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निदेशक के नकारात्मक निर्णयों का जनसंपर्क सेवाएं प्रदान करने की विभाग की क्षमता पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा
निदेशक पर आरोप लगाए गए हैं कि वे जनसंपर्क अधिकारियों के प्रति अभद्र टिप्पणी करते हैं
जयपुर | मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कर्नाटक में सरकार लाने के लिए अपने सम्बोधन और जनसंपर्क से दक्खन के मीडिया को साधने में लगे हैं। पीछे से उनके राज्य में जनसंपर्क विभाग के अफसर ही बागी हो गए हैं।
इस विभाग के मंत्री खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं। इस विभाग ने सचिन पायलट के 11 अप्रैल वाले अनशन की तर्ज पर ही सत्याग्रह की चेतावनी दे डाली है।
राजस्थान राज्य का जनसंपर्क विभाग अपने निदेशक के कार्यों के कारण विवादों से घिर गया है। विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर निदेशक के पद पर सक्षम अधिकारी की तत्काल नियुक्ति की मांग की है ताकि स्थिति में सुधार हो सके.


ज्ञापन में कहा है कि वर्तमान निदेशक के नकारात्मक निर्णयों का जनसंपर्क सेवाएं प्रदान करने की विभाग की क्षमता पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है।
अब सरकार इसी साल में रिपीट की संभावनाएं तलाश रही है और प्रचार—प्रसार के जिम्मे वाला विभाग ही बगावत कर बैठे तो हालात क्या होंगे। अंदाजा सहज ही लग जाता है।
इस ज्ञापन में कहा गया है कि अतिरिक्त निदेशकों को उनके आवंटित वाहनों को दो दिनों के लिए अन्य कार्यों के लिए उपयोग करने आदेश देने से विभाग के अपने कर्तव्यों को निभाने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
यही नहीं निदेशक पर आरोप लगाए गए हैं कि वे जनसंपर्क अधिकारियों के प्रति अभद्र टिप्पणी करते हैं।
ऐसे में अफसरों का मनोबल गिर रहा है। एक अफसर ने जब मुख्य सचिव की बैठक में यह कहा कि प्रसार सामग्री जिलों तक नहीं पहुंची तो निदेशक बुरी तरह भड़क गए।
इसी तरह की शिकायतें करते हुए सरकारी जनसंपर्क और संबद्ध सेवाओं के प्रतिनिधि संगठन प्रसार ने निदेशक पर आरोप लगाते हुए ज्ञापन भेजा है।
ज्ञापन में कहा गया है कि बजट घोषणाओं एवं अन्य अवसरों पर मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों को कम्प्यूटर, कागज, प्रिंटर सहित आवश्यक संसाधन एवं सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी जा रही है।
इसके अलावा, राज्य सरकार के विभागों और संस्थानों के विस्तार के कारण, विभाग के कार्यों की प्रकृति का भी विस्तार हुआ है और लंबे समय से नए पद सृजित नहीं हुए हैं। ऐसे में काम का बोझ बढ़ रहा है।
अफसरों के इस संगठन प्रसार ने सरकार से मांग की है कि जनसंपर्क निदेशक को बदलकर एक सक्षम अफसर को इस पद पर लगाया जाए। संगठन ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे सत्याग्रह का सहारा लेंगे।
अफसरों ने कहा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री ने हमेशा जनसंपर्क सेवाओं को सर्वोपरि महत्व दिया है और पिछले साल विभाग की संवर्ग समीक्षा के निर्देश दिए हैं। परन्तु इन्हीं अफसरों की अदावत वर्तमान निदेशक से हैं।
ज्ञापन में बताया कि कैडर समीक्षा केवल छह पदों तक ही सीमित रह गई। विभाग के उच्च अधिकारियों की संवर्ग समीक्षा समिति की सिफारिश को भी दरकिनार कर दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप स्टाफ का मनोबल गिरा है और जनसंपर्क सेवाओं की प्रतिष्ठा पर बुरा असर पड़ा है।
कौन हैं निदेशक
जिस निदेशक पुरुषोत्तम शर्मा के खिलाफ ज्ञापन दिया गया है। वे राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं।
कर्मचारियों—अधिकारियों की मांग है कि जनसम्पर्क सेवा के अफसर अथवा भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर को निदेशक पद पर लगाया जाए, ताकि वे विभाग की समस्याओं को प्रभावी तरीके से निस्तारित कर सकें।
साथ ही विभागीय क्षमताओं का भी प्रभावी उपयोग कर सके।
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