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जोधपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रविन्द्रसिंह राणावत बताते हैं कि हनुवंत राजपूत छात्रावास की स्थापना 1932 में हुई थी और तब से यहां संतराम का परिवार सेवा कार्य में जुटा है। एक ही समय में एक ही भोजनशाला से विद्यार्थी और यह परिवार यहां भोजन करता है।
जोधपुर | वाल्मीकि समुदाय से आने वाले सन्तराम का परिवार जोधपुर के हनवंत राजपूत छात्रावास में बीती तीन पीढ़ी से श्रमसाधना कर रहा है। आज उनके घर पर विवाह का मांगलिक अवसर आया तो युवाओं ने अनूठा उदाहरण पेश करके साम्प्रदायिक और जातीय विद्वेष फैलाने वालों को करारा जवाब दिया है।
हनवंत राजपूत छात्रावास मे तीन पीढ़ियों से सेवा दे रहे संतराम की पुत्री पिंकी जावा के विवाह का अवसर था। छात्रावास के विद्यार्थियों ने अपने व्यक्तिगत खर्च से पांच लाख इक्यावन हजार रुपए एकत्र किए और मायरा भरा। मायरा राजस्थान की अनूठी परम्परा है, जो भाई और बहिन के रिश्ते का एक उर्जामयी आधारशिला की प्रतिष्ठा करता है।
जोधपुर विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष अरविन्दसिंह भाटी व अन्य विद्यार्थियों ने इस अवसर पर दुल्हन पिंकी की मां को चुनरी ओढ़ाकर एक मिसाल कायम की। भाटी का कहना है कि सामाजिक ज़िम्मेदारी और आपसी सौहार्द ही मानवता की उत्तमता का मानक हैं और उसमें एक छोटी सी कोशिश युवाओं ने की है।
जोधपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रविन्द्रसिंह राणावत बताते हैं कि हनुवंत राजपूत छात्रावास की स्थापना 1932 में हुई थी और तब से यहां संतराम का परिवार सेवा कार्य में जुटा है। एक ही समय में एक ही भोजनशाला से विद्यार्थी और यह परिवार यहां भोजन करता है।
एक पहल अपनों के लिए ???????? pic.twitter.com/wBLQzGhUJL
— Ravindra Singh Bhati (@RavindraBhati__) January 29, 2023
आज संतराम के घर में विवाह का मांगलिक अवसर आया तो विद्यार्थियों ने अपनी क्षमता के अनुसार बहन का मायरा भरा है। छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष रविन्द्रसिंह भाटी का भी कहना है कि यह एक अनूठी पहल है जो अपनों के लिए है।