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एक आदिवासी समुदाय से आने वाली पूजा मीणा का यह आरोप संगीन है
आरएएस के तौर पर पहली पोस्टिंग जयपुर में मिली थी। करीब 32 साल के पूरे प्रशासनिक जीवन में कभी भी जयपुर से बाहर नहीं गए
पवन और सुषमा की जन्मतिथि देखें तो मात्र सात माह का अंतर दोनों के बीच है
अफसरों के बीच की यह खाई क्यों, कैसे और कितनी गहरी हुई है। हम नहीं जानते, लेकिन प्रशासनिक सेवाओं में इनका चयन जनसेवा के लिए है। इन आरोपों में वह कहीं नजर नहीं आ रही
जयपुर | देश में विधायिका का सबसे बड़ा आयोजन जयपुर में चल रहा है। वहीं कार्यपालिका में बड़ा बम एक महिला अधिकारी ने फोड़ दिया है।
मंत्री और आईएएस से परेशान इस अफसर ने कहा है कि डीएलबी के दाई माई कहे जाने वाले पवन अरोड़ा जो कि एक प्रमोटी आईएएस हैं सेक्स रैकेट चलाते हैं।
अधिकारियों की इस जूतमपैजार ने चौड़े की है प्रदेश सरकार में अफसरों की स्थिति।
एक आदिवासी समुदाय से आने वाली पूजा मीणा का यह आरोप संगीन है।
हालांकि थिंक360 ने जब पक्ष जानने की कोशिश की तो पवन अरोड़ा ने इन आरोपों पर झूठा और बेबुनियाद दो शब्द लिखते हुए और अधिक पक्ष रखने से इनकार कर दिया।
आपको याद होगा कि कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ देश में जो कानून बना वह राजस्थान ही की देन है।
विशाखा बनाम स्टेट आफ राजस्थान फैसला पूरे देश में नजीर है। परन्तु राजस्थान ही में इस कानून की स्थिति को महिला कार्मिकों—अफसरों की स्थिति पूजा मीणा का बयान करता है।
आईएएस अफसर पवन अरोड़ा मूलत: गंगानगर के रहने वाले हैं और पोस्टिंग के लिहाज से सारी ही सरकारों में खास स्थान पाते हैं। फिलहाल वे हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त हैं।
आरएएस के तौर पर पहली पोस्टिंग जयपुर में मिली थी। जानकर हैरत होगी कि करीब 32 साल के पूरे प्रशासनिक जीवन में कभी भी जयपुर से बाहर नहीं गए। भले आरएएस रहो या आईएएस।
सरकार किसी की भी हों पवन अरोड़ा का मामला एकदम चौचक रहता है। इनकी बहन भी आईएएस हैं और वे भी 32 साल में जयपुर से बाहर मात्र तीन महीनों के लिए उदयपुर पोस्टिंग पर रही हैं।
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तीन भाई बहन आए राज्य प्रशासनिक सेवा में
पवन अरोड़ा के बड़े भाई जगदीश चन्द्र अरोड़ा एक चैनल के हैड हैं। वे छोटे भाई पवन और बहन सुषमा को भी प्रशासनिक सेवा में लाने के मार्गदर्शक बने।
बड़े भाई जगदीश सबसे पहले आरएएस बने और फिर पवन। पवन के बाद बहन सुषमा भी इस सेवा में आए। पवन और सुषमा दोनों ही को पहली पोस्टिंग जयपुर में मिली थी।
तब से ये जयपुर में ही विभिन्न विभागों में सेवाएं दे रहे हैं।
बाद में जब जगदीश अरोड़ा प्रमोट होकर आईएएस बने तो वे भी लगातार चर्चा में बने रहे। डीओपी पर पवन और सुषमा की जन्मतिथि देखें तो मात्र सात माह का अंतर दोनों के बीच है।
पक्ष रखने को कहा तो बोले सॉरी
थिंक ने पूजा मीणा से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे नॉट अवेलेबल रही। पवन अरोड़ा ने सिर्फ दो शब्द लिखे 'झूठे और बेबुनियाद।' जब पक्ष रखने के लिए कहा गया तो वे बोले सॉरी।
अफसरों के बीच की यह खाई क्यों, कैसे और कितनी गहरी हुई है। हम नहीं जानते, लेकिन प्रशासनिक सेवाओं में इनका चयन जनसेवा के लिए है।
उसमें आरोपों के सच्चे या झूठे होने से फर्क नहीं पड़ता। परन्तु प्रदेश की मौजूदा सरकार में कार्यपालिका अपने कामों को लेकर कितनी सजग है। उसका उदाहरण इन आरोपों से स्पष्ट होता है। और इन आरोपों में वह सजगता कहीं नजर नहीं आ रही.
यह है पूजा मीणा का आरोप
पूजा मीणा का आरोप है- "औरतों को मेरे पीछे लगा रखा है। उन औरतों को अधिकारियों से जोड़ता है, ताकि उनक को फंसाकर रखे। मुझसे जुड़ेंगी तो इनकी सच्चाई उजागर होगी। सच्चाई को उजागर होने से बचाने के लिए सारी हरकतें करता है। फेक न्यूज लगाना। फेक वीडियो बनाना, पेक आईडी बनाना, मेरी लोकेश ट्रैस करना, हैकिंग करना। झूठे मैसेज बना देगा। चार्जशीट बना देगा।"