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हालांकि पूराराम अपनी लाइफस्टाइल को लेकर चर्चा में रहते हैं। यही नहीं भैरोंसिंह शेखावत की 1993 में सरकार गिराने की जब साजिश रची गई तो उसमें भी पूराराम चौधरी का नाम उछला था।
पूराराम तब भी विवादों में आए थे उन्होंने अलग—अलग पैनकार्ड से तीन बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं।
यही नहीं चौधरी का नाम पूरणमल धनजी पटेल से भी जोड़ा जाता है। इन आरोपों की सच्चाइयों में जाने की जहमत और आरोपों पर चिंता हालांकि पूराराम नहीं करते, लेकिन अपने गांव के सांचौर जिले में चले जाने से वे चिंतित जरूर हैं।
जयपुर | विधायक पूराराम का गांव सांचौर में चला गया और विधानसभा क्षेत्र जालोर जिले में रह गया है। पूराराम चौधरी का एक पता भीनमाल का है और दूसरा कावतरा गांव का। पूराराम चौधरी खासे फेमस विधायक हैं।
चौथी बार विधायक हैं पूराराम चौधरी। परन्तु फिलहाल दो जिलों के बीच में फंसे हुए हैं। नए जिले सांचौर और पीछे छूटे जालोर में। पूराराम चौधरी मूलत: कातवरा गांव के रहने वाले हैं जो भीनमाल के नजदीक है, लेकिन बागोड़ा तहसील का हिस्सा है। यह पहले भीनमाल तहसील का ही हिस्सा हुआ करता था, लेकिन बाद में बागोड़ा में शरीक कर दिया गया। भीनमाल के विधायक पूराराम चौधरी के लिए कावतरा का सांचौर में चला जाना समस्या हो गया है।
चौधरी मूलत: कावतरा के रहने वाले हैं जो की बागोड़ा तहसील का हिस्सा है वह सांचौर में चली गई है। पूराराम वही विधायक हैं जो काला साफा बांध के विधानसभा में आए थे जिलों की घोषणा के वक्त और यह कहा था कि मोटरसाइकिल लेकर सांचौर जाएंगे तो मोटरसाइकिल वापस नहीं आएगी। स्मैक का आरोप लगाया था कि वहां पर स्मैकिए रहते हैं।
अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की टीम ने उनकी यह मांग तो मान ली कि भीनमाल को सांचौर में नहीं डाला जाए, लेकिन उन्होंने पूराराम चौधरी के गांव को सांचौर जिले का हिस्सा बना दिया है। विधानसभा चुनावों से ठीक पहले एक अलग सा माहौल बन गया है कि पूराराम विधायक अगर वापस टिकट मांगते हैं तो क्या बाहरी जिले के प्रत्याशी को भीनमाल से टिकट मिलेगा?
हालांकि जब पूराराम की अशोक गहलोत से जब विधानसभा में मुलाकात हुई तो एक वीडियो वायरल हो गया था, जिसमें पूराराम की ओर से गहलोत की मदद की बात कही गई थी। इसका भी राजनीतिक हलकों में कई तरह का अर्थ निकाला गया था।
कांग्रेस में 2020 में जब मानेसर वाला कांड हुआ था तब पूराराम चौधरी पर आरोप लगा कि वह बीजेपी के खेमे में नहीं पहुंचे और व्हिप के बावजूद पार्टी कायदों से दूर रहे। अब देखना है कि बागोड़ा तहसील को सांचौर में शामिल होने के बाद लोगों का जो विरोध प्रारंभ हुआ है, उसका क्या बंटेगा।
हालांकि पूराराम अपनी लाइफस्टाइल को लेकर चर्चा में रहते हैं। यही नहीं भैरोंसिंह शेखावत की 1993 में सरकार गिराने की जब साजिश रची गई तो उसमें भी पूराराम चौधरी का नाम उछला था। पूराराम तब भी विवादों में आए थे उन्होंने अलग—अलग पैनकार्ड से तीन बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं।
यही नहीं चौधरी का नाम पूरणमल धनजी पटेल से भी जोड़ा जाता है। इन आरोपों की सच्चाइयों में जाने की जहमत और आरोपों पर चिंता हालांकि पूराराम नहीं करते, लेकिन अपने गांव के सांचौर जिले में चले जाने से वे चिंतित जरूर हैं।