अपने शासनकाल में जमीनों को खुर्द-बुर्द करने का कार्य किया है, और अब वे दूसरों पर आरोप लगा रहे हैं।

राजनीतिक स्टंट और जनता को गुमराह करने का आरोप

कुलदीप देवड़ा ने संयम लोढ़ा के इन आरोपों को एक राजनीतिक स्टंट बताया। उन्होंने कहा कि लोढ़ा की राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है, और 36,000 वोटों से हारने वाला व्यक्ति अब अपनी शुरुआत करने के लिए जमीन ढूंढ रहा है।

देवड़ा ने कहा कि लोढ़ा भारतीय जनता पार्टी, भोपा जी, विक्रम जी, ओटाराम जी और लुमाराम जी को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वे उन्हें ही सबसे बड़ा निशाना मान रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि लोढ़ा संघ को भी बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि संघ हमेशा धर्म और सनातन संस्कृति के साथ खड़ा रहता है।

देवड़ा ने लोढ़ा पर नरेगा के नाम पर लोगों को भ्रमित करके राम मंदिर के नाम से बेवकूफ बनाकर लाने का आरोप लगाया।

उन्होंने चुनौती दी कि अगर संयम लोढ़ा फिर से ऐसा कोई स्टंट करने आएंगे, तो वे जनता को लेकर रोड पर खड़े रहेंगे और लोढ़ा को कहीं घुसने नहीं देंगे।

देवड़ा ने कहा कि लोकतंत्र में विरोध करने का तरीका होता है, मुद्दों पर बात करनी चाहिए, न कि लोगों को भ्रमित करना चाहिए।

जांच की मांग और निष्पक्षता पर जोर

कुलदीप देवड़ा ने ओटाराम जी द्वारा जारी प्रेस रिलीज का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने नगर परिषद में अनियमितताओं की जांच की मांग की थी। देवड़ा ने कहा कि ओटाराम जी एक निष्पक्ष और धार्मिक व्यक्ति हैं, और उनका कर्तव्य बनता है कि कहीं भाई-भतीजावाद न हुआ हो, इसकी निष्पक्ष जांच की जाए।

उन्होंने कहा कि ओटाराम जी ने बिल्कुल सही कहा है कि जांच तो निष्पक्ष होनी चाहिए। देवड़ा ने भी कहा कि अगर उन्हें गलत पट्टे दिए गए हैं, तो उसकी जांच करवाई जाए, और वे इसमें पूरा सहयोग करेंगे।

उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, यह केवल एक राजनीतिक स्टंट था, जिसे रोकने के लिए वे सामने आए हैं।

देवड़ा ने लोढ़ा के इस आरोप को भी खारिज किया कि संपत्ति को रिसीवर नियुक्त करके जब्त किया जाए। उन्होंने कहा कि रिसीवर नियुक्त करने का अधिकार संयम लोढ़ा के पास नहीं है, क्योंकि यह एक निजी प्रॉपर्टी है और पट्टे कट चुके हैं।

सत्यता और चुनौती का आह्वान

कुलदीप देवड़ा ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस का समापन करते हुए संयम लोढ़ा को सत्यता का सामना करने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि लोढ़ा को पहले यह साबित करना चाहिए कि यह भूमि मंदिर की है।

उन्होंने कहा कि लोढ़ा जैसे व्यक्ति जो खुद को कानून का विद्यार्थी कहते हैं, उन्हें वास्तविकता का पता नहीं है और वे लोगों का हुजूम लेकर प्रशासन पर दबाव बनाने आ गए हैं।

देवड़ा ने कहा कि वे आज सत्यता साबित करने आए हैं, और उनके पास सभी दस्तावेज़ मौजूद हैं। उन्होंने राम झरोखा का पट्टा, नियमन पट्टा और नियंत्रण एवं सलाहकार समिति द्वारा 2005 में दी गई संपत्तियों की सूची भी प्रस्तुत की।

उन्होंने कहा कि इन लोगों के पास बिना हाथ-पैर के कोई आधार नहीं है, और यह सब केवल भारतीय जनता पार्टी और आदरणीय भोपा जी को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है।

कुलदीप देवड़ा ने जोर देकर कहा कि यह पूरी कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है और इसका उद्देश्य केवल जनता को भ्रमित करना है।