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राजस्थान में डॉक्टर और सरकार के बीच चल रहे वॉर की मार जनता पर पड़ रही है। एक और जहां डॉक्टर अस्पताल छोड़कर सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं वहीं अस्पतालों में मरीज दर्द से कहरा रहे हैं। डॉक्टरों के आंदोलन की ’राह’ पर चलने से ’जनता की राह’ मुश्किल हो गई है। सड़कें जाम हो गई हैं।
जयपुर | राजस्थान में डॉक्टर और सरकार के बीच चल रहे वॉर की मार जनता पर पड़ रही है। एक और जहां डॉक्टर अस्पताल छोड़कर सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं वहीं अस्पतालों में मरीज दर्द से कहरा रहे हैं।
डॉक्टरों के आंदोलन की ’राह’ पर चलने से ’जनता की राह’ मुश्किल हो गई है। सड़कें जाम हो गई हैं।
पहले राजस्थान सरकार यह निर्धारित करे कि डॉक्टर व्यवसाई हैं या सेवक ?
— Dr Amit Gupta (@agupta_7) March 27, 2023
अगर सेवक हैं तो डॉक्टरों और उनके संस्थानों को Taxes, Regulatory Acts और Consumer Protection Acts से बाहर रखें तथा मुफ्त बिजली, सुरक्षा, न्यूनतम आय गारंटी व कर्ज माफी जैसी अन्य सुविधाएं दे।
अगर डॉक्टर व्यवसाई… pic.twitter.com/tapKLhHdWo
राजस्थान में ’राइट टू हेल्थ बिल’ को सरकार लागू करने पर अड़ी हुई है तो डॉक्टर इसे वापस लेने के लिए आंदोलन की अलख जगाए हुए हैं।
ये मामला केवल सड़कों का ही ट्रैफिक नहीं बिगाड़ रहा है बल्कि सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दें को लेकर भारी ट्रैफिक दिखाई दे रहा है।
इस मुद्दे को लेकर कोई सरकार को तो कोई डॉक्टर्र्स को समर्थन देने में लगा है।
राजस्थान सरकार ने लम्बे विचार विमर्श के बाद स्वास्थ्य का अधिकार क़ानून पारित करके बड़ा काम किया है.राजस्थान देश का पहला प्रदेश बना है जिसने अपने नागरिकों को इलाज की क़ानूनन गारंटी प्रदान की है.इस बात की सर्वत्र सराहना हुई है लेकिन राजस्थान के निजी चिकित्सालय हड़ताल पर चले गये है pic.twitter.com/ieRX4Yaz4T
— Bhanwar Meghwanshi (@bhanwarmegh) March 28, 2023
इस गतिरोध के बीच गहलोत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा का भी बड़ा बयान सामने आया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में डॉक्टरों के इस बर्ताव की निंदा की है।
स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों द्वारा राजधानी जयपुर में किए गए महाबंद को गलत ठहराते हुए कहा है कि, क्या ऐसा करने से सरकार बिल वापस ले लेगी क्या? किसी भी सूरत में ’राइट टू हेल्थ बिल’ वापस नहीं लिया जाएगा।
मंत्री महोदय ने एक इंटरव्यू में कहा है कि, चिकित्सक अपने धर्म का पानल करें। जनता के कानून का विरोध करना उचित नहीं है। इस अनुचित मांग में रेजीडेंट्स का हड़ताल को समर्थन देना कतई सही नहीं है।
खैर! अब जो कुछ भी हो, भले ही ये बिल जनता के हित में हैं लेकिन डॉक्टरों के इस तरह से काम का बहिष्कार करने से जान भी जनता की ही जा रही है, तो सड़कों पर लग रहे जाम के चलते जनता ही परेशानी उठा रही हैं।