Jaipur | राजस्थान विधानसभा में जनसंख्या वृद्धि के मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस विधायकों के विचार सामने आए हैं। सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग और बीजेपी विधायक संदीप शर्मा ने समुदाय विशेष की जनसंख्या बढ़ने पर सवाल उठाए, जिस पर कांग्रेस और निर्दलियों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
एक दिन पहले विश्व जनसंख्या दिवस पर सीएम भजनलाल शर्मा ने भी समुदाय विशेष पर तंज कसा था। उन्होंने कहा था कि जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। इसमें सभी का साथ होना चाहिए, लेकिन एक श्रेणी है, उसमें कोई अंतर नहीं आ रहा है। वे विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर गुरुवार को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
जोगेश्वर गर्ग ने विधानसभा में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, "मुख्यमंत्री तो केवल भारत की बात कर रहे हैं। मैं तो पूरी दुनिया की बात कर रहा हूं। आपको मेरी बात के समर्थन में हजारों तथ्य मिल जाएंगे। जिस भी देश में अशांति आ रही है, मूल में वही समुदाय है। इसकी जनसंख्या अनलिमिटेड बढ़ रही है। वह उनका एक हथियार है। संख्या बढ़ाओ और फिर राज करो। यह उनका पुराना तरीका है। वह इसका लाभ उठा रहे हैं। इस पर सारी दुनिया को सोचना चाहिए। अन्यथा सारी दुनिया अशांति के गर्त में जाएगी। समस्याएं बढ़ेंगी।"
गर्ग ने कहा कि इस मुद्दे को केवल भारत के संदर्भ में देखने से काम नहीं चलेगा। दुनिया के सभी देशों के बारे में जानकारी प्राप्त करें। अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी जैसे विकसित देशों में जहां-जहां एक समुदाय विशेष की आबादी बढ़ती है, वहां समस्याएं पैदा होती हैं। वहां अलगाववाद और भेदभाव बढ़ता है। इस पर पूरी दुनिया को चिंतन करना चाहिए। सभी देशों को मिलकर इस बारे में सामूहिक रणनीति बनानी चाहिए और इस समस्या का निपटारा करना चाहिए। गर्ग ने दो बच्चों के कानून के सवाल पर कहा कि यह कानून भी जल्द आ जाएगा, चिंता मत कीजिए।
बीजेपी विधायक संदीप शर्मा ने भी गर्ग का समर्थन करते हुए कहा, "जनसंख्या को लेकर एक समुदाय तो पूरी तरीके से सजग है। उस समुदाय में एक-दो से ज्यादा बच्चे बहुत कम लोगों के मिलते हैं। एक समुदाय विशेष है, जिसके 10-10, 12-12, 20-20 बच्चे एक ही दंपती से होते हैं। बड़ा असंतुलन धार्मिक रूप से देखने में आता है। जिस देश में हम रहते हैं, उसमें एक जैसी सुविधाएं हैं। एक जैसी योजनाएं हैं। यह नहीं हो कि एक समुदाय के लिए कानून अलग हो और दूसरे के लिए अलग हो। इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।"
कांग्रेस विधायक जुबेर खान ने बीजेपी विधायकों के बयानों पर पलटवार करते हुए कहा, "बीजेपी धार्मिक आधार पर