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असम के राज्यपाल का दायित्व सँभालने वाले गुलाब चंद कटारिया मेवाड़ के तीसरे नेता हैं। उनसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी -बांसवाड़ा और शिवचरण माथुर -मांडलगढ़ असम के गवर्नर रह चुके हैं ।
78 वर्षीय कटारिया की राज्यपाल पद पर नियुक्ति और सक्रिय राजनीति से विदाई उस समय हुई है ,जब उन्हें मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में से एक माना जा रहा था। भैरों सिंह शेखावत और वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकारों में शिक्षा और गृह जैसे महत्वपूर्ण महकमे का दायित्व देख चुके कटारिया बीते चार साल में कई विवादों में भी घिरे रहे।
Jaipur | भारी मन के साथ उदयपुर से गौहाटी पहुंचे असम के नए राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया राज्यपाल पद की शपथ के साथ ही ,असम के राजभवन में रहेंगे। गौहाटी रवाना होने से पहले एयरपोर्ट पर बीजेपी के मेवाड़ में एकछत्र क्षत्रप रहे कटारिया को भावभीनी विदाई दी गयी।
असम के सरकारी विमान से रवाना होते वक्त कटारिया भावुक हो गए। कहा -"शरीर जहाँ भी रहे ,दिल मेवाड़ में ही रहेगा।"
कटारिया के राज्यपाल बनने की खुशी और मेवाड़ छोड़कर जाने का गम विदा करने आये सभी लोगों के चहरे पर साफ़ दिखाई दिया। कभी पार्टी में उनके निर्देशों पर सक्रिय रहने वाले कार्यकर्ताओं ने असम के नए राजयपाल कटारिया को हनुमान जी की गदा भेट कर उपरणा ओढ़ा कर विदा किया तो कटारिया की आँखें नम हो गयी ।
गवर्नर पद पर पहुंचे मेवाड़ के पांचवें नेता
असम के राज्यपाल का दायित्व सँभालने वाले मेवाड़ के वह तीसरे नेता हैं। उनसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी -बांसवाड़ा और शिवचरण माथुर -मांडलगढ़ असम के गवर्नर रह चुके हैं। राज्यपाल की भूमिका अदा करने वाले गुलाब चंद कटारिया मेवाड़ से पांचवें और उदयपुर से दूसरे जनप्रतिनिधि हैं, जो राज्यपाल बने हैं।
गुलाब चंद कटारिया से पहले पूर्व उदयपुर से राजनीति शुरू करने वाले मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया,सामाजिक कार्यकर्ता सादिक अली ,रॉ के पूर्व निदेशक अरविन्द दवे और जनसंघ नेता सुंदर सिंह भंडारी को राज्यपाल बनाया गया था।
इसी तरह मेवाड़ से ताल्लुक रखने वाले बांसवाड़ा के पूर्व विधायक और राजस्थान के पूर्व सीएम हरिदेव जोशी,मांडलगढ़ से विधायक और राजस्थान के सीएम रहे शिवचरण माथुर को असम और आसींद से विधायक और भीलवाड़ा के सांसद रहे वीपी सिंह बदनोर को पंजाब का राज्यपाल बनाया गया था।
विवादों के बीच विदाई
78 वर्षीय कटारिया की राज्यपाल पद पर नियुक्ति और सक्रिय राजनीति से विदाई उस समय हुई है ,जब उन्हें मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में से एक माना जा रहा था। भैरों सिंह शेखावत और वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकारों में शिक्षा और गृह जैसे महत्वपूर्ण महकमे का दायित्व देख चुके कटारिया बीते चार साल में कई विवादों में भी घिरे रहे।
महाराणा प्रताप को लेकर अप्रिय टिप्पणी ,महाराणा उदय सिंह को बचाने वाले कीरत बारी को वाल्मीकि बताने ,वाल्मीकि समाज के लिए प्रतिबंधित शब्दों के इस्तेमाल और जन समस्या का उलाहना देने वाले आमजन को वोट कुएं में डालने की नसीहत पर उठे विवादों के बाद माफी मांग कर कटारिया ने डैमेज कंट्रोल की भरपूर कोशिश भी की.
लेकिन तब तक बीजेपी नेतृत्व तक यह सन्देश पहुँच गया था कि कटारिया के हाथ में नेतृत्व के अब फायदे कम होंगे ,नुकसान ज्यादा होंगे।
नई जिम्मेदारी के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और पार्टी नेतृत्व का आभार जताते हुए कटारिया ने विदाई के वक्त कहा कि मेवाड़ से मिला प्यार हमेशा याद रहेगा। कटारिया को विदाई देने पहुंचे बीजेपी के बड़े नेता और कई सामाजिक कार्यकर्ता एयरपोर्ट पर पहुंचे। इस अवसर पर कटारिया को शॉल भेंट करते वक्त लोगों की आँखें भर आयी। कटारिया भी इस मौके पर भावुक हो उठे।