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बेमौसम बारिश ने जहां अप्रैल-मई में पड़ने वाली भीषण गर्मी से लोगों को राहत दी है, वहीं जयपुर, अजमेर और टोंक के लोगों को पानी पिलाने वाले बीसलपुर बांध को भी भर दिया है।
जयपुर | राजस्थान में बार-बार बदल रहे मौसम के कारण हो रही बारिश भले ही किसानों के लिए आफत बनकर बरसी हो, लेकिन राजस्थान के तीन जिलों को पानी पिलाने वाले बीसलपुर बांध के लिए तो अमृत के रूप में बरसी है।
इस बेमौसम बारिश ने जहां अप्रैल-मई में पड़ने वाली भीषण गर्मी से लोगों को राहत दी है, वहीं जयपुर, अजमेर और टोंक के लोगों को पानी पिलाने वाले बीसलपुर बांध को भी भर दिया है।
बांध में आए पानी से बांध का जलस्तर घटने के बजाए बढ़ गया है। जिसके चलते माना जा रहा है कि अब साल 2024 तक पानी की टेंशन नहीं रहेगी।
गौरतलब है कि राजस्थान में बार-बार बन रहे बरसाती तंत्र के चलते कई जिलों में जोरदार बारिश दर्ज की गई है।
ऐसे में बीसलपुर बांध में भी पानी की आवक दर्ज की गई है। बीते पांच दिन में बांध में पानी की इतनी आवक हो गई कि एक करोड़ लोग करीब तीन दिन तक पानी पी सकते हैं।
बीसलपुर के इतिहास में पहला मौका
अप्रैल माह में चला बारिश का दौर बीसलपुर के इतिहास में ऐसा पहला मौका है जब बांध का जलस्तर गिरा नहीं है।
दरअसल, बांध से पानी की तीन जिलों को आपूर्ति की जाती है। ऐसे में बांध का जलस्तर कम हो जाता है, लेकिन पहली बार बांध में लगातार पानी की आवक होने से पानी का जलस्तर घटा नहीं बल्कि बढ़ा है।
इसलिए हुआ ऐसा
राजस्थान में बीते दिनों बदले मौसम से वाष्पीकरण में खर्च होने वाला पानी कम मात्रा में खर्च हुआ। गर्मी के दौरान वाष्पीकरण होने से बांध से करीब दो सेन्टीमीटर पानी भाप बनकर उड़ जाता है, जो बच गया। इसी के साथ बांध के आस-पास अच्छी बारिश भी होने से बांध में पानी की आवक हुई।
गौरतलब है कि बीसलपुर बांध से पेयजल सप्लाई के लिए प्रतिदिन करीब 900 एमएलडी पानी लिया जाता है।
जिसमें राजधानी जयपुर के लिए 625, अजमेर के लिए 325 और टोंक के लिए करीब 55 एमएलडी पानी की सप्लाई की जाती है।
अभी बांध का जलस्तर 313.40 आरएल मीटर के करीब बना हुआ है।
कब हुआ था बीसलपुर बांध का निर्माण ?
बीसलपुर बांध का निर्माण 1987 में शुरु किया गया था। इसके बाद 1994 में इस बांध से अजमेर शहर को पेयजल सप्लाई से जोड़ा गया था। साल 1996 में बांध का पूर्ण निर्माण कर लिया गया था।