Highlights
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राष्ट्रीय स्तर पर जालोर की पहली बालिका खिलाड़ी:
कृष्णा कंवर देवड़ा ने जालोर जिले की पहली बालिका बनकर राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता में भाग लिया, जो जिले के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है। -
पिता और परिवार का समर्पण:
उनके पिता भवानी सिंह देवड़ा, जो स्वयं राज्य स्तर के खिलाड़ी रह चुके हैं, और चाचा विक्रम सिंह ने हॉकी के प्रति अपने जुनून और मार्गदर्शन से कृष्णा की प्रतिभा को निखारा। -
शिक्षा और खेल का संतुलन:
महर्षि दयानंद सरस्वती पब्लिक स्कूल, मांडोली की कक्षा आठ की छात्रा कृष्णा ने पढ़ाई और खेल में बेहतरीन संतुलन बनाकर यह उपलब्धि हासिल की। -
जालोर में हॉकी के पुनर्जागरण का प्रतीक:
कृष्णा का चयन वर्षों से बालिका वर्ग में राष्ट्रीय स्तर पर चली आ रही कमी को खत्म करता है। उन्होंने जालोर जिले की बेटियों के लिए एक नई राह बनाई है, जिससे अन्य बालिकाओं को प्रेरणा मिलेगी।
जालोर | "म्हारी छोरी छोरों से कम है के!" इस डायलॉग को 100 घरों की आबादी वाले गांव भूतवास की बेटी कृष्णा कंवर देवड़ा ने सच कर दिखाया है।
जो कार्य जालोर की बेटियां आज तक नहीं कर पाईं, वह कार्य कृष्णा कंवर ने करके दिखाया है। जब से उच्च प्राथमिक स्तर पर हॉकी शुरू हुई है, कोई भी बालिका 14 वर्ष आयु वर्ग की हॉकी प्रतियोगिता में जालोर से राष्ट्रीय स्तर पर नहीं खेल पाई थी।
लेकिन कृष्णा कंवर ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बल पर राजस्थान की 14 वर्षीय आयु वर्ग हॉकी टीम में अपनी जगह बनाई है। अब वह मंदसौर, मध्य प्रदेश में दिनांक 07/12/2024 से आयोजित राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता (14 वर्ष आयु वर्ग) में राजस्थान टीम का प्रतिनिधित्व करेगी।
कृष्णा कंवर के राष्ट्रीय स्तर पर चयन से जिले में खुशी की लहर
कृष्णा के चयन से न केवल उनके अभिभावकों, बल्कि आसपास के गांवों और पूरे जालोर जिले में उत्साह है। लोग उन्हें बधाई संदेश भेज रहे हैं और उनकी हौसला अफजाई कर रहे हैं।
30 वर्षों का सूखा खत्म
विगत 30 वर्षों में जब से उच्च प्राथमिक स्तर पर हॉकी शुरू हुई है, यह पहला अवसर है जब बालिका वर्ग में जालोर को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व मिला है। कृष्णा कंवर देवड़ा के चयन ने जिले में खुशी की लहर दौड़ा दी है।
पिता ने देखा सपना, बेटी ने किया पूरा
कृष्णा कंवर के पिता भवानी सिंह देवड़ा स्वयं एक हॉकी खिलाड़ी रह चुके हैं। वह दो बार राज्य स्तर पर खेल चुके हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर उनका चयन नहीं हो पाया। प्रतिभा और प्रदर्शन के बावजूद चयन नहीं हो पाना उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं था। बावजूद इसके, उन्होंने अपने सपनों को अपनी बेटी में साकार करने की ठानी। अपनी बेटी को बेहतर प्रशिक्षण देकर उन्होंने उसे इतना सक्षम बनाया कि आज कृष्णा ने अपने पिता का सपना पूरा कर दिखाया।
जालोर टीम का उत्कृष्ट प्रदर्शन
जालोर टीम के प्रभारी राजेंद्र सिंह ने बताया कि धोलासर फलोदी में 25 अक्टूबर को आयोजित राज्यस्तरीय हॉकी प्रतियोगिता में जालोर टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। टीम ने अपने ग्रुप की तीन टीमों को हराया और हनुमानगढ़ जैसी मजबूत टीम के साथ ड्रॉ पर मुकाबला समाप्त किया। कृष्णा कंवर ने अपने खेल कौशल का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह बनाई।
प्रेरणा बनी कृष्णा कंवर
छात्रा वर्ग में वर्षों का सूखा समाप्त करते हुए कृष्णा ने पूरे जिले को गर्वित किया है। एक छोटे से गांव की इस बहादुर बेटी ने अपनी मेहनत और लगन से न केवल अपनी पहचान बनाई, बल्कि जालोर की बालिकाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनी है। अगर अन्य बालिकाएं भी कृष्णा की तरह मेहनत करें, तो वे भी राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त कर सकती हैं।
शिक्षा और खेल में संतुलन
कृष्णा वर्तमान में महर्षि दयानंद सरस्वती पब्लिक स्कूल, मांडोली में कक्षा आठ की छात्रा है। उनके चाचा अभय सिंह ने इसी विद्यालय में हॉकी की शुरुआत करवाई थी। भतीजी के राष्ट्रीय स्तर पर चयन ने उनके प्रयासों को सफल बनाया है।
परिवार का योगदान
कृष्णा के पिता और चाचा, दोनों ने हॉकी में उनका मार्गदर्शन किया। चाचा विक्रम सिंह, जो राज्य स्तर के खिलाड़ी रह चुके हैं, ने कृष्णा को हॉकी की बारीकियां सिखाईं, जिससे उनका खेल और निखरा।
इतिहास रचने वाली बेटी
कृष्णा कंवर ने वह उपलब्धि हासिल की है, जो अब तक जालोर की किसी भी बालिका ने नहीं की थी। इस ऐतिहासिक सफलता ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे जिले को गर्वित किया है। कृष्णा का यह सफर न सिर्फ उनकी खुद की मेहनत का नतीजा है, बल्कि उनके परिवार के समर्पण और मार्गदर्शन का प्रमाण भी है।