लोकसभा चुनाव-2024: गुजरात के भरुच में भाजपा की नज़रे बाप, आप और बसपा पर , अब दिखेगी भगवा की राजनीती

गुजरात के भरुच में भाजपा की नज़रे बाप, आप और बसपा पर , अब दिखेगी भगवा की राजनीती
अब दिखेगी भगवा की राजनीती
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Highlights

  • इंडिया गठबंधन से आप ने देडियापाडा विधानसभा क्षेत्र से अपने विधायक 36 साल के चैतरभाई दामजीभाई वसावा को उनकी लड़ाकू छवि को कैश करने के लिहाज उतारा है।
  • बाप की ओर से दिलीपभाई छोटूभाई वसावा और बसपा से चेतनभाई कांजीभाई वसावा अखाड़े में हैं। ये चारों प्रमुख प्रत्याशी आदिवासी हैं।

गुजरात | नर्मदा विश्रामस्थली (खंभात की खाड़ी) क्षेत्र को अपने में समेटे गुजरात की भरूच (bharuch) लोकसभा सीट पर राजनीति और राजनीतिज्ञों के स्तर पर विश्राम नहीं दिखता। भाजपा और कांग्रेस की यहां हार-जीत होती रही. सयासी तौैर पर अथक संघर्ष जारी रहा, इस बार भी है. इस बार लड़ाई भाजपा और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच है, परंतु आदिवासी बहुल वोटर होनेे के नाते भारत आदिवासी पार्टी (BAP) भी चर्चा में है. भाजपा ने 1998 के उपचुुनाव से लगातार जीतकर सियासी-सिक्सर मार चुके 66 वर्षीय मनसुखभाई धनजीभाई वसावा (mansukhbhai dhanajibhai vasava) को प्रत्याशी बनाया है.

66 वर्षीय बुजुर्ग मनसुख के सामने 36 साल के युवा चैतर वसावा

इंडिया गठबंधन से आप ने देडियापाडा (dediyapada) विधानसभा क्षेत्र से अपने विधायक 36 साल के चैतरभाई दामजीभाई वसावा को उनकी लड़ाकू छवि को कैश करने के लिहाज उतारा है। बाप की ओर से दिलीपभाई छोटूभाई वसावा और बसपा से चेतनभाई कांजीभाई वसावा अखाड़े में हैं। ये चारों प्रमुख प्रत्याशी आदिवासी हैं। एक जमाने में कांग्रेस के संंकटमोचक रहे अहमद पटेल के मिलते-जुलते नाम से इस्माइल अहमद पटेल निर्दलीय उम्मीदवार भी हैं।

BAP, AAP, BSP पर टिकी बीजेपी की नजरे  

गौरतलब है कि सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (statue of unity) इसी इलाके में है। यह स्टैच्यू विश्वभर में चर्चित है। ढाई दशक से भरूच की जनता जिन्हें अपना मुखिया (leader) सरदार चुनती आ रही है, इस बार उनकी किस्मत आप (AAP), बाप(BAP) और बसपा(BSP) के प्रदर्शन पर टिकी है। सवा सत्रह (17) लाख वोटर वाला भरूच संसदीय क्षेत्र है। करीब 40 फीसदी आदिवासी और 20 से 22 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाताओं पर सभी दलों की नजर है। औद्योगिक क्षेत्र अंकलेश्वर, भरूच में प्रवासी मतदाता भी असरदार हैं।

लोगो की जुबानी अब अच्छा हुआ है 

मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहे भरूच के राहुल कहते हैं कि हम पीएम नरेंद्र मोदी के काम और उनकी लीडरशिप को देखकर ही वोट देते रहे हैं. हमारे लिए प्रत्याशी मायने नहीं रखते. राजस्थान के पाली मूल के बाबूलाल (babulal) अंकलेश्वर में मिठाई की दुकान चलाते हैं, जिनका कहना हैं कि मोदी और बीजेपी की सरकार आने से गुंडागर्दी और अपराध कम हुए हैं. पहले अंकलेश्वर बस अड्डे से रेलवे स्टेशन तक या किसी भी रोड पर महिलाएं नहीं निकलती. महिलाओं का अपहरण हो जाता था. अब कानून व्यवस्था अव्वल है।

