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निचली अदालत द्वारा गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ धौलपुर विधायक शोभारानी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके बाद हाई कोर्ट में जस्टिस अनिल उपमन की अदालत ने उनकी गिरफ्तारी वारंट पर अंतरिम रोक लगा दी है।
धौलपुर | राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के घमासान के बीच कांग्रेस से धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाह (Shobha Rani Kushwaha) को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है।
राजस्थान हाई कोर्ट ने धोखाधड़ी मामले में शोभारानी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
बता दें कि निचली अदालत ने शोभारानी कुशवाह के खिलाफ धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
हाई कोर्ट में दायर की थी याचिका
निचली अदालत द्वारा गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ धौलपुर विधायक शोभारानी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
जिसके बाद हाई कोर्ट में जस्टिस अनिल उपमन की अदालत ने उनकी गिरफ्तारी वारंट पर अंतरिम रोक लगा दी है।
शोभारानी कुशवाह का राजनीतिक सफर
भाजपा की विधायक शोभारानी कुशवाह हमेशा से ही सुर्खियों में छाई रही हैं।
विधायक शोभारानी कुशवाह के पति बनवारी लाल कुशवाह एक उद्योगपति हैं। वह जमालपुर मनिया के निवासी हैं।
बीएल कुशवाहा 2013 में बसपा की टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने थे। इसके बाद बीएल कुशवाह हत्या के मामले में जेल में सजा काट रहे हैं।दिल्ली
साल 2017 में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने बीएल कुशवाह की पत्नी शोभारानी कुशवाह को टिकट दिया था। शोभारानी कुशवाह ने चुनाव में जीत हासिल की थी।
इसके बाद साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने शोभारानी कुशवाह को टिकट देकर अपना उम्मीदवार बनाया और शोभारानी ने इस चुनाव में भी जीत हासिल की।
क्या है धोखाधड़ी का मामला ?
गौरतलब है कि धौलपुर के मथुरा गेट थाने में विधायक शोभारानी, उनके पति और पूर्व विधायक रहे बनवारी लाल कुशवाह समेत अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज है।
13 जनवरी 2017 को श्यामबाबू शर्मा ने एक कंपनी के निदेशकों के खिलाफ आईपीसी की धारा-420, 406 और 120 बी में मुकदमा दर्ज कराया था।
जांच के बाद पुलिस ने विधायक के पति बनवारी लाल कुशवाहा के खिलाफ चालान पेश किया। एक दर्जनभर लोगों के खिलाफ जांच लंबित रखी।
जिस पर निचली कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2022 को प्रसंज्ञान लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए थे।
इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई कि उनका इस मामले में कंपनी से कोई संबंध नहीं है और ना ही वह कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल है।
वह सिर्फ शेयर होल्डर है और वह कंपनी के कार्यों में भाग नहीं लेती थी। ऐसे में कथित अपराध के लिए निदेशक मंडल ही जिम्मेदार है। उनका इससे कोई लेना देना नहीं है।