Highlights
बूटा सिंह जालोर-सिरोही से चार बार सांसद रहे, लेकिन 1989 में कैलाश मेघवाल के आगे उन्होंने सियासी रणनीति में घुटने टेक दिए। बूटा सिंह को मेघवाल के सामने हार का सामना करना पड़ा।
जयपुर | 55 साल तक भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता रहे कैलाश मेघवाल का अचानक से पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलना और पार्टी का उनको निलंबित करना राजनीतिक जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है।
पार्टी से निलंबित होने के बाद भी कैलाश मेघवाल अड़े हुए है और अब भाजपा के खिलाफ ही चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया है।
89 साल की उम्र में भी मेघवाल राजनीति में इस तरह से एक्टिव है जिस तहर से उन्होंने कभी बूटा सिंह को हराकर तहलका मचाया था।
मेघवाल एक बार फिर से राजस्थान की शाहपुरा सीट से चुनाव लड़ने को तैयार दिख रहे हैं। मेघवाल अपने राजनीतिक करियर में 3 बार सांसद रहे और 6 बार के विधायक रह चुके हैं। इसी के साथ वे राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
विधानसभा चुनावों से पहले मेघवाल का भाजपा के खिलाफ बिगुल बजाना पार्टी को नुकसान भी पहुंचा सकता है।
जो कोई भी नहीं कर पा रहा था उसे मेघवाल ने कर दिखाया था
कांग्रेस को जब ‘बूटा सिंह के रूप में जालोर-सिरोही में राजनीति का मजबूत सेना नायक मिल गया और यहां की सीटें कांग्रेस पार्टी का एक मजबूत गढ़ बन गई।
तब भाजपा की ओर से कैलाश मेघवाल ने ही उनके खिलाफ मोर्चा संभाला और हराने का जिम्मा लिया।
बूटा सिंह जालोर-सिरोही से चार बार सांसद रहे, लेकिन 1989 में कैलाश मेघवाल के आगे उन्होंने सियासी रणनीति में घुटने टेक दिए। बूटा सिंह को मेघवाल के सामने हार का सामना करना पड़ा।
1989 के चुनावों में पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने बूटा सिंह को मात देने के लिए कैलाश मेघवाल पर ही भरोसा जताया और मेघवाल भी उनकी उम्मीदों पर खरे उतरे।
भाजपा के वो मजबूत सिपाही कैलाश मेघवाल ही थे जिन्होंने जालोर-सिरोही सीट पर जीत दर्ज कर बूटा सिंह को वापस पंजाब का रास्ता दिखाया था।