Highlights
- खुद को मुख्यमंत्री के संकट मोचक की भूमिका में देखने वाले केबिनेट मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी तथा आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ खुद संकट में है।
- एआइसीसी की सूची में धारीवाल ,जोशी और राठौड़ के नाम नहीं देख गहलोत खेमे में गम पसरता नजर आ रहा है। हालाँकि,राजस्थान से बने एआईसीसी सदस्यों में गहलोत का वर्चस्व इकतरफा है। लेकिन इस सूची से गहलोत खेमे के इन तीन नामों का नहीं होना ,इस खेमे को किसी आशंका से डरा रहा है।
- धारीवाल ,जोशी और राठौड़ ही वह प्रमुख सूत्रधार हैं ,जिन पर कांग्रेस पर्यवेक्षकों के साथ मुख्यमंत्री निवास में विधायक दल की बैठक से अलग समानांतर बैठक के आयोजन के आरोप हैं।
Jaipur | अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के लिए राजस्थान से बनाये गये 75 सदस्यों की सूची के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे में जश्न का जो माहौल बनना चाहिए, वह बना नहीं।
वह भी उस सूरत में जब गहलोत को पार्टी में लगातार चुनौती दे रहे सचिन पायलट के करीबी कहे जाने वाले सिर्फ 4 ही लोग इस कमेटी के सदस्य बन पाये हैं। यानी, सत्ता -संगठन ने जुगलबंदी कर पायलट खेमे को इस रेस में काफी पीछे छोड़, अपने पसंदीदा सदस्य बनवाने में कामयाबी हासिल की है।
सचिन पायलट के खिलाफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा के बीच बने समन्वय ने सचमुच ऐसा कमाल कर दिया है कि गहलोत खेमे को कई दिन जश्न मनाने का बहाना मिल गया है ।
खुशियां कम ,हजार गम
लेकिन हालत "कभी ख़ुशी ,कभी गम" वाले हैं। सूची में इकतरफा नाम देख यह खेमा खुश होता भी नहीं कि मुख्यमंत्री के मर्जीदान माने जाने वाले केबिनेट मंत्रियों शांति धारीवाल और महेश जोशी तथा आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ के नाम नहीं देख इस खेमे में गम पसरता नजर आ रहा है।
एआईसीसी की इस सूची से गहलोत खेमे के इन तीन नामों का नहीं होना ,राजस्थान कांग्रेस की भावी राजनीति की और इशारा करता नजर आ रहा है। इस खेमे की बेचैनी की वजह यही है।
बता दें कि धारीवाल ,जोशी और राठौड़ ही वह प्रमुख सूत्रधार हैं ,जिन्होंने कांग्रेस पर्यवेक्षकों के साथ मुख्यमंत्री निवास में विधायक दल की बैठक से इतर समानांतर बैठक का आयोजन किया।
खुद शांति धारीवाल के सरकारी निवास पर इस समानांतर बैठक के जरिये विधायकों को हाईकमान के खिलाफ खड़े करने का खेल रच गया। उनके कथित इस्तीफे भी इसी जगह लेकर विधान सभा अध्यक्ष तक पहुंचाए गए। तर्क यह था कि सदन का नेता यानी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा किसी और को बनाया गया तो हमारा इस्तीफ़ा स्वीकार कर लें।
सबक सिखायेगा आलाकमान
इसी मामले में एआईसीसी की अनुशासन समिति ने तीनों को कारण बताओ नोटिस जारी भी किये। यह अलग बात है कि उस नोटिस के महीनों बाद भी फैसला नहीं आया। अब जबकि एआईसीसी सदस्यों की लिस्ट से तीनों के नाम नदारद हैं ,यह तय मान लिया गया है कि कांग्रेस अपनी ऐतिहासिक "फजीती" को भूलने वाली नहीं।
जल्द ही तीनों के खिलाफ बड़े एक्शन की सम्भावना है। गहलोत खेमे में यह डर इसलिए भी है क्योंकि महेश जोशी का एक पद -मुख्य सचेतक से इस्तीफा हो चुका है और पार्टी के ही बड़े नेता एक-एक कर कई विकेट गिरने की और इशारे कर रहे हैं।
रविवार -19 फरवरी की देर शाम को जारी राजस्थान से बनाए गए 75 नए AICC सदस्यों की इस सूची में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ,राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के नाम शामिल हैं।
कई मंत्री, विधायक और संगठन के पदाधिकारियों को भी इस सूची में जगह दी गई है। लेकिन 55 निर्वाचित सदस्य और 20 मनोनीत सदस्य बनाये गये हैं। जिसमे चार को छोड़ ज्यादातर गहलोत खेमे के हैं।
चिंता से निकलने की चुनौती
मूड इस बात से बिगड़ गया है कि गहलोत के तीनों कर्णधारों के इस सूची में नाम नहीं। सूत्रों का दावा है कि तीनों को पार्टी से विदा करने की पटकथा पार्टी हाईकमान को अलग-अलग स्तर पर मिले फीडबैक के बाद तैयार हो गयी है। सब कुछ हाईकमान के मुताबिक चला तो जल्द ही इसका एलान भी हो जाएगा। ऐसा हुआ तो न सिर्फ तीनों को पद त्यागने होंगे ,पार्टी से बाहर का रास्ता भी देखना होगा।
लेकिन ,गहलोत खेमे को अपने नेता के जादू पर अब भी भरोसा है और जयपुर से वाया मुंबई दिल्ली तक सक्रिय उस लॉबी पर भी पक्का यकीन है जो जब भी गहलोत पर संकट आता है ,सक्रिय होती है और डेंजर जॉन से बाहर ले जादूगर को नए जादू के लिए सुरक्षित कर लेती है।