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भारतीय वायुसेना के अनुसार 19 महिला अधिकारियों और विदेशी देशों के 11 अधिकारियों सहित कुल 95 इंजीनियरिंग अधिकारी कॉलेज से उत्तीर्ण हुए हैं। परेड की समीक्षा एयर मार्शल आरजीके कपूर, एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, मध्य वायु कमान, भारतीय वायुसेना द्वारा की गई।
बेंगलुरु | जालोर जिले के धनानी गांव निवासी जयव्रत सिंह चम्पावत भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग आफिसर बन गए हैं। 74 सप्ताह के सफल प्रशिक्षण समापन के बाद बेंगलुरु में शुक्रवार को एयर फोर्स टेक्निकल कॉलेज में 211/22टी/परमानेंट कमीशन और शॉर्ट सर्विस कमीशन/101वें एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कोर्स के अधिकारियों की एक आकर्षक पासिंग आउट परेड (पीओपी) में जयव्रत ने यह सफलता हासिल की है।
पासिंग आउट परेड के बाद जयव्रत सिंह अपने पिता अर्जुनसिंह, माता मुस्कान राणावत और बहिन महिमा चम्पावत से मिलकर खुश नजर आए।
प्रियवृत सिंह जालोर जिले के धनानी गांव निवासी हैं और इनकी शिक्षा उदयपुर में हुई है। उदयपुर से बीटेक करने के बाद वे भारतीय रक्षा सेवा की तैयारी में जुट गए थे।
इनके पिता अर्जुनसिंह धनानी व्यवसाई हैं और बड़े पिता दीप सिंह धनानी भाजपा के नेता हैं। जयव्रत ने बताया कि भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनकर गौरव का अनुभव हो रहा है।
भारतीय वायुसेना के अनुसार 19 महिला अधिकारियों और विदेशी देशों के 11 अधिकारियों सहित कुल 95 इंजीनियरिंग अधिकारी कॉलेज से उत्तीर्ण हुए हैं। परेड की समीक्षा एयर मार्शल आरजीके कपूर, एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, मध्य वायु कमान, भारतीय वायुसेना द्वारा की गई।
मेरे प्रिय स्वजन कुंवर श्री जयव्रत सिंह (ठि. धनानी, जालोर) को बतौर फ़्लाइंग ऑफिसर पासिंग आउट परेड पूर्ण कर भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनने पर हम सभी परिजनों को गर्व है। पूरे धनानी परिवार को बधाई और जयव्रत सिंह को गौरवशाली भविष्य की शुभकामनाएँ…!#IndianAirForce pic.twitter.com/Ry5n6GckZ7
— Vanshvardhan Singh Bundi (@vvsbundi) December 9, 2023
परेड के दौरान डोर्नियर विमान के शानदार फ्लाईपास्ट और उसके बाद भारतीय वायुसेना की 'एयर डेविल्स' टीम के स्काईडाइविंग प्रदर्शन को दर्शकों ने खूब सराहा। 'एयर वॉरियर ड्रिल टीम' (एडब्ल्यूडीटी) ने दर्शकों के लिए रोमांचक प्रदर्शन प्रस्तुत किया।
बाद में, एओसी-इन-सी ने सम्मानित सभा को संबोधित किया और स्नातक अधिकारियों को बधाई दी। अपने संबोधन में, एयर मार्शल ने विशाल और विविध आईएएफ इन्वेंट्री की उच्च सेवाक्षमता सुनिश्चित करने के लिए इंजीनियरिंग अधिकारियों द्वारा की गई महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
उन्होंने उत्तीर्ण होने वाले अधिकारियों से संपत्तियों की उच्च विश्वसनीयता, रखरखाव और क्षमता पर ध्यान केंद्रित करके भविष्य की परिचालन, तकनीकी और रखरखाव चुनौतियों के प्रति सचेत रहने का आह्वान किया।
उन्होंने युवा इंजीनियरिंग अधिकारियों को कौशल को लगातार उन्नत करके और अडिग व्यावसायिकता बनाए रखते हुए तेजी से बदलती तकनीक के साथ तालमेल बिठाने के लिए प्रोत्साहित किया।
नासा की प्रतियोगिता भी जीत चुके हैं जयव्रत
जयव्रत सिंह अध्ययन के दौरान मात्र 14 साल की उम्र में अमेरिका के नासा सेंटर में प्रतियोगिता के दौरान पहला स्थान करके देश का नाम रोशन किया था। उदयपुर के डीपीएस स्कूल के वार्षिक भ्रमण कार्यक्रम में अमेरिका के नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ले जाया गया। वहां क्रिएटिविटी के लिए हुई प्रतियोगिता में रॉकेट मेकिंग एंड डिजानिंग में वे प्रथम रहे थे।
राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी हैं जयव्रत
वे 19 वर्षीय छात्र फुटबॉल प्रतियोगिता में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वे उदयपुर संभाग से राजस्थान की टीम में शामिल होने वाले उस वर्ष के एकमात्र खिलाड़ी थे। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता जो श्रीनगर में हुई। वहां जयव्रत ने प्रभावी प्रदर्शन किया था।