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जब नड्डा से पूछा गया कि दो मुख्यमंत्रियों योगी आदित्यनाथ और हिमंत बिस्वा सरमा ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि स्थल और वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर मंदिरों के बारे में बात की है। क्या है बीजेपी का आधिकारिक रुख?
नई दिल्ली | हाल ही में द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कई पहलुओं को छुआ है। परन्तु जब उनसे बात की गई आरएसएस और बीजेपी के संबंधों की तो उन्होंने कहा कि बीजेपी अलग है और आरएसएस अलग। दोनों में एक दूसरे का सम्मान है।
नड्डा ने कहा आरएसएस एक सांस्कृतिक संगठन है और हम एक राजनीतिक संगठन हैं। शुरुआत में हम कम सक्षम, छोटे होते और हमें आरएसएस की जरूरत होती। आज, हम बड़े हो गए हैं और हम सक्षम हैं। भाजपा खुद चलती है।यही अंतर है। नड्डा ने काशी—मथुरा में विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण को लेकर भी कहा है कि इस पर फिलहाल भाजपा में कोई विचार, योजना या इच्छा नहीं है।
जब नड्डा से पूछा गया कि भ्रष्टाचार के आरोपों वाले नेताओं को भी बीजेपी में शामिल किया है तो वे बोले कि बीजेपी को मजबूत करने के लिए, पार्टी के फायदे के लिए यह किया है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि जांच प्रक्रिया ही रोक दी है। कानून अपना काम करेगा। नड्डा बोले कि जब कुछ लोग बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं तो हमें भी लगता है कि इससे बीजेपी को फायदा है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम इससे समझौता कर लें। नड्डा ने देश की विदेश नीति, मणिपुर वाले मामले और मुस्लिम समुदाय को लेकर रुख पर भी सवालों के जवाब दिए।
इंडियन एक्सप्रेस की ओर से जब पूछा गया कि भाजपा 10 साल से सत्ता में है, आरएसएस आपका वैचारिक माता-पिता है। आरएसएस—बीजेपी के संबंधों को लेकर अध्यक्ष जेपी नड्डा बोले आप देखिए, हम भी बड़े हो गए हैं. सबको अपना-अपना काम मिल गया है. आरएसएस एक सांस्कृतिक संगठन है और हम एक राजनीतिक संगठन हैं।
शुरू में हम अक्षम होंगे, थोड़ा कम होंगे, आरएसएस की जरूरत थी... आज हम बढ़ गए हैं, सक्षम हैं... तो बीजेपी अपने आप को चलाती है । (शुरुआत में हम कम सक्षम, छोटे होते और हमें आरएसएस की जरूरत होती। आज, हम बड़े हो गए हैं और हम सक्षम हैं। भाजपा खुद चलती है।) यही अंतर है।
यह (आरएसएस है) एक वैचारिक मोर्चा है। वो वैचारिक रूप से अपना काम करते हैं, हम अपना। आरएसएस और भाजपा के अपने-अपने कार्य क्षेत्र बहुत स्पष्ट रूप से स्थापित हैं। आरएसएस के पास सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दों पर काम करने का एक सदी पुराना अनुभव है।
उन्होंने भारत के सभी हिस्सों में बड़े पैमाने पर काम किया है। भाजपा एक राजनीतिक दल है जो भारत को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए काम कर रहा है।
अपने कार्यकर्ताओं के बल पर हम 140 करोड़ भारतीयों की पसंदीदा पसंद बनकर उभरे हैं। आरएसएस और भाजपा दोनों अपनी क्षमताओं के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं। दोनों संगठनों के बीच एक-दूसरे के प्रति बहुत सम्मान है।
मीडिया में कुछ लोग आरएसएस-भाजपा संबंधों पर अटकलें लगाना पसंद करते हैं, वे साजिश के सिद्धांत, मिथक फैलाते हैं। वास्तविकता यह है कि दोनों के पास राष्ट्र प्रथम की भावना से निर्देशित होकर मिलकर काम करने का एक समृद्ध इतिहास है।
जब नड्डा से पूछा गया कि दो मुख्यमंत्रियों योगी आदित्यनाथ और हिमंत बिस्वा सरमा ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि स्थल और वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर मंदिरों के बारे में बात की है। क्या है बीजेपी का आधिकारिक रुख?
इस पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोले बीजेपी के लिए इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है. भाजपा ने राम मंदिर की मांग को हमारे पालमपुर संकल्प में शामिल किया था और लंबे संघर्ष के बाद यह हकीकत बनी। कुछ लोग भावुक या उत्तेजित होकर ऐसे बयान दे देते हैं. हमारी एक बड़ी पार्टी है और नेता उन मुद्दों पर बात कर सकते हैं जिनके बारे में वे वैचारिक रूप से मजबूत महसूस करते हैं। भाजपा का ऐसा कोई विचार, योजना या इच्छा नहीं है.
कोई चर्चा भी नहीं होती. हमारा सिस्टम इस तरह से काम करता है कि पार्टी की विचार प्रक्रिया संसदीय बोर्ड में चर्चा से तय होती है, फिर यह राष्ट्रीय परिषद के पास जाती है जो इसका समर्थन करती है।