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विधायन के सिद्धान्त रचने वाले जॉन आस्टिन के शब्दों में कहें तो विधि का आदेश सर्वोपरि! यह सरकारों पर भी लागू होता है और लोकतंत्र में शामिल पार्टियों पर भी। कोई भी पार्टी अपने निर्णय को बदलने में यदि छह—छह महीने लगा दे तो उसका भविष्य क्या होगा।
राजस्थान में कांग्रेस अपने तीन नेताओं के खिलाफ कोई कार्यवाही तक नहीं कर पाई है, जिन्होंने अनुशासनहीनता तो छोड़िए साजिश रच डाली। इसी बीच बीजेपी ने एक बड़ा फैसला लेकर खेल कर दिया है।
Jaipur | भारतीय जनता पार्टी ने चलते बजट सत्र में प्रतिपक्ष नेता गुलाबचंद कटारिया को राज्यपाल बनाकर यह साबित कर दिया है कि फैसले लेने में उसका मुकाबला मौजूदा कांग्रेस तो नहीं कर सकती।
एक साथ तेरह राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में राज्यपाल बदले गए हैं, वह भी ऐसे समय में जबकि केन्द्र समेत लगभग सभी राज्यों में विधायी सभाओं में बजट सत्र चल रहे हैं।
किसी भी शासन में साफ और त्वरित निर्णय उसकी सबसे बड़ी विशेषता होती है।
विधायन के सिद्धान्त रचने वाले जॉन आस्टिन के शब्दों में कहें तो विधि का आदेश सर्वोपरि! यह सरकारों पर भी लागू होता है और लोकतंत्र में शामिल पार्टियों पर भी। कोई भी पार्टी अपने निर्णय को बदलने में यदि छह—छह महीने लगा दे तो उसका भविष्य क्या होगा।
राजस्थान में कांग्रेस अपने तीन नेताओं के खिलाफ कोई कार्यवाही तक नहीं कर पाई है, जिन्होंने अनुशासनहीनता तो छोड़िए साजिश रच डाली। इसी बीच बीजेपी ने एक बड़ा फैसला लेकर खेल कर दिया है।
जी हां! खेल हुआ है राजस्थान को लेकर जिसका फैसला कांग्रेस में पेंडिंग है, लेकिन बीजेपी समय नहीं लगाती। मुख्यमंत्री की कुर्सी की दौड़ में चल रहे मेवाड़ के क्षत्रप गुलाबचंद कटारिया को असम भेज दिया गया है, राज्यपाल बनाकर।
सवाल यह है कि चलते बजट सत्र में जब कांग्रेस को घेरने की जरूरत थी तो ऐसा अभी क्यों किया गया? परन्तु कटारिया 75 प्लस के हो चुके हैं और बीजेपी ने उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डालने से पहले के आउटर सिग्नल पर खड़ा कर दिया है। अगला नम्बर कैलाश मेघवाल का हो सकता है। राजस्थान की राजनीति में इस निर्णय का बड़ा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि सीएम के चेहरे की दौड़ में एक प्रमुख नेता हटा दिए गए हैं।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु के हस्ताक्षर वाले आदेशा में कटारिया को असम सौंपा गया है। हालांकि इससे पहले राजस्थान के दो मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर को 2008 में और उनसे पहले हरिदेव जोशी को 1989 में असम का राज्यपाल बनाकर भेजा गया था। राजस्थान के ही जाए जन्मे भंवरलाल पुरोहित मौजूदा राज्यपाल जगदीश मुखी से पहले असम के राज्यपाल थे।
राष्ट्रपति ने यह बनाए राज्यपाल
इससे पहले उत्तरांचल के वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर रमेश बैस को महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी दी है । बैस झारखंड के राज्यपाल से महाराष्ट्र के राज्यपाल बनाये गये हैं। भगत सिंह कोश्यारी के साथ ही राष्ट्रपति मुर्मू ने लद्दाख के उपराज्यपाल राधा कृष्णन माथुर का इस्तीफा भी मंजूर कर लिया है।
इनके अलावा राष्ट्रपति ने तेरह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में राज्यपाल, उप राज्यपाल नियुक्ति के जरिये बड़ा बदलाव किया है।
इस बदलाव में राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाया गया है। कटारिया की यह नियुक्ति उस वक्त की गयी है जब राजस्थान में बजट सत्र चल रहा है और कटारिया बतौर नेता प्रतिपक्ष गहलोत सरकार को घेरने में जुटे हैं। इससे पहले राजस्थान के दो पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी और शिवचरण माथुर भी असम में राज्यपाल की भूमिका निभा चुके हैं।
बैस और कटारिया के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला को हिमाचल प्रदेश,लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक को अरुणाचल प्रदेश,लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सिक्किम, सीपी राधाकृष्णनन को झारखंड, रिटायर्ड जस्टिस एस. अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश,बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़,अनुसुईया उइके को मणिपुर, एल. गणेशन को नगालैंड,फागू चौहान को मेघालय,राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को बिहार और ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) बीडी मिश्रा को लद्दाख का उपराज्यपाल बनाया गया है।
सूत्रों के अनुसार अगले चरण में जब भी राज्यपाल नियुक्त होंगे राजस्थान के वरिष्ठ नेता कैलाश मेघवाल समेत कई बड़े नेताओं को सक्रिय राजनीति से विदा कर राज्यपाल बनाया जायेगा।