माउंट आबू में बढ़ता भालुओं का खतरा: वन्यजीव और आमजन दोनों पर मंडरा रहा संकट

वन्यजीव और आमजन दोनों पर मंडरा रहा संकट
माउंट आबू में भालू
Ad

Highlights

वे कचरे के ढेर, जूठन, गंदा खाना और यहां तक कि प्लास्टिक खाने लगे हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा, कई बार भालुओं ने इंसानों पर भी हमला किया है

माउंट आबू | राजस्थान का एक प्रमुख हिल स्टेशन, अब भालुओं के आतंक का सामना कर रहा है। जहां पहले भालुओं का शहर के आबादी वाले क्षेत्रों में आना एक दुर्लभ घटना हुआ करती थी, वहीं अब यह एक नियमित दृश्य बन गया है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, शाम होते ही भालू खुलेआम सड़कों पर घूमते नजर आते हैं, जिससे यहां के रहवासियों और पर्यटकों में चिंता का माहौल पैदा हो गया है।

माउंट आबू के आबादी क्षेत्रों में भालू किस प्रकार से विचरण कर रहे हैं

माउंट आबू में भालू वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के शेड्यूल-A में शामिल हैं, जो इन्हें संरक्षित जीवों की श्रेणी में रखता है। लेकिन हाल ही में भालुओं के आबादी वाले क्षेत्रों में भोजन की तलाश में घूमने की घटनाएं बढ़ी हैं।

माउंट आबू के आबादी क्षेत्रों में भालू किस प्रकार से विचरण कर रहे हैं

वे कचरे के ढेर, जूठन, गंदा खाना और यहां तक कि प्लास्टिक खाने लगे हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा, कई बार भालुओं ने इंसानों पर भी हमला किया है, जिससे कई लोग बुरी तरह घायल हो चुके हैं।

माउंट आबू के आबादी क्षेत्रों में भालू किस प्रकार से विचरण कर रहे हैं

ताजा तस्वीरें माउंट आबू के पावर हाउस कॉलोनी से आई हैं, जहां जलदाय विभाग, बिजली विभाग, एसडीएम माउंट आबू के आवास और अस्पताल के पास भालू घूमते नजर आए। रात के समय जब सड़क पर वाहन चल रहे थे, तब भालू इनसे बेखबर कचरे में खाना तलाशते दिखे। न तो वाहनों का शोर और न ही आसपास के लोगों की उपस्थिति भालुओं को डराने में सफल हो पाई।

कचरे के ढेर, जूठन, गंदा खाना और यहां तक कि प्लास्टिक खाने लगे हैं

माउंट आबू में यह स्थिति वन्यजीव और आमजन दोनों के लिए खतरा बन सकती है। कचरा और प्लास्टिक खाने से भालू गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं, साथ ही आबादी क्षेत्रों में घूमते हुए ये पालतू जैसे हो सकते हैं, जिससे उनका प्राकृतिक व्यवहार भी प्रभावित हो रहा है।

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रशासन, नगर पालिका और वन विभाग को तुरंत कार्रवाई करने की आवश्यकता है। आबादी क्षेत्रों में कचरा फेंकने पर सख्ती से रोक लगाई जानी चाहिए, ताकि भालुओं के शहर में घुसने की घटनाएं कम की जा सकें और दोनों, वन्यजीव और इंसान, सुरक्षित रह सकें।

Must Read: गणपत सिंह राठौड़ को किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किया 

पढें जालोर खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें thinQ360 App.

  • Follow us on :