Highlights
इस संसार में बसो जरूर पर फंसो नहीं: महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज
- अखिल भारतीय भगवतगीता महासम्मेलन का शुभारंभ
- अयोध्याधाम और छत्तीसगढ़ से पहुंचे संत-महात्मा
आबू रोड (सिरोही )। ब्रह्माकुमारीज़ के शांतिवन परिसर में बुधवार से अखिल भारतीय भगवतगीता महासम्मेलन शुभारंभ हुआ। इसमें देश के अलग-अलग स्थानों से संत-महात्मा और महामंडलेश्वर भाग लेने पहुंचे हैं।
भगवत गीता विभाग द्वारा आयोजित इस पांच दिवसीय सम्मेलन में संत-महात्मा भगवत गीता ज्ञान पर मंथन-चिंतन करेंगे। शुभारंभ पर पटौदी से आए मुख्य अतिथि हरिमंदिर संस्कृत महाविद्यालय के महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज ने कहा कि यहां वह पुण्य भूमि है जहां का कण-कण शांति का संदेश देता है।
यहां पवित्र वातावरण, वायुमंडल अद्भुत है। प्रजापिता ब्रह्मा बाबा परमात्मा का संदेश लेकर आए। यहां की ब्रह्माकुमारी बहनों का जीवन मानव उत्थान के लिए समर्पित है। इस संस्थान में पिछले 20 वर्षों से आ रहा हूं। यहां की बहनों की त्याग-तपस्या का साक्षी रहा हूं।
उन्होंने कहा कि गीता में वर्णित धर्मग्लानि अभी भी है। इसे समाप्त करने के लिए, इस धरती पर शांति का साम्राज्य स्थापित करने के लिए, शांति का संदेश देने के लिए यह ईश्वरीय विश्व विद्यालय जो संदेश दे रहा है वह अद्भुत है।
गीता में दिया गया ज्ञान- नष्टोमोहा स्मृतिलब्धा। यहां ज्ञान सुनने के बाद हम भी नष्टोमोहा स्मृतिलब्धा हो गए। हमारा भी मोह खत्म हो गया। जब-जब इस धरा पर धर्म की ग्लानि होती है तो भगवान अवतार लेते रहते हैं।
वह पृथ्वी पर आते हैं। आज जो जीवन की पद्धति है, घर-परिवारों में जो स्थिति है, ऐसे में गीता ज्ञान के द्वारा ही कल्याण और शांति संभव है।
मन को बदलना होगा, संसार अपने आप बदल जाएगा। हम यहां बैठे-बैठे सभी विकारों का त्याग कर सकते हैं। इस संसार में बसो जरूर पर फंसो नहीं
गीताजी को जीवन में उतारना होगा-
सिरोही से आए श्रीपति धाम नंदनवन के संस्थापक गोविंद बल्लभदास महाराज ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में हजारों भाई-बहनें समर्पित रूप से सेवा कर रहे हैं।
इन सबका एक ही उद्देश्य है कि सबका भला हो। सबका एक ही उद्देश्य है कि लोगों को ज्ञान मिले।
आज हमें सम्मेलन करने की जरूरत इसलिए पड़ी हम लोग गीताजी को तो पढ़ते हैं लेकिन गीताजी की बातों को जीवन नहीं उतारते हैं।
इसका सबसे मुख्य कारण है कि हमारा आहार शुद्धि नहीं है। आज हम जो भी खा रहे हैं, सबमें कैमिमल है, रासायनिक है। गोमाता के बिना भगवान की कल्पना की जा नहीं सकती है।
परमात्मा करते हैं नई सृष्टि की स्थापना-
संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन भाई ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा भगवान का संदेश दिया जा रहा है। संस्थान का उद्देश्य है ईश्वरीय संदेश देना। हम विश्व बंधुत्व की बात करते हैं।
हम वसुधैव कुटुम्बकम् की बात करते हैं। यही संदेश देना संस्थान का मुख्य उद्देश्य है। गीता में साफ लिखा है कि मैं युगे-युगे इस धरा पर आकर ब्रह्मा तन का आधार लेकर नई सतयुगी सृष्टि की स्थापना करता हूं। मानव का फिर से देव समान बनने की शिक्षा देता हूं।
परमात्मा खुद अपना परिचय देते हैं-
वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका व गीता विशेषज्ञ बीके ऊषा दीदी ने कहा कि परमात्मा इस धरा पर आकर खुद अपना परिचय देते हैं कि मैं अजन्मा हूं, अभोक्ता हूं।
परमात्मा निराकार साकार में मानव तन का आधार लेकर गीता ज्ञान देते हैं। इस सम्मेलन में हम जानेंगे कि गीता के भगवान कौन हैं?
गीता ज्ञान आखिर कब दिया गया? 1937 में स्थापित आज यह ईश्वरीय विश्व विद्यालय विश्वभर में गीता ज्ञान दे रहा है। संस्थान की वरिष्ठ दादियों की अथक मेहनत, त्याग-तपस्या का परिणाम है कि बहुत छोटे रूप में शुरू हुआ यह विश्व विद्यालय आज इतना वृहद रूप ले चुका है।
गीता योग शास्त्र है। गीता हमें बताती है कि आप देह नहीं आप आत्मा हो, आप अजर-अविनासी हूं। गीता के भगवान ने अपना सत्य परिचय देते हुए कहा कि मैं निराकार हूं, ज्योतिर्बिंदू स्वरूप हूं।
अपने मन को निराकार सर्वशक्तिमान परमात्मा पर केंद्रित करना ही राजयोग है। यदि हम राजयोग का अभ्यास करते हैं, अपना ध्यान निराकार परमात्मा पर लगाते हैं तो वह पापकटेश्वर परमात्मा हमारे पापों को नष्ट कर देते हैं।
उन्होंने राजयोग का अभ्यास कराते हुए कहा कि खुद को अनुभव करें कि मैं अजर-अमर-अविनाशी आत्मा हूं। मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं। मैं ज्योतिर्बिंदू स्वरूप आत्मा हूं। मेरा वास्तविक घर परमधाम है।
अतिथियों का किया सम्मान-
संचालन ओआरसी दिल्ली की निदेशिका बीके आशा दीदी ने किया। मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। गुजरात से पधारीं गायक बीके डॉ. दामिनी बहन ने निराकार शिव हैं आए, गीता का ज्ञान सुनाए गीत की प्रस्तुति दी। तिलक, बैज और अंगवस्त्र के द्वारा सभी अतिथियों का सम्मान किया गया।