Highlights
कविताएं मानव हृदय में सुप्त गुप्त निष्क्रियता तथा दुर्बलता पर गहरा प्रहार कर सृजन के पथ पर व्यक्ति को अग्रसर करती है
कविताएँ यथार्थ के धरातल पर अति सरल व सहज भाषा लेकर संतरण करती है
कविताओं में वैयक्तिक अनुभवों और उनके सूक्ष्मतम निहितार्थों के साथ-साथ मानव और प्रकृति के पृथक-पृथक पड़ावों के मार्मिक अनुभवों-प्रसंगों को उभारने वाले बिंब हैं
बीज हूँ मैं
जगत की अमिट धारा तो सिमट जाऊँगा कैसे
सृजन उद्दीप्त बीज हूँ सहज मिट जाऊँगा कैसे
ये दो पंक्तियाँ आपको सहज आकर्षित करती है फिर शब्दों का ऐसा सम्मोहन कि आप उनमें खो जाते हैं और एक के बाद एक कविता पढ़ते चले जाते हैं।शुक्ल ने कहा -"जब कवि 'भावनाओं के प्रसव' से गुजरते हैं, तो कविताएँ प्रस्फुटित होती हैंं।"
डॉ. दिलीप कुमार पारीक के काव्य में वही प्रस्फुटन दृष्टिगोचर होता है।
काव्य संग्रह 'बीज हूँ मैं' में संकलित अधिकांश कविताएं मानव हृदय में सुप्त गुप्त निष्क्रियता तथा दुर्बलता पर गहरा प्रहार कर सृजन के पथ पर व्यक्ति को अग्रसर करती है।
आज जहां काव्य रचना में शब्दों की स्फीति और वाग्जाल का आधिक्य मिलता है वहीं आपकी कविताएँ यथार्थ के धरातल पर अति सरल व सहज भाषा लेकर संतरण करती है।
सिसृक्षु कवि हर ध्वंस के बाद पुनः पुनः उठ खड़ा होना चाहता है।
किसने कहा अस्त हूं/मैं बड़ा ही मस्त हूँ...
दो दो हाथ मृत्यु से/ जीवन से सन्यस्त हूँ..
शांति की चाह किसे/संग्राम का अभ्यस्त हूँ..
संग्रह की कविताओं में वैयक्तिक अनुभवों और उनके सूक्ष्मतम निहितार्थों के साथ-साथ मानव और प्रकृति के पृथक-पृथक पड़ावों के मार्मिक अनुभवों-प्रसंगों को उभारने वाले बिंब हैं।
मृत्यु प्रतिपल क्यों विवक्षित,जीवन पे भी अधिकार हो
स्व ईश की जब अकाल मृत्यु तो ईश फिर हजार हो
या फिर
प्रेम की कहानियां जिसने भी पढ़ी/
प्रेम बस उसी के साथ चिपक गया/
यहां कुछ भी सही नहीं है/मात्र प्रवंचनाएँ
मात्र खलना/जीवन की लालिमा छलावा है
कविताओं की पृष्ठभूमि में पार्श्वसंगीत कीतरह निज पीड़ा और उसके अवसाद की अनुगूँज अनवरत सुनाई देती रहती है।
कुछ कविताएँ समाज और संस्कृति पर थोड़ा रुककर सोचने की माँग करती है।
मेरा यह परम सौभाग्य रहा कि प्रूफ रीडिंग के दौरान मुझे कवि अंतर्मन की यात्रा के अनेकानेक पड़ावों का निकटता से साक्षात् करने का सुअवसर मिला।
आपकी कविताएँ हर व्यक्ति,परिस्थिति का स्पर्श लिए हुए है।
आपकी बहुस्पर्शिनी कविताओं ने स्कूल के नन्हें बच्चे से लेकर संघर्षशील युवा और उपेक्षित वार्धक्य तक को बड़े आहिस्ते छुआ है।
कुल मिलाकर समय और धन दोनों वसूल है।
अगर आप भी कविताओं से यारी रखते हैं तो यह पुस्तक महंगा सौदा नहीं।