Jawai Dam Rajasthan: पाली में संभागीय आयुक्त बैठने से क्या जवाई बांध की समस्या से जालोर को छुटकारा मिलेगा

पाली में संभागीय आयुक्त बैठने से क्या जवाई बांध की समस्या से जालोर को छुटकारा मिलेगा
Jalore Jawai Dam Water Release in River
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इस बार पेयजल का संकट कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन क्या जवाई बांध चुनावी मुद्दा बनेगा। यह सबसे बड़ा सवाल है

अभी मानसून के दो महीने बाकी है, बांध 87 फीसदी भरा हुआ है। एक मीटर से भी कम खाली है, लेकिन क्या जवाई नदी में पानी छोड़ा जाएगा। फिलहाल यह सवाल ही मौन है

जयपुर | जालोर जिले के लिए वरदान कम समस्या अधिक बना हुआ जवाई बांध अभी भी प्रभावी जल वितरण की मांग से जूझ रहा है। पुनर्भरण के नाम पर लोगों ने वोटों की पेटी तो भरवा ली, लेकिन आज तक सिस्टम का सुधारा नहीं हो पाया है। लेकिन कभी सरसब्ज रहे जालोर के लोग जवाई बांध की वजह से या तो प्यासे मरते हैं या बाढ़ झेलते हैं।

अब पाली में संभागीय आयुक्त बैठने लगे हैं तो जालोर के लोगों की भी उम्मीद जगी है कि उन्हें इसके पानी में हिस्सा मिलेगा। हर बार विधानसभा चुनाव में जवाई पुनर्भरण समेत तमाम दावों का कहते हुए सुमेरपुर और पाली विधानसभा में वोट लिए जाते हैं। इस बार पेयजल का संकट कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन क्या जवाई बांध चुनावी मुद्दा बनेगा। यह सबसे बड़ा सवाल है।

इस बार मेह मेहरबान है और पाली, जालोर व सिरोही में अत्यधिक वर्षा हुई है। जालोर में अब तक 257 मिमि के मुकाबले 693 यानि कि 170 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। पाली में 292 मिमि के मुकाबले 629 यानि कि 115 फीसदी अधिक और  सिरोही में 528 मिमि के अनुपात में 99.5 फीसदी अधिक बारिश हुई है। परन्तु जालोर के लोग जवाई बांध के पानी को रबी में सिंचाई से पहले नदी में पानी छोड़ने के लिए मांगते है, ताकि कुएं रिचार्ज हो सकें।

राज्य सरकार ने अब पानी को अलग संभाग बनाकर यहां ​संभागीय आयुक्त की नियुक्ति भी कर दी है। ऐसे में लोगों की उम्मीदें जवाई बांध को लेकर जगी हैं।

अभी मानसून के दो महीने बाकी है, बांध 87 फीसदी भरा हुआ है। एक मीटर से भी कम खाली है, लेकिन क्या जवाई नदी में पानी छोड़ा जाएगा। फिलहाल यह सवाल ही मौन है। 

जवाई बांध के भराव के ताजा हाल

जवाई बांध की कुल क्षमता 61.25 फीट है, जिसमें से वह 57.75 फीट (87.63%) तक भर चुका है। अभी करीब डेढ़ महीने का मानसून आगे पड़ा है। सावन ही आधा बाकी है। भाद्रपद और आश्विन में भी यहां बारिश होती है। ऐसे में फिलहाल जवाई बांध में 6453.75 एमसीएफटी पानी आ चुका है। जबकि इसकी क्षमता 7328 एमसीएफटी ही है। यदि एक घंटा इसके जलग्रहण क्षेत्र में मूसलाधार बारिश हो जाती है तो निश्चित तौर पर बाढ़ के हालात बनेंगे।

इससे पहले 2006 और 2017 में अचानक तेज बारिश आने के कारण जवाई बांध के गेट आनन—फानन में खोलने पड़े थे और जालोर जिले में बाढ़ आ गई थी। जिला मुख्यालय का संपर्क कई दिनों तक कटा रहा था। फाटक खोलने या नहीं खोलने, सिंचाई के​ लिए पानी देने या नहीं देने का निर्णय संभागीय आयुक्त को एक व्यवस्था तय करके करना चाहिए।

पाली—जालोर और कुछ सिरोही के हिस्सों को जवाई बांध में आने वाले पानी से कई उम्मीदें जगती है। बांध के पेटे में अधिकांशतया प्रभावशाली लोगों की जमीनें हैं और ऐसे में इस बांध के लगभग पूरा भर जाने पर भी पानी रिलीज नहीं किया जाता।

