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बाघों के संरक्षण में राजस्थान के सवाई माधोपुर के रणथंभौर नेशनल पार्क का बड़ा ही योगदान रहा है। पिछले एक माह में रणथंभौर में 6 शावकों ने जन्म लिया है। यहां बाघों का कुनबा बढ़ाने में बाघिन टी-111 ने बड़ी भूमिका निभाई है।
जयपुर | राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में रणथंभौर की बाघिन टी-111 ने ’इंटरनेशनल टाइगर-डे’ (अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस) पर देश को तीन शावकों के रूप में बड़ा तोहफा दिया।
देश में विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके बाघों को जीवनदान के रूप में राजस्थान की धरती का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
राजस्थान में बाघों की सुरक्षा के लिए चल रही बाघ संरक्षण परियोजना के चलते राज्य में बाघों का कुनबा बढ़ने से देश में भी बाघों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है।
1973 में देश में टाइगरों की संख्या मात्र 268 रह गई थी। जिसके बाद टाइगर प्रोजेक्ट शुरू किया गया और जिसके परिणामस्वरूप आज देश भर में बाघों का कुनबा बढ़कर 3682 पहुंच चुका है।
दुनियाभर में हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है।
वैश्विक स्तर पर बाघों के संरक्षण व उनकी विलुप्त हो रही प्रजाति को बचाने के लिए जागरूकता फैलाना ही इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है।
बाघों के संरक्षण में राजस्थान के सवाई माधोपुर के रणथंभौर नेशनल पार्क का बड़ा ही योगदान रहा है।
पिछले एक माह में रणथंभौर में 6 शावकों ने जन्म लिया है।
यहां बाघों का कुनबा बढ़ाने में बाघिन टी-111 ने बड़ी भूमिका निभाई है।
बाघिन टी-111 ने तीन शावकों को जन्म दिया था। जो अब 2 वर्ष के हो चुके है। जिनमें दो बाघ और एक बाघिन है।
ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस को ऐतिहासिक दिन बनाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot ) ने शनिवार को इन तीन शावकों का नामकरण किया।
सीएम गहलोत ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि, अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) को और ऐतिहासिक बनाने के लिए तीनों शावकों का नामकरण करते हुए ‘चिंरजीवी’ ‘चिरायु’ एवं ‘अवनी’ रखा गया है।
इनमें एक का नामकरण पैरालंपिक पदक विजेता ’अवनी लेखरा’ (Avani Lekhara) के नाम पर किया गया है।
आपको बता दें कि 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता कृष्णा पूनिया के नाम पर बाघिन टी-17 का नामकरण कृष्णा किया गया था।
राजस्थान देश में 9वें स्थान पर
राजस्थान में बाघ संरक्षण के प्रयास रंग ला रहे हैं। प्रदेश में मात्र 4 सालों में ही बाघों की संख्या 69 से बढ़कर 88 पहुंच गई है। ऐसे में राजस्थान देश में 9वें स्थान पर आ गया है।
प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व को देशभर में बाघों के संरक्षण के लिए अच्छी श्रेणी का दर्जा प्राप्त है। हालांकि बाघों की संख्या को लेकर मध्यप्रदेश सबसे अव्वल है। यहां कुल बाघों की संख्या 785 हैं।