भाजपा राज में महंगाई की मार है 

अंकलेश्वर के पिरामन गांव के अब्बास शाह (abbas shah) कहते हैं कि झाड़ू का जोर है। चैतर वसावा पूरे जोर से चुनाव लड़ रहे हैं। देखते हैं क्या होता है। यहीं के सुलेमान कहते हैं कि हमारे जीवन में पहली बार है कि इधर कांग्रेस नहीं लड़ रही है। महंगाई बेरोजगारी बड़े मुद्दे हैं। समुदायों के बीच बढ़ती दूरियां कम होनी चाहिए, नहीं तो आने वाली पीढ़ी आपसी सौहार्द को भूल जाएगी। 

पिरामन नाका पर चाय की दुकान के साथ बीमा एजेंट अल्पेश (alpesh) का मानना है कि चैतर वसावा और मनसुख में टक्कर है। वे यह भी कहते हैं कि मतदान के तुरंत बाद ही संबंधित बूथ के वोट गिन लिए जाएं तो अच्छा हो. एक व्यक्ति नेे नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि यदि आप पार्टी को मुस्लिम और आदिवासी अच्छे से वोट करें तो परिणाम बीजेपी को चौंका सकता है. अंकलेश्वर के बाहरी क्षोर पर बसी आदिवासी कच्ची बस्ती की भारती वसावा(bharati vasava) कहती हैं कि अभी सब अच्छा है। आगे भी अच्छा होगा.

युवा आदिवासी शर्मिला वसावा (sharmila vasava) कहती हैं कि परिवर्तन होना चाहिए। महंगाई बढ़ी है। 22 साल की ज्योति वसावा (jyoti vasava) कहती हैं कि कुछ पता नहीं चलता कि कौन नेता अच्छा और कौन खराब है. हमारी कोई सुनवाई नहीं है। 25 साल के युवा सुमित कहते हैं. कि कि पेट्रोल के दाम बहुत बढ़ गए हैं. बदलाव होते रहना चाहिए.

भाजपा को मोदी की वजह से फायदा होता है 

मनसुख वसावा बड़ा आदिवासी चेहरा हैैं. सांसद हैैं. पहली मोदी कैबिनेट के सदस्य रहे. सबसे बड़ा आधार पीएम नरेंद्र मोदी (narendra modi) का चेहरा और गुजरात मॉडल (gujrat modal) है. क्षेत्र में औद्योगिक विकास, सड़क, परिवहन की सुविधाएं बढऩे, पर्यटन बढऩे के साथ मोदी के नेतृत्व में देश आगेे बढऩे और आदिवासियों का विकास होने के दावे-वादों पर उन्हें भरोसा है. ग्रामीण क्षेत्रों के युवा आदिवासी मतदाता तक अपनी बात ले जाना उनके लिए चुुनौती है. साथ ही अल्पसंख्यक मतदाताओं के एक हिस्से को पहले की तरह अपने साथ जोड़े रखना भी संगठन औैर मनसुख (mansukh) दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण होगा.

आदिवासियों के मुद्दों पर चैैतर वसावा की प्रतिकिर्या नहीं 

भरुच के आप के प्रत्याशी चैैतर वसावा हाल ही में जेल से लौटे हैं। चैतर को हाईकोर्ट (high court) ने राहत देते हुए जमानत की शर्तें लचीली की, वरना वे अपने संसदीय क्षेत्र में प्रचार ही नहीं कर पाते. आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते वक्त उन पर वनकर्मियों के साथ मारपीट का आरोप है. लोग चैतर के जेल जाने की खासतौर से चर्चा कर रहे हैं. आप पार्टी आदिवासियों के बीच संविधान, लोकतंत्र और आरक्षण पर अपनी बात रख रही है। नर्मदा और अन्य नदियों पर सिंचाई, बिजली परियोजनाओं सहित अन्य निर्माण कार्यों को लेकर आदिवासियों की चिंताओं को लेकर भी आप मुखर है.

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