भले ही यह जवाई में ही क्यों न भर जाए और आगे मानसून पूरा पड़ा हो। यह बांध जल वितरण कमांड क्षेत्र वाले विभाग का हिस्सा नहीं होकर संभागीय आयुक्त की मर्सी पर टिकता है और यह मर्सी पाली जिले के विधायकों के दबाव पर कायम होती है।

ऐसे में जालोर जिला, जिसके हिस्से का पानी इस बांध में रोका जाता है उसके हिस्से आता है बाढ़ अथवा सूखा। कभी सदानीरा रही जवाई नदी हर साल आस करती है कि उसके तल में पानी आएगा, लेकिन राजनीतिक कृपा जोधपुर संभागीय कार्यालय में अटकी ही रही।

क्या यह कृपा इस बार पाली कार्यालय में अटकेगी या आगे बढ़ेगी, यह देखने वाली बात होगी। पाली को संभाग मुख्यालय बनाए जाने से जालोर का कितना फायदा हुआ है यह तो समझ से परे है, क्योंकि दोनों ही मुख्यालयों की दूरी में कोई ज्यादा अंतर नहीं है।

पहले बहाव का इलाका था

गौर करने वाली बात यह है कि 1940 से पहले तक बांध का निर्माण नहीं होने पर यह पूरा बहाव क्षेत्र था और पानी का बहाव जालोर से बागोड़ा होते हुए नेहड़ क्षेत्र तक था। बांध बनने के बार धीरे धीरे बहाव नहीं के बराबर ही रह गया। चूंकि जवाई नदी क्षेत्र के सभी कृषि कुएं और खेत इस बहाव पर निर्भर थे और वर्तमान स्थिति में पानी नहीं मिलने से ये बदहाल है तो इस अधिकार के तहत इन कुओं के किसानों को इस पानी पर पुस्तैनी अधिकार है।

उच्च न्यायालयों में हो चुकी है बहस

तटवर्ती अधिकार को लेकर मद्रास और पटना उच्च न्यायालयों में बहस भी हो चुकी है। जिसमें ऊपरी स्तर पर पानी के स्टॉक से निचले इलाकों में पानी पर पुस्तैनी अधिकार के लोगों के मामले उठे और न्यायालयों में इस पर बहस हुई।

पानी पर हमारा हक, लेकिन जाग नहीं रहे

रायपेरियन राइट अंगे्रजों के शासन काल में इंगलैंड में प्रभावी था। लेकिन उस शासन काल में ही पूर्व नरेश गंगासिंह ने इसका अपने क्षेत्र के लिए फायदा उठाया। रायपेरियन राइट के तहत ही स्टेट टाइम में पंजाब से भाखड़ा नांगल बांध से पानी मिलना शुरू हुआ। इतिहास में यह पहला मौका है, जब भारत में इस अधिकार के तहत किसी स्टेट का पानी मिला। इसके बाद भारत में इस अधिकार का कई मौकों पर इस्तेमाल हो चुका है। इसी अधिकार के तहत जालोर को नर्मदा का पानी भी मिला है और जवाई बांध पर भी इसका अधिकार है।

बागोड़ा तक के किसानों का अधिकार

जवाई बांध से कमांड के केवल 22 राजस्व गांवों को ही पानी मिल रहा है। चूंकि बांध निर्माण से पूर्व ही इस पानी का बहाव बागोड़ा और नेहड़ क्षेत्रतक था और बांध निर्माण के बाद ये सभी कृषि कुएं सूख चुके हैं।ऐसे में सीधे तौर पर जवाई बांध के पानी पर इन किसानों को राइपेरियन राइट के तहत सीधे तौर पर अधिकार है।

सुमेरपुर के पास स्थित है जवाई बांध

यह बांध भारत के राजस्थान राज्य के पाली जिले में सुमेरपुर शहर के पास स्थित है। इस बांध का निर्माण जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह ने करवाया था। जवाई नदी पर बांध बनाने का विचार 1903 में किया गया था क्योंकि मानसून के दौरान इसकी बाढ़ के पानी से पाली और जालोर जिले में भारी क्षति होती थी। खासकर के अंग्रेजों की रेलवे पटरियां बह जाती थी।

जोधपुर के प्रधानमंत्री रहे सुखदेव प्रसाद काक ने तो इस प्रोजेक्ट का विरोध ही किया था। 28 फीट के बांध से शुरूआत हुई और चालीस तक बढ़ी, अब इसकी क्षमता बासठ फीट के करीब है। काम 12 मई 1946 को शुरू हुआ। 1951 तक, जब पहली 5-वर्षीय योजना शुरू की गई थी, इस परियोजना पर लगभग 124 लाख रुपये पहले ही खर्च किए जा चुके थे।

जल विद्युत परियोजना को निलंबित कर दिया गया था, क्योंकि सिंचाई की मांग को पूरा करने के बाद पूरे वर्ष पर्याप्त दबाव उपलब्ध होने की संभावना नहीं थी। अनुमानित लागत 3 करोड़ आई। परियोजना 1957 में पूरी हुई।

जवाई बांध से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  • जवाई बांध 13 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करता है। 
  • यह पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा मानव निर्मित बांध है। बांध की क्षमता 7887.5 मिलियन क्यूबिक फीट है।
  • यह 102,315 एकड़ (414.05 वर्ग किमी) खेती योग्य कमांड क्षेत्र को कवर करता है। 
  • इसकी ऊंचाई लगभग 61.25 फीट (18.67 मीटर) है। 
  • सेई बांध और कालीबोर बांध जवाई बांध के फीडर बांध हैं
  • बांध स्थल का जलग्रहण क्षेत्र 720 वर्ग किलोमीटर है और बेसिन पंखे के आकार का है
  • यह पाली जिले के लिए मुख्य जल आपूर्ति स्रोत है। यदि बांध में पर्याप्त पानी हो तो जवाई बांध से जालोर जिले और पाली जिले के कुछ गांवों को सिंचाई के लिए पानी मिलता है।

अब टूरिज्म का हब बन रहा है Jawai Dam

लोग जवाई बांध को ईको टूरिज्म के नए हब के रूप में देख रहे हैं। पर्यावरणविदों के लिए यह एक सुरम्य जलाशय से कहीं अधिक है, लेकिन उन लोगों की उम्मीदें इस बांध से जुड़ी है कि नदी में पानी आएगा तो हमारी फसलें पकेंगी और आने वाली नस्लों के लिए बेहतर भविष्य सोच सकेंगे। उदयपुर से लगभग 130 किलोमीटर दूर और राजस्थान के पाली जिले में माउंट आबू के रास्ते में स्थित होने और जवाई बांध वन्यजीव प्रेमियों के बीच भारतीय तेंदुओं या तेंदुओं को देखने के लिए एक प्रमुख स्थान के रूप में प्रसिद्धि के चलते बड़ी रेवेन्यु यहां लाता है। यह गंतव्य पक्षी विविधता का खजाना प्रदान करता है जो दूर-दूर से पक्षी देखने वालों को आकर्षित करता है।

जवाई बांध में पक्षियों की बहुतायत

  1. भारतीय ईगल उल्लू
  2. भारतीय कौरसर
  3. पलास गुल
  4. स्पॉट बिल्ड डक
  5. बार हेडेड गीज़
  6. इंडियन डार्टर
  7. रूडी शेल्डक
  8. छोटा जलकाग
  9. सामान्य केस्टरेल
  10. स्टेपी ईगल
  11. छोटे पंजों वाला साँप ईगल
  12. ब्लू रॉकथ्रश
  13. पैडीफील्ड पिपिट
  14. ब्लैकविंग्ड स्टिल्ट
  15. सफेद पूंछ वाला लैपविंग
  16. नॉब-बिल्ड बत्तख
  17. जंगल कौआ
  18. ब्राउन श्रीके
  19. रेड वेंटेड बुलबुल
  20. ब्लैक ड्रोंगो
  21. कॉमन पोचार्ड
  22. बैंगनी बगुला
  23. ग्रे बगुला
  24. मवेशी बगुला
  25. छोटा बगुला
  26. तालाब वाला बगुला
  27. लिटिल स्टिंट
  28. लिटिल रिंग्ड प्लोवर
  29. रेड वॉटल्ड लैपविंग
  30. नॉर्थन शोवेलर
  31. नोर्थन पिन्टेल

जवाई में मगरमच्छ और तेदुंए तथा सियार भी

जहां जवाई बांध में पक्षियों की विविधता ध्यान आकर्षित करती है, वहीं यह क्षेत्र अन्य आकर्षक जीवों से भी मुलाकात कराता है। इनमें भारतीय सियार और मगरमच्छ शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि, जवाई बांध को राजसी भारतीय रॉक ईगल और प्रागैतिहासिक दिखने वाले मगर मगरमच्छ को देखने के लिए प्रमुख स्थानों में से एक माना जाता है। वन्यजीव प्रेमियों के लिए, बांध की यात्रा का सबसे अच्छा समय सर्दियों के महीनों के दौरान होता है जब प्रवासी पक्षी इस जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र में निवासी प्रजातियों में शामिल हो जाते हैं।

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