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अली-गनी बंधु ने फिर एक बार प्रदेश का नाम रोशन किया
बीकानेर जिले के गांव तेजरासर में जन्में दो भाइयों-अली और गनी की संगीतकार
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरूवार को गनी मोहम्मद और अली मोहम्मद को कला के क्षेत्र में पद्मश्री प्रदान किया
जयपुर | राजस्थान के मांड गायकी(Mand singing) के बादशाह अली-गनी बंधु ने फिर एक बार प्रदेश का नाम रोशन किया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरूवार को गनी मोहम्मद और अली मोहम्मद को कला के क्षेत्र में पद्मश्री प्रदान किया। राजस्थान के लोक संगीत ‘मांड’ के प्रसिद्ध गायक हैं। उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय(National) और अंतर्राष्ट्रीय(international) मंचों पर प्रदर्शन किया है और इस लोक गायन शैली को पुनर्जीवित(revive) करने में मदद की।
मांड गायकी ‘बादशाह’ अली-गनी
बीकानेर के तेजरासर जैसे छोटे से गांव से निकलने वाले अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद भाइयों की जोड़ी को पद्मश्री सम्मान से पुरस्कृत(Awarded) किया जाएगा। दोनों भाइयों की जोड़ी ने गजल गायकी(ghazal singing) को नए मक़ाम पर पहुंचाया है। अली- गनी बंधुओं ने गजल को सुगम और सहज संगीत के साथ जोड़ा। इतना ही नहीं राजस्थान की पारम्पारिक(traditional) मांड गायकी में भी इनका बड़ा नाम है। दोनों की जोड़ी ने कई हिंदी फिल्मों(hindi movies) में गजल गायकों पंकज उदास, मनोहर उदास और अनूप जलोटा के लिए भी संगीत दिया है।
दिवंगत फिल्म अभिनेता(film star) ओमपुरी की आखिरी फिल्म ‘मिस्टर कबाड़ी’ में एक कव्वाली है- ‘ये रात गजब की आई है, महफिल पे जवानी छाई है।’ ओमपुरी की पहली पत्नी सीमा कपूर द्वारा लिखित और निर्देशित इस फिल्म में यह कव्वाली ओम पुरी और अन्नू कपूर पर फिल्माई(filmed) गई है। इसका संगीत बीकानेर जिले के गांव तेजरासर में जन्में दो भाइयों-अली और गनी की संगीतकार जोड़ी ने दिया।
अली-गनी ने इन फिल्मों दिया संगीत
मुंबई में लगभग दो दशक से संगीत की दुनिया में जूझ रहे अली-गनी ने ‘मिस्टर कबाड़ी’ के साथ एक नई दस्तक दी है, जिसे कुल 5 गानों में से तीन गानों को संगीत के सुरों से इन्होंने बांधा है। इनमें ‘तेरा इशारा दे दे’ और ‘मन मेरा राम ही राम’ गीत शामिल है। खास बात यह है कि गनी ने इस कव्वाली में अपनी आवाज भी दी है। इससे पहले कुछ समय पूर्व आई फिल्म ‘कंपनी बारात’ में भी ये संगीत दे चुके हैं।
असल में, दोनों भाइयों अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद ने 80 के दशक की शुरुआत में जब अपना गांव छोड़ने का फैसला किया तो आंखों में मुंबई का सपना था, लेकिन उन्होंने पहले रुख किया कोलकाता का। गनी बताते हैं, ‘हम पहले कोलकाता इसलिए गए कि मुंबई जाने से पहले कुछ ‘पॉलिश’ हो जाए। हमारे पिता सिराजुद्दीन जो रेडियो पर गाते थे, उन्होंने हमें यह सलाह दी |' कोलकाता में दोनों भाइयों ने गजलों और राजस्थानी मांड गीतों(mand songs) के कई कार्यक्रम दिए और 7-8 साल बाद मुंबई पहुंच गए।
उदित नारायण, साधना सरगम, सोनू निगम, शान, अनुराधा पोडवाल, मोहम्मद अजीज जैसे नामी(famous) गायकों ने इनके संगीत निर्देशन में गाया है। पंकज उधास की ‘मैं नशे में हूं’ और रूपकुमार राठौर-सोनाली राठौर की ‘लड़कियां समझती हैं’ जैसी कई मशहूर गजलों को इन्होंने संगीत के सुरों से सजाया है। फिल्म ‘मिस्टर कबाड़ी’ के बाद अब वे फिल्म संगीत में जुट गए हैं। साठ वर्ष की उम्र पार कर चुके दोनों संगीतकार भाई अब संगीत के एक नए सफर(journey) पर चल पड़े हैं।
इस साल 132 लोगों को चुना पद्म पुरस्कार के लिए
इस साल 132 लोगों को पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया। जिसमें 5 पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 110 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। पुरस्कार विजेताओं में से 30 महिलाएं हैं और सूची में विदेशी / एनआरआई(NRI) / पीआईओ(PIO) / ओसीआई(OCI) श्रेणी के 8 व्यक्ति और 9 मरणोपरांत पुरस्कार विजेता भी शामिल हैं।