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अब भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि बिजली के क्षेत्र में अग्रणी राजस्थान पिछले पांच वर्षों में पिछडकर देश के कई राज्यों से पीछे चला गया है।
जयपुर | जहां एक और राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ईआरसीपी मुद्दे को बार-बार उठाकर भाजपा को घेर रही है।
वहीं, भाजपा भी गहलोत सरकार को उसका फ्री बिजली का वादा याद दिलाते नजर आ रहे हैं।
अब भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि बिजली के क्षेत्र में अग्रणी राजस्थान पिछले पांच वर्षों में पिछडकर देश के कई राज्यों से पीछे चला गया है।
कर्मचारियों की तनख्वाह के लाले पड रहे हैं
अब तो स्थिति यह बन रही है कि प्रदेश की बिजली कम्पनियों के पास कर्मचारियों की तनख्वाह के लाले पड रहे हैं वहीं कमजोर मैनेजमेंट के कारण इसी सीजन मे तीसरी बार बिजली कटौती के हालात पैदा हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बिजली को लेकर चले लचर प्रबन्धन के कारण बिजली वितरण कम्पनियों का कर्ज भी 1.10 लाख करोड से अधिक हो गया है और इन कम्पनियों को ऋण पर ब्याज चुकाने के लिए भी ऋण लेना पड रहा है।
24 घंटे बिजली देने का वादा, अब तो घरों से बिजली गुल
उन्होंने कहा कि आम आदमी को 24 घंटे बिजली देने का वादा करने वाली कांग्रेस सरकार राज्य में लोगों को 20 घंटे बिजली देने में भी विफल साबित हुई है। यहां तक की बिजली कटौती की मार से घरों से बिजली गुल हो रही है।
इसके अलावा कृषि कार्यों के लिए भी इस शासन में किसानों को 6 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं मिल पाई है। सरकार के बिगड़े प्रबन्धन के कारण रात में सिंचाई करते कई किसान काल कलवित हो गए हैं।
बिजली नहीं मिलने से खड़ी फसलें तबाह
डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि मानसून सीजन के दौरान अगस्त में बारिश थम जाने के बाद राज्य सरकार किसानों को बिजली देने में विफल साबित हुई।
इसके कारण समय पर सिंचाई नहीं हो पाने से किसानों की हजारों बीघा पर खड़ी फसलें तबाह हो गई। बारिश बंद होने के बाद किसानों को उम्मीद थी कि समय पर बिजली मिलने से नलकूप और कुंओ से सिंचाई हो जाएगी लेकिन राज्य सरकार ने किसानों को बिजली भी उपलब्ध नहीं करवाई।
किसानों ने बिजली की मांग को लेकर प्रदर्शन किया तो देशव्यापी कमी की बात कहकर सरकार ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। साथ ही पूरे अगस्त में राज्य के आम आदमी को बिजली की कटौती का सामना करना पड़ा है।
इसके बाद एक बार फिर बिजली प्रबन्धन फेल हो जाने के कारण उद्योगों पर कटौती के आदेश जारी किए गए हैं।
बिजली उत्पादन को बढावा देने के स्थान पर मुख्यमंत्री और उर्जा मंत्री बिजली की खरीद को ज्यादा तवज्जो देते हैं जिसके कारण बार बार बिजली की कमी पैदा की जा रही है।
सर्वविदित है कि महंगी बिजली खरीद में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है और राज्य सरकार बिजली की कमी पैदा कर बिजली की खरीद पर ज्यादा जोर दे रही है।
छत्तीसगढ में भी कांग्रेस का शासन होने के बावजूद राज्य को पूरा कोयला नहीं मिल पा रहा है। कोयले की कमी के कारण बार बार उत्पादन संयंत्रों को बंद करना पड़ रहा है।
डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार के बिजली को लेकर पिछले 5 सालों में किए गए कुप्रबन्धन के कारण राजस्थान के इतिहास की सबसे ज्यादा फ्यूल सरचार्ज की वसूली की गई है।
पिछले तीन साल में सरकार करीब 15 बार फ्यूल सरचार्ज की वसूली कर चुकी है। इसमें भी राज्य में सरकार ने फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 55 पैसे प्रति यूनिट की वसूली की है।
सरकार की गलत नीतियों के कारण आम उपभोक्ताओं को बिजली बिलो में प्रति यूनिट 7 पैसे की अतिरिक्त राशि का भुगतान करना पड रहा है।