कागजों में गोदाम हकीकत में ठेका: : अवैध रूप से गुजरात जाती है करोड़ों की सरकारी शराब

अवैध रूप से गुजरात जाती है करोड़ों की सरकारी शराब
राजस्थान गुजरात बॉर्डर पर वाइन शॉप
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सिरोही जिले के सियावा और उसके आसपास के क्षेत्रों में शराब की अवैध बिक्री का मामला गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। सियावा गांव, जिसकी आबादी मात्र 5,500 है और जहां लगभग 1,800 बच्चे 10 वर्ष से कम उम्र के हैं, वहां शराब की बिक्री लाखों में हो रही है। हैरानी की बात यह है कि गांव में अधिकांश आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं, जो सामान्यतः महुए से देसी शराब तैयार कर सेवन करते हैं। फिर भी, ठेकों से इतनी बड़ी मात्रा में शराब बेची जा रही है, जो प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाती है।

गुजरात के मद्य-निषेध सपने को धता बताने वाली हकीकत

सिरोही | गुजरात सीमा से महज कुछ कदम की दूरी पर स्थित छापरी चेकपोस्ट पर शराब की एक अवैध दुकान संचालित हो रही है, जिसे कागजों में गोदाम बताया गया है। यहां खुलेआम शराब बेची जा रही है, जबकि राजस्थान के कानून के अनुसार ग्रामीण इलाके में हाईवे से 220 मीटर की दूरी पर ही शराब दुकान होनी चाहिए। साथ ही विज्ञापन भी निषेध है। परन्तु इस तरह के ठेके गुजरात के मद्य-निषेध कानून को धता बताने के साथ-साथ राजस्थान के आबकारी विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करते हैं।

 सियावा गांव, जिसकी आबादी मात्र 5,500 है और जहां लगभग 1,800 बच्चे 10 वर्ष से कम उम्र के हैं, वहां शराब की बिक्री लाखों में हो रही है। हैरानी की बात यह है कि गांव में अधिकांश आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं, जो सामान्यतः महुए से देसी शराब तैयार कर सेवन करते हैं। फिर भी, ठेकों से इतनी बड़ी मात्रा में शराब बेची जा रही है, जो प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाती है।


यह स्थिति राज्य सरकार के सामने तस्वीरों, आंकड़ों और साक्ष्यों के साथ पेश है। अगर इसके बावजूद भजनलाल शर्मा की सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मद्य-निषेध सपने से अधिक रेवेन्यू कलेक्शन को प्राथमिकता देती है, तो यह एक गंभीर मसला है।


सिरोही की शराब खपत: आंकड़े बनाम हकीकत
अगर हम आंकड़ों की बात करें, तो 2011 की जनगणना के अनुसार सिरोही की आबादी 1 लाख 36 हजार 346 थी, लेकिन साल 2023-24 में इस जिले ने 331 करोड़ रुपये की शराब की खपत की। यह खपत दर्शाती है गुजरात में अवैध रूप से सप्लाई होने वाली शराब का योगदान महत्वपूर्ण है। बॉर्डर के ठेकों से बिकती करोड़ों की शराब इसकी बड़ी वजह है और आबकारी विभाग के अफसर आंखें मूंदे हुए हैं।

पाली जिले, जिसकी आबादी 2011 में 20 लाख से अधिक थी, वहां की शराब खपत सिरोही के बराबर है। इससे स्पष्ट है कि सिरोही का बड़ा हिस्सा गुजरात में अवैध रूप से शराब सप्लाई करने में भी लगा हुआ है। छापरी चेकपोस्ट पर चल रही अवैध दुकान इसका एक स्पष्ट उदाहरण है।

शराबखोरी में सिरोही की खपत और राजस्थान सरकार की नीति  
राजस्थान का सिरोही जिला, जो प्रदेश के क्षेत्रफल का मात्र 1.51 प्रतिशत है, राज्य में शराब खपत के मामले में काफी आगे है। सिरोही की प्रति व्यक्ति शराब खपत सालाना 3,400 रुपये तक पहुंच गई है, जबकि पूरे प्रदेश की औसत खपत 1,600 रुपये प्रति व्यक्ति है। यह स्थिति तब है जब राजस्थान सरकार शराब नीति को 'मद्य संयम' के रूप में प्रचारित करती है। 

सिरोही में शराब की इतनी खपत इस बात की ओर इशारा करती है कि राज्य सरकार रेवेन्यू कलेक्शन पर अधिक जोर दे रही है। 

गुजरात का इतिहास और सिरोही की भूमिका


1956 में जब गुजरात बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा था, तब आबूरोड और इसके आस-पास का क्षेत्र इसी प्रेसिडेंसी में आता था। आज यह इलाका गुजरात के मद्य-निषेध कानून का उल्लंघन करके शराब की सप्लाई का मुख्य केंद्र बन गया है। सिरोही, जालोर, डूंगरपुर, और बांसवाड़ा के जिले अवैध शराब सप्लाई में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। 

रात 8 बजे के बाद शराब की बिक्री पर प्रतिबंध और हाईवे पर विज्ञापन के नियम यहां धता बता दिए जाते हैं। छापरी चेकपोस्ट पर अवैध रूप से संचालित दुकान इसका बड़ा उदाहरण है।

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