Highlights
- सीपी जोशी की प्रदेश भाजपा प्रमुख की नियुक्ति में गुलाबचंद कटारिया का असम राज्यपाल बनना एक बहुत बड़ा फेक्टर रहा है
- भाजपा के लिए ना केवल राजस्थान में बल्कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा जरूरी है
- सतीश पूनिया की छुट्टी के पीछे राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उनकी खुली अदावत सबसे बड़ा कारण रही
जयपुर | राजस्थान भाजपा में आज बड़ा परिवर्तन हुआ जब भाजपा आलाकमान ने प्रदेश का अध्यक्ष बदलते हुए चितौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी को भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. चुनाव से ठीक पहले राजस्थान भाजपा में हुए इस बड़े परिवर्तन ने नए सियासी कयासों और समीकरणों को जन्म दिया है. वही सतीश पूनिया की राजस्थान में होने वाले चुनावों में भूमिका को लेकर भी चर्चा की जा रही है.
क्यों चुने गए सीपी जोशी
राजस्थान भाजपा प्रमुख के पद पर सीपी जोशी की नियुक्ति को वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक प्रदीप बीदावत गुलाबचंद कटारिया से जोड़कर देखते है. बीदावत की माने तो सीपी जोशी की प्रदेश भाजपा प्रमुख की नियुक्ति में गुलाबचंद कटारिया का असम राज्यपाल बनना एक बहुत बड़ा फेक्टर रहा है.
क्योकि भाजपा का मेवाड़ में एक बड़ा जनाधार है और कटारिया के असम चले जाने के बाद मेवाड़ में भाजपा को एक बड़ा क्षत्रप चाहिए जिसकी कमी आगामी चुनावों में सीपी जोशी पूरी करेंगे.
ब्राह्मण चेहरा भाजपा के लिए जरूरी था
इस साल राजस्थान सहित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी चुनाव होने है ऐसे में ब्राह्मण मतदाताओं को साधना भाजपा के लिए ना केवल राजस्थान में बल्कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा जरूरी है. अगर भाजपा की ब्राह्मण लीडशिप पर गौर किया जाए तो किसी भी बड़े प्रदेश में फिलहाल कोई ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं है.
ऐसे में राजस्थान जैसे बड़े प्रदेश में सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना ना केवल राजस्थान बल्कि दूसरे प्रदेशों में भी भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.
क्यों हो गई सतीश पूनिया की छुट्टी
सीपी जोशी की भाजपा प्रमुख के रूप में नियुक्ति के साथ ही राजनितिक गलियारों में सतीश पूनिया की छुट्टी के कारणों पर भी खुलकर चर्चा होने लगी है. सतीश पूनिया की छुट्टी के पीछे राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उनकी खुली अदावत सबसे बड़ा कारण रही. जिसकी वजह से भाजपा की खूब बार किरकिरी हुई.
हालही में वसुंधरा राजे के जन्मदिन पर पहले से तय कार्यक्रम के दिन ही सतीश पूनिया द्वारा युवा मोर्चा का कार्यक्रम आयोजित करना और उसके बाद भी बड़ी संख्या में वसुंधरा राजे के जन्मदिन कार्यक्रम में भाजपा विधायकों और नेताओं का पहुँचना सतीश पूनिया के लिए नुकसानदायक साबित हुआ.
साथ ही बतौर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के कार्यकाल में भाजपा में गुटबंदी चरम पर रही. ना तो सतीश पूनिया इस गुटबाजी को ख़त्म कर पाए और ना ही वे राजस्थान भाजपा के नाराज नेताओं को संतुष्ट कर पाए.
हर वर्ग को नहीं साध पाए पूनिया
प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहते हुए सतीश पूनिया ने अपनी तरफ से अच्छी कोशिशें की लेकिन वे हर वर्ग को ठीक से साधने में सफल नहीं हो सके. राजस्थान में जाट और ब्राह्मण समाज के दो बड़े कार्यक्रम हुए. जिसमे सतीश पूनिया का भाषण जाति से शुरू होकर जाति पर ही ख़त्म होता है.
इसके उलट ब्राह्मण महापंचायत में सीपी जोशी का भाषण जाति से शुरू होकर सनातन और भाजपा की पार्टी लाइन पर जाता है.