Highlights
भरतपुर में माली, कुशवाह, शाक्य और मौर्य समाज के लोगों ने 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर आगरा-बीकानेर हाइवे जाम कर दिया है। भरतपुर जिला प्रशासन ने स्थिति बिगड़ने से पहले ही जिले के कई शहरों में इंटरनेट सेवाओं को तत्काल बंद कर दिया है।
भरतपुर | राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से पहले एक बार फिर से आरक्षण की चिंगारी ने आग पकड़ ली है।
गुर्जरों के बाद अब भरतपुर में माली समाज के लोगों ने 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर आगरा-बीकानेर हाइवे जाम कर दिया है।
लोगों के आक्रामक रूख को देखते हुए भरतपुर जिला प्रशासन ने स्थिति बिगड़ने से पहले ही शुक्रवार रात 12 बजे से शनिवार रात 12 बजे तक 24 घंटे के लिए इंटरनेट बंद करने के आदेश जारी कर दिए। जिले के कई शहरों में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया है। ऐसे में नदबई, वैर और भुसावर में इंटरनेट सेवाएं बंद हो गई है।
माली, कुशवाह, शाक्य और मौर्य समाज के लोग आरक्षण की मांग को लेकर अरौंदा गांव के पास हाइवे पर बैठे हैं।
आगरा-बीकानेर हाईवे पर आंदोलनकारियों ने कब्जा कर रखा है। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भर कर लोग का यहां आना जारी है।
आंदोलन स्थल पर महिलाएं भी हाथों में लाठियां लेकर बैठी हुई हैं।
समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि, मांगों को लेकर पहले से ही 21 अप्रेल को ही हाईवे जाम की चेतावनी दे दी गई थी। जिसे सरकार ने हल्के में लिया और कोई ध्यान नहीं दिया।
नदबई के विधायक जोगेंद्र सिंह अवाना ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग करने के लिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की और कहा कि सरकार को इस मुद्दे को हल करना चाहिए।
अवाना ने कहा कि उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में CM अशोक गहलोत की सभा के दौरान माली समुदाय के लिए आरक्षण की मांग का समर्थन किया था।
इसलिए बढ़ गया जनआक्रोश
बताया जा रहा है कि आरक्षण आंदोलन संघर्ष समिति ने आरक्षण सहित अन्य मांगों को लेकर हाइवे पर चक्काजाम करने की चेतावनी दी थी, लेकिन इससे पहले ही पुलिस ने समिति के संयोजक मुरारीलाल सैनी समेत कई प्रतिनिधियों को हिरासत में ले लिया। इससे समाज के लोगों को गुस्सा बढ़ गया और प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया।
बीती शाम पुलिस पर से आमना-सामना, पथराव
आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलनकारियों ने शुक्रवार शाम अरौंदा गांव के पास पुलिस बल पर पथराव कर दिया। जिससे माहौल और भी तनावपूर्ण हो गया।
आंदोलनकारियों ने मार्ग को जाम करने का प्रयास किया। जिसे लेकर पुलिस और प्रदर्शनकारियों में जंग छिड़ गई।
ऐसे में पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए आंसू गैस के गोले छोड़े और लोगों को वहां से खदेड़ा।
इसके अलावा हलैना-वैर मार्ग पर भी रमासपुर गांव के पास पुलिस और प्रदर्शनकारी भिड़ते नजर आए।
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव करते हुए भुसावर क्षेत्र के बल्लभगढ़ में पुलिस की गाड़ी के कांच तोड़ दिए।
सैंकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी हाथों में लाठियां लेकर डटे रहेे।
वहीं दूसरी ओर, समाज के दूसरे गुट ने प्रमुख शासन सचिव समित शर्मा से मुलाकात कर अपनी मांगों को उनके सामने रखा।
आपको बता दें कि, इससे पहले इस समाज के लोगों ने 12 जून 2022 को भी आरक्षण की मांग को बुलंद करते हुए आंदोलन किया था जो नौ दिन चला था। जिसके बाद मंत्री विश्वेंद्र सिंह के आश्वासन पर मामला ठंडा पड़ गया था।
अरौंदा गांव और आस-पास का इलाका माली, कुशवाह, शाक्य और मौर्य समाज के लोगों का गढ़ माना जाता है और यहां से तीन विधानसभा सीटों पर इनका प्रभुत्व रहा है।
ऐसे में भरतपुर की नदबई और वैर के साथ-साथ दौसा की महवा विधानसभा सीट पर समाज का बड़ा वोट बैंक है।
क्या है समाज की मांगें?
कुशवाह, मौर्य, माली समाज ने सरकार के सामने मुख्य रूप से तीन मांगें रखी है। जिनमें -
- समाज को 12 प्रतिशत आरक्षण अलग से दिए जाने की मांग।
- नवकुश कल्याण बोर्ड का गठन करना।
- राज्य और जिला स्तरीय लव-कुश छात्रावास का निर्माण कराना।