Highlights
- ठाणे के कद्दावर राजनेता थे आनन्द चिंतामणि दिघे
- वर्ष 2022 में उनके जीवन पर बनी धर्मवीर मराठी फिल्म
- ठाणे के ठाकरे भी कहलाते थे आनन्द दिघे
जयपुर। साधारण ऑटो रिक्शा चालक से महाराष्ट्र में राजनीति के शीर्ष पर पहुंचे एकनाथ शिंदे शिवसेना के कद्दावर राजनेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता आनन्द चिंतामणि दिघे की खोज थे। शिंदे भी अपने राजनीतिक गुरु आनन्द दिघे को शिव सेना प्रमुख रहे बाला साहब ठाकरे के बराबर ही सम्मान देते हैं।
शिंदे के पोस्टर पर एक और बाला साहब ठाकरे की फोटो होती है, तो दूसरी ओर आनन्द दिघे की है। शिंदे राजनीतिक मंचों पर आनन्द दिघे के योगदान का बखान करते नहीं थकते हैं।
महाराष्ट्र के ठाणे में शिव सेना का शुरूआती आधार खड़ा करने में आनन्द दिघे का बड़ा योगदान रहा है। आनन्द दिघे न केवल शिव सेना,बल्कि बाला साहब ठाकरे के प्रति पूरी तरह समर्पित थे।
उन्होंने समाज सेवा का रास्ता अख्तियार करने के कारण विवाह नहीं किया। वे अपने घर की बजाय शिव सेना पार्टी के कार्यालय में ही रहते थे। कार्यकर्ता उनके लिए खाना लाते थे।
दिघे ने तन और मन से जनता की सेवा को ही अपने जीवन का मकसद मान लिया था। ठाणे में आनन्द दिघे को आज भी मानने वाले और सम्मान करने वाले लोगों का एक बड़ा वर्ग है, जबकि उनके निधन को दशक बीत चुके हैं।
शिंदे को पठाया राजनीति का पाठ
आनन्द दिघे ने एकनाथ शिंदे की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें राजनीति के मैदान कदम रखवाया था। वर्ष 1997 में शिंदे को ठाणे से पार्षद का पहला टिकट आनन्द दिघे ने ही दिया था। शिंदे ने भी वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री की शपथ लेते हुए आनन्द दिघे का जिक्र किया और कहा था उनकी इस यात्रा में आनन्द दिघे ने गुरू की भूमिका निभाई है। एकनाथ शिंदे वर्ष 2019 में मंत्रीमण्डल शपथ ग्रहण के दौरान भी कहा था कि धर्मवीर आनन्द दिघे की याद में शपथ ले रहे हैं।
दिघे, ज्योतिषाचार्य गुरु अशोक पण्डित की सलाह से ही बढ़ाते थे कदम
देश-विदेश में प्रख्यात ज्योतिषि, मार्गदर्शक एवं आध्यात्मिक गुरु अशोक पण्डित से भी आनन्द दिघे का गहरा रिश्ता रहा है। गुरु अशोक पण्डित ने बताया कि आनन्द दिघे से उनका वर्ष 1994 से 2001 तक जुड़ाव रहा है। गुरु अशोक पण्डित ने बताया कि आनन्द दिघे के निमन्त्रण पर वे हर महीने ठाणे जाते थे। वहां पर उनकी आध्यात्मिक एवं ज्योतिष के मुद्दों पर चर्चा होती थी।
गुरु अशोक ने बताया कि आनन्द दिघे कोई भी नया काम शुरू करने या किसी भी नए व्यक्ति को खुद से जोडऩे से पहले गुरु अशोक से राय लेते थे। गुरु अशोक की राय के बिना आनन्द कोई भी कदम नहीं उठाते थे। आनन्द की की दान-पुण्य में भी काफी दिलचस्पी रहती थी। दान-पुण्य दिघे उनकी राय से ही करते थे।
व्यापारी रत्ती लाल सोनटके के घर होती थी मुलाकात
गुरु अशोक पण्डित के सिरोही से ठाणे आने-जाने का प्रबंध आनन्द दिघे के आदेश पर ठाणे के आनन्द दिघे की करीब दोस्त एवं व्यापारी रत्ती लाल सोनटके करते थे। गुरु अशोक पण्डित व्यापारी सोनटके घर पर ही निवास करते थे। आनन्द दिघे दिनभर जनसेवा में व्यस्त रहते थे। व्यापारी रत्ती लाल सोनटके के घर पर रात को आनन्द दिघे की गुरु अशोक पण्डित से मुलाकात होती थी।
सारनेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी है गुरु अशोक पण्डित
विद्वान ज्योतिषाचार्य, भविष्यवक्ता एवं आध्यात्मिक गुरु अशोक पण्डित सिरोही के सारनेश्वर महादेव मंदिर, सिरोही के मुख्य पुजारी है। व्यापारी, राजनेता, अभिनेता, पुलिस एवं प्रशासन के बड़े अधिकारी उनके शिष्य है। विदेशों में रहने वाले उनके शिष्य भी अपने भविष्य, व्यापार एवं नौकरी को लेकर उनसे मार्गदर्शन लेते हैं। देश एवं विदेश में उन्हें कई पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। उन्हें राज्य सरकार की ओर से भी सम्मानित किया जा चुका है।