हिम्मत हौसला और जूनून : बाली उमर में खराब हो गई किडनी, अब देश के लिए मेडल लाने का सपना

बाली उमर में खराब हो गई किडनी, अब देश के लिए मेडल लाने का सपना
bhawani singh shekhawat
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Highlights

  • कभी खुद एक ट्रांसप्लांट मरीज थे लेकिन अब दुनिया भर के खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है
  • शेखावत जब 19 साल के थे तो उनकी किडनी खराब हो गई
  • इन खेलो का आयोजन 15 से 22 अप्रैल के बीच ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में होगा

ये एक ऐसे खिलाडी का फलसफा है जो हिम्मत और जिंदादिली की मिसाल है. कभी खुद एक ट्रांसप्लांट मरीज थे लेकिन अब दुनियाभर के खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है. बात झुंझुनू के जाखल गांव में जन्मे भवानी सिंह शेखावत की है जो अब विदेशी धरती पर तिरंगा फहराने के लिए बेताब है.

भवानी सिंह ना केवल देश के लिए मेडल लाना चाहते है बल्कि समाज को यह सन्देश भी देना चाहते है कि जीवन में कोई भी मुश्किल हिम्मत और हौसले को धराशायी नहीं कर सकती. अभी भवानी सिंह स्वास्थ्य विभाग में अधिकारी है साथ ही इतने फिट है कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपना हुनर दिखाने के लिए तैयार हैं. 


शेखावत जब 19 साल के थे तो उनकी किडनी खराब हो गई. पूरा परिवार सदमे में चला गया. लेकिन जन्मदाता पिता ने ही जीवनदाता बनकर शेखावत को अपनी किडनी दी. पिता घनश्याम सिंह के इस बड़े त्याग ने शेखावत को एक नया जीवन दिया और अब इस जीवन को शेखावत देश के लिए मेडल लाने में लगा रहे है. 

ऑस्ट्रेलिया में तिरंगा फहराएंगे शेखावत 

जाखल गाँव के भवानी सिंह शेखावत 13 वें वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स 2023 में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. इन खेलो का आयोजन 15 से 22 अप्रैल के बीच ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में होगा. शेखावत का भारत की तरफ से लॉन बॉल और पेटांक सहित खेलों की चार श्रेणियों ने चयन हुआ है. 

नेशनल विनर है शेखावत 

भवानी सिंह शेखावत इससे पहले भी 2018 में मुंबई में हुए नेशनल लॉन बॉल गेम्स में रजत पदक जीत चुके हुई लेकिन उनका सपना अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में देश के लिए गोल्ड लाना है जिसके लिए इस बार उन्होंने दिल्ली, रांची और कोलकाता में ट्रेनिंग ली है. 

1978 से लगातार हो रहा है इन खेलों का आयोजन 

वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स का आयोजन वर्ष 1978 से लगातार दुनिया के अलग - अलग शहरों में हो रहा है. अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के सहयोग से आयोजित होने वाले इन गेम्स में वे खिलाडी भाग लेते है जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ है. जब पहली बार इन खेलों का आयोजन हुआ था तो केवल पांच देशों ने ही हिस्सा लिया था.

लेकिन अब यह प्रतिस्पर्धा लगातार लोकप्रिय होती जा रही है और 2019 में 60 देश इस खेल में भागीदार रहे थे. 

पर्थ में आयोजित होने वाले इस गेम्स में भारत की तरफ से अबतक का सबसे बड़ा दल जाने वाला है. तीस सदस्यीय इस भारतीय दल का नेतृत्व करहुन नंदा करेंगे जिसमे पांच खिलाडी राजस्थान के होंगे .खिलाड़ियों की संख्या बढ़ाए जाने के बाद उम्मीद है कि इस बार भारतीय दल का प्रदर्शन शानदार रहेगा और पहले से कहीं अधिक गोल्ड मेडल भारत की झोली में आएँगे. 

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