Highlights
विभिन्न न्यायिक निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया
सुप्रीम कोर्ट एवं हाइकोर्ट द्वारा पूर्व के प्रकरणों में भी आयोग के पक्ष में निर्णय दिया गया
भर्ती परीक्षाओं को समय पर सम्पन्न करने में सहायता के साथ अभ्यर्थियों को भी राहत मिलेगी
अभ्यर्थियों केे समय एवं धन की हो सकेगी बचत- संजय श्रोत्रिय(आयोग अध्यक्ष)
यह भी देखने में आया है कि अभ्यर्थियों द्वारा मुकदमा दायर के विषय प्रमुखतः उत्तर कुंजी वैधता(answer key validity), स्केलिंग, श्रेणी तथा वर्ग परिवर्तन इत्यादि रहते हैं। इसी कारण आयोग द्वारा विभिन्न न्यायालयों द्वारा निर्णित चुनिंदा निर्णयों का चयन कर आयोग की वेबसाइट पर डाला गया है ताकि संशय(Doubt) की स्थिति में अभ्यर्थी इनका अवलोकन कर सके। इससे अभ्यर्थियों द्वारा विभिन्न न्यायिक वादों के दौरान व्यय किए जाने वाले समय एवं धन की बचत हो सकेगी।
वास्तविक एवं सटीक जानकारी हो सकेगी प्राप्त- रामनिवास मेहता(आयोग सचिव)
आयोग सचिव मेहता ने जानकारी देते हुए बताया कि समान बिन्दु जिन पर पूर्व में भी उच्चतम् एवं उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय पारित किए जा चुके हैं, को लेकर भी अभ्यर्थियों द्वारा मुकदमा दायर(filed suit) कर दिए जाते हैं। इस कारण अभ्यर्थियों को समय, श्रम एवं संसाधनों की हानि उठानी पड़ती है। इसके दृष्टिगत्(visually) अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन हेतु आयोग की विधि शाखा द्वारा काफी समय से विषयवार निर्णयों(subject wise decisions) को छांटकर भर्ती परीक्षाओं को चुनौती दिए जाने वाले समस्त मुद्दों पर न्यायालय के निर्णयों को सूचीबद्ध किए जाने का कार्य किया जा रहा था।
आयोग के उक्त नवाचार से अभ्यर्थियों को भर्ती परीक्षा संबंधी विभिन्न बिंदुओं के संबंध में वास्तविक एवं सटीक जानकारी प्राप्त हो सकेगी साथ ही भ्रमवश(out of confusion) अभ्यर्थियों द्वारा किए जाने वाले अनावश्यक मुकदमेबाजी(Litigation) में भी कमी आने की संभावना है। इससे भर्ती परीक्षाओं को समय पर सम्पन्न करने में सहायता के साथ अभ्यर्थियों को भी राहत मिलेगी।
आयोग द्वारा वर्तमान में 32 बिंदुओं से संबंधित न्यायालय निर्णयों को वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इनमें भर्ती परीक्षाओं से संबंधित विभिन्न न्यायिक मुद्दों यथा निर्धारित तिथि तक वांछित योग्यता धारित(possessing the desired qualification) करने के संबंध में, उत्तर कुंजी वैधता(answer key validity) के संबंध में, श्रेणी वर्ग परिवर्तन, स्केलिंग, जैसे बिंदु सम्मिलित हैं। इन्हें जानकारी के अभाव में अभ्यर्थियों द्वारा बार-बार आक्षेपित किया जाकर अनावश्यक वादकरण(unnecessary litigation) उत्पन्न किया जाता है, जिससे आयोग व अभ्यर्थियों के महत्वपूर्ण संसाधनों का अपव्यय होता है।