Sirohi न्यायालय का आदेश : पोक्सो का केस टरकाया, अब एएसआई पर ही मुकदमा

पोक्सो का केस टरकाया, अब एएसआई पर ही मुकदमा
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चुन्नीलाल एसआई के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश, न्यायालय ने पोक्सो अधिनियम के तहत लिया संज्ञान

सिरोही | विशिष्ठ पोक्सो न्यायालय, सिरोही ने पुलिस थाना कोतवाली के अनुसंधान अधिकारी चुन्नीलाल (सब-इंस्पेक्टर) के खिलाफ धारा 199 बीएनएस और धारा 21 पोक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। यह मामला एक नाबालिग पीड़िता के साथ हुए छेड़छाड़ और अपहरण के गंभीर आरोपों में अनुसंधान अधिकारी की लापरवाही और कर्तव्य के विरुद्ध आचरण से संबंधित है।

सिरोही के सुभाष नगर निवासी परिवादी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि अभियुक्त दिलीप ने उसकी नाबालिग बेटी के साथ छेड़छाड़ की और उसका अपहरण किया। पुलिस ने इस पर धारा 363, 354ए आईपीसी और 7/8 पोक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया। लगभग डेढ़ महीने बाद पीड़िता को दस्तयाब किया गया।

दस्तयाब होने पर पीड़िता और उसके पिता ने अनुसंधान अधिकारी चुन्नीलाल से मेडिकल परीक्षण करवाने की गुजारिश की, लेकिन अधिकारी ने प्रार्थना पत्र लेने से इनकार कर दिया। पीड़िता ने 9 और 11 अगस्त 2024 को लिखित रूप में मेडिकल परीक्षण करवाने का निवेदन किया, जिसे अनुसंधान अधिकारी ने स्वीकार नहीं किया।

न्यायालय की सख्त टिप्पणी

न्यायालय ने पाया कि चुन्नीलाल ने न केवल पीड़िता का मेडिकल परीक्षण नहीं करवाया, बल्कि मामले की जांच में भी निष्पक्षता नहीं बरती। इसके अलावा, केस डायरी में पीड़िता और अभियुक्त के माला पहनाने के फोटो होने के बावजूद अधिकारी ने अभियुक्त को बचाने का प्रयास किया।

पुलिस अधीक्षक द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में यह कहा गया कि 9 से 11 अगस्त 2024 के बीच सीसीटीवी फुटेज तकनीकी खराबी के कारण उपलब्ध नहीं हैं। न्यायालय ने इस दावे को संदेहास्पद माना और चुन्नीलाल के कृत्य को कर्तव्य के प्रति गंभीर उल्लंघन बताया।

क्या कहा न्यायालय ने

न्यायालय ने आदेश दिया कि अनुसंधान अधिकारी चुन्नीलाल के खिलाफ धारा 199 बीएनएस और धारा 21 पोक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए। साथ ही, प्रकरण को सेशन कोर्ट में प्रस्तुत किया गया और चुन्नीलाल को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए तलब किया गया।

इस घटना ने पुलिस विभाग के भीतर जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठाए हैं। न्यायालय के इस कदम से यह स्पष्ट संदेश गया है कि पोक्सो जैसे संवेदनशील मामलों में लापरवाही और पक्षपात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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