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खैर मामले में आपराधिक कार्यवाही बनती है और जाहिर है होगी भी। परन्तु यह सब बाद की बाते हैं।एक बात और यहां एनएसयूआई के प्रत्याशी जरूर खुश होंगे, जिन्हें निर्दलीय निर्मल ने बाहर किया था और इनके मंत्री पिता पर चुनाव में रुपए बांटने के आरोप भी लगे थे।
जयपुर | अरविन्द जाजड़ा है, झाझड़िया है या झाझड़ा! सरनेम क्लीयर नहीं है, लेकिन जयपुर में बंदा ट्रेंड कर गया है
महारानी कॉलेज में एक कार्यक्रम और उसमें राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी को केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत के सामने ही इसने सरेआम थप्पड़ जड़ दिया।
यह छात्र राजनीति वैसे ही छछूंदरी चीज है। राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ में चुनाव जीतने वाले को यह गुमान होता ही है कि वह एमएलए तो बन ही गया। उसका स्वैग एक विधायक से कम भी नहीं होता।
तो हुआ यूं था कि महारानी कॉलेज में कार्यक्रम को उंचाई देने के लिए केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे।कार्यक्रम को रुमानी बनाने के लिए पंजाबी के प्रसिद्ध युवा सिंगर अखिल को बुलाया गया था। परन्तु कार्यक्रम ट्रेंड हुआ है छात्रनेताओं की जूतमपैजार से।
कार्यक्रम की चर्चाओं में पहले नम्बर पर अखिल थे, दूसरे पर गजेन्द्रसिंह शेखावत, तीसरे पर महारानी कॉलेज की छात्रसंघ अध्यक्षा। परन्तु ट्रेंड कर गया है महासचिव अरविन्द का थप्पड़।
महाराजा कॉलेज के कार्यक्रम में तो वे सचिन पायलट के बाद दूसरे नम्बर पर थे। महारानी कॉलेज में इस कार्यक्रम में निर्मल आए। इन्हें विशिष्ट अतिथि बुलाया गया था. यहां पैनल अभाविप का है, परन्तु सवाल अभी मौजूं है।
अरविन्द का यह आपराधिक कृत्य किसी भी तरीके से सराहने योग्य नहीं है। बाद में दोनों के समर्थक आपस में भिड़ गए और मारपीट जैसे मामले भी बने है। इनमें कार्यवाही होनी ही चाहिए।
अरविन्द जाजड़ा राजस्थान विश्वविद्यालय का ही निर्वाचित महासचिव है। अगले सत्र में अध्यक्ष भी कोई और होगा और महासचिव भी। लेकिन अब अरविन्द जाजड़ा अध्यक्ष से मारपीट के भी लम्बे समय तक पहचाना जाएगा। जब जब अरविन्द का जिक्र चलेगा, निर्मल जरूर याद आएंगे।
मामला बीजेपी और कांग्रेस के समर्थन का है जो इस तरह के आपराधिक घटनाक्रमों में बदल जाता हैं। जो कतई नहीं बदलना चाहिए।
अरविन्द का पर्यायवाची कमल बीजेपी का चुनाव निशान भी है। यहां बीजेपी के मंत्री भी मौजूद थे।
राजनीतिक पार्टीबाजी का मामला मारपीट तक नहीं पहुंचना चाहिए। गलत मैसेज जाता है। बच्चे कॉलेज यह सीखने नहीं आते। हालांकि बाद की जूतमपैजार में महिला शक्ति ने भी अपना योगदान देने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की सक्रियता के चलते वे प्रभावी नहीं हो पाईं।
खैर मामले में आपराधिक कार्यवाही बनती है और जाहिर है होगी भी। परन्तु यह सब बाद की बाते हैं।एक बात और यहां एनएसयूआई के प्रत्याशी जरूर खुश होंगे, जिन्हें निर्दलीय निर्मल ने बाहर किया था और इनके मंत्री पिता पर चुनाव में रुपए बांटने के आरोप भी लगे थे।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैनर तले महासचिव बने अरविन्द ने अनापेक्षित उंचाई प्राप्त कर ली है। देखना है इस प्रकरण का पटाक्षेप कैसे होता है? क्योंकि छात्र जीवन की राजनीतिक अदावतें लम्बी चला करती हैं।पुलिस विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन को इस मामले में प्रभावी कार्यवाही करनी चाहिए।
अब देखना है कि निर्मल इस प्रकरण का जवाब क्या देते हैं और किस तरह से वे अपने स्वैग को फिर से कायम करते हैं।