राजस्थान का अद्भुत किला: बालू-रेत और पत्थर से बिखरती है सोने जैसी आभा

बालू-रेत और पत्थर से बिखरती है सोने जैसी आभा
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Highlights

स्वर्णिम आभा को देखने के लिए विदेशों से लोग यहां आते हैं और आश्यर्चचकित रह जाते हैं कि, पत्थरों और रेत-बालू से बना ये किला सोने जैसी आभा कैसे बिखेरता है। 

जैसलमेर | भारत राजा-महाराजाओं का देश रहा है और भारत को कभी सोने की चिड़िया भी कहा जाता था। 

राजा-महाराजाओं की शानोशौकत आज भी लोगों को आश्चर्यचकित कर देती है। 

उनके द्वारा बनवाए गए भव्य किले और इमारते आज भी उनके जीवनकाल की गाथा गाते हैं। 

देश में एक किला ऐसा भी है जो भले ही ’सोने’ का नहीं है लेकिन फिर भी ’सोने’ की तरह ही चमकता है। 

इसकी स्वर्णिम आभा को देखने के लिए विदेशों से लोग यहां आते हैं और आश्यर्चचकित रह जाते हैं कि, पत्थरों और रेत-बालू से बना ये किला सोने जैसी आभा कैसे बिखेरता है। 

राजस्थान में है ये स्वर्णिम किला

सोने जैसी आभा भिखेरने वाला ये अद्भुत किला राजस्थान में है और इसका नाम ’सोनार’ किला है।  इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।

राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित ये किला विदेशी पर्यटकों के लिए बेहद अनोखा है। विदेशी सैलानी इस किले को ’गोल्डन फोर्ट’ के नाम से पुकारते हैं। 

इस किले पर जैसे ही सूर्य की रोशनी पड़ती है वैसे ही ये किला स्वर्णिम आभा बिखेरने लगता है।

दूर से देखने पर लगता है जैसे कोई सोने का महल खड़ा हो। 

राजस्थान में वैसे तो एक से बढ़कर एक कई रहस्यमयी किले हैं, लेकिन सोनार किला इनमें सबसे अद्भुत है। 

जैसलमेर किला अपनी हवेलियों के लिए भी प्रसिद्ध है। किले के भीतर पटवों की हवेली, सलीम सिंह की हवेली और नथमल की हवेली जैसी हवेलियाँ जटिल पत्थर की नक्काशी, विस्तृत अग्रभाग और उत्कृष्ट शिल्प कौशल का प्रदर्शन करती हैं।

’सोने’ से पत्थर और रेत से बना है ये किला

जैसलमेर की शान इस सोनार किले को बनाने के लिए किसी प्रकार के चुने या गारे का इस्तेमाल नहीं किया गया है बल्कि इस किले को बनाने के लिए पीले पत्थरों का उपयोग किया गया है। 

कई प्रकार के पीले एवं सुनहरे पत्थरों का उपयोग इस किले की दिवारों में किया गया है। 

इन पत्थरों पर किसी भी प्रकार की कोई रंगाई-पुताई भी नहीं की गई है। जिसके कारण इन पत्थरों का रंग आज भी वैसा ही बरकरार है। 

अब जब इन पर सूर्य की किरणे पड़ती हैं तो ये किला सोने सा चमक उठाता है जैसे वाकई में सोने का ही बना हो।

कई युद्धों का साक्षी रहा है सोनार किला

यह किला त्रिकुट पहाड़ी पर स्थित है। सन 1156 में इस किले का निर्माण भाटी राजपूत राजा रावल जैसल ने करवाया था। जैसलमेर के राजा ’जैसल’ के नाम पर ही इस किले का नाम जैसलमेर फोर्ट रखा गया। 

इस किला कई ऐतिहासिक युद्धों का साक्षी रहा है। इस किले पर अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया और इसे अपने कब्जे में ले लिया था। 

इस किले पर राजपूत राजाओं के अलावा मुग़लों ने भी राज किया था। जिसके चलते किले में राजपूत एवं मुस्लिम कला शैलियों का संगम देखने को मिलता है।

बेहद विशाल है गोल्डन फोर्ट

सोनार किला तीन मंजिला है और इसमें पहली मंजिल पर राज सभा का बहुत ही विशाल कक्ष बना हुआ है। 

इस किले की लंबाई 150 फिट और चौड़ाई 750 फिट है। किले में प्रवेश के लिए कई द्वार बने हुए हैं जो इसकी सुरक्षा को मजबूती देते हैं। 

इन द्वारों में अखाई पोल, हवा पोल, सूरज पोल और गणेश पोल प्रमुख हैं। इन दरवाजों पर भी शानदार स्थापत्य कला की छाप दिखाई देती है।

किले को देखने का समय और प्रवेश शुल्क

पर्यटकों के लिए ये किला सुबह 9 बजे से लेकर शाम को 5 बजे तक खुला रहता है। 

भारतीय पर्यटकों के लिए टिकट की दर 50 रूपये प्रति व्यक्ति है जबकि, विदेशी पर्यटकों के लिए 250 रुपये प्रति व्यक्ति टिकट  लगता है। इसके अलावा कैमरा चार्ज 50 रुपये और वीडियो कैमरा चार्ज 100 रुपये अलग से भुगतान करना होता है। 

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