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सांचौर के विधायक जीवाराम चौधरी के भाई जिन्हें नरेंद्र चौधरी के नाम से भी जाना जाता है सहित समाज की कई प्रमुख हस्तियां अब टिकट की कतार में है।
सर्द मौसम के बावजूद, कमल के खिलने को सुनिश्चित करने के लिए भाजपा के प्रयासों पर चर्चा गर्म है, जो सीट जीतने की उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। बीजेपी का गढ़ रहे कलबी समुदाय ने कुछ विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका निभाई है.
आठ में से केवल चार विधानसभाएं अपने पक्ष में होने से भाजपा को रणनीतिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। परंपरागत रूप से भाजपा के साथ जुड़े कलबी समुदाय दानाराम चौधरी जैसे दावेदारों के पिछले चुनाव में विद्रोह ने राजनीतिक नाटक में जटिलता की एक परत जोड़ दी है।
जालोर—सिरोही लोकसभा का टिकट मांग रहे कळबी समाज के बड़े नेता जयपुर में डेरा डाले हुए है। इनका पहला उद्देश्य है इन्हीं में से किसी को टिकट मिले, इसके लिए लॉबिंग। भाजपा के आसान मानी जा रही इस सीट पर दावेदारों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
राजनीतिक युद्ध का मैदान गर्म है, जहां कलबी समुदाय के प्रभावशाली नेता प्रतिष्ठित लोकसभा टिकट के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। परंपरागत रूप से भाजपा के लिए अनुकूल इस सीट पर दावेदारों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है, जिससे राजनीतिक परिदृश्य में साज़िश और उत्साह बढ़ गया है।
प्रतिष्ठित लोकसभा टिकट की तलाश में ये नेता अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जयपुर में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, भाजपा संगठनात्मक नेताओं और आरएसएस पदाधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं।
जीवाराम चौधरी यानि कि सांचौर से विधायक के भाई नरेन्द्र चौधरी ने भी इस सीट के लिए अपनी दावेदारी जता दी है। जीवाराम चौधरी सांचौर इलाके में बीजेपी को जमाने वाले माने जाते हैं और लगातार—लगातार चुनाव लड़कर बीजेपी को जिताते या हराते रहे हैं।
नरेन्द्र चौधरी चौधरी का दावा उन्हें अब कळबी समाज के युवा नेताओं में से एक दावेदार के रूप में पेश कर रहा है तो अन्य दावेदार भी मैदान में है। इसी बीच देवजी पटेल को छोड़कर लगभग सभी बड़े राजनेताओं का जयपुर में डेरा इशारा कर रहा है कि कळबी नेता इस सीट का दावा बीजेपी से छोड़ने को तैयार नहीं है।
जबकि यह समाज जोधपुर की लूणी, बाड़मेर की पचपदरा, चित्तौड़गढ़ की निम्बाहेड़ा, पाली की बाली, जालोर—सिरोही की लगभग सभी सीटों पर अपना प्रभावी वोट बैंक रखता है।
गुजरात से सटी जालोर—सिरोही लोकसभा सीट में गर्माहट बढ़ने लगी है। मौसम सर्द है। बावजूद इसके इस गर्माहट में चर्चा है कि कमल कुम्हला न जाए यानि कि बीजेपी टिकट देने के लिए फूंक—फूंककर कदम रख रही है। ऐसे में जबकि आठ विधानसभाओं में से चार ही उसके पास है।
ऐसे में जबकि कळबी समाज जिसे सर्वाधिक सीटें बीजेपी इस लोकसभा में दे रही है, बावजूद इसके विधानसभा में कमल के साथ कहीं—कहीं खेला हो गया। दावेदारों में विधानसभा चुनाव के वक्त से पहला नाम देवजी पटेल के अलावा किसी का आया तो वह दानाराम चौधरी का आया।
जब टिकट कटा और वे बागी हो गए तो जीवाराम चौधरी ने अपना अंतिम चुनाव कहते हुए बागी चुनाव लड़ा और वे दानाराम चौधरी के समर्पण की वजह से जीत भी गए। विश्वासघात शब्द ने इसमें भावनात्मक पुट जोड़ा।
दानाराम सांचौर से दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं। इसी बीच अब जीवाराम चौधरी के भाई नरेन्द्र चौधरी की दावेदारी ने इस पुट को और भी सशक्त कर दिया है। नरेन्द्र चौधरी मुम्बई में व्यवसाई हैं और अब लोकसभा के लिए दावेदारी जता रहे हैं। खैर! बीजेपी इस बार राम के नाम पर चुनाव लड़ेगी।
ऐसे में प्रत्याशियों में एक नाम रामचन्द्र धनजी चौधरी का भी है। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट आरडी चौधरी बीजेपी में पुराने समय से सक्रिय बताए जाते हैं। मूलत: जालोर जिले के सीकवाड़ा गांव के रहने वाले हैं।
इसी तरह सिरोही के जिलाध्यक्ष रह चुके और प्रधान रह चुके लुबाराम चौधरी भी अपनी दावेदारी को जता रहे हैं। लुम्बाराम चौधरी पुराने भाजपाई हैं और संगठन में समर्पण के नाते दावा कर रहे हैं। भीनमाल के व्यवसाई प्रेम सिंह राव की दावेदारी ने इन नेताओं को एक जाजम पर आकर कळबी समाज के टिकट के लिए लॉबिंग के लिए आगे किया है। ऐसे में ये नेता अब जयपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, भाजपा संगठन और आरएसएस के पदाधिकारियों से संपर्क साध रहे हैं।
जैसे-जैसे लोकसभा टिकट की दौड़ तेज होती जा रही है, जालोर-सिरोही के राजनीतिक परिदृश्य में गठबंधन, महत्वाकांक्षाओं और रणनीतिक दांव-पेचों का आकर्षक मिश्रण देखने को मिल रहा है। इस मनोरंजक राजनीतिक गाथा पर अधिक अपडेट के लिए बने रहें! ????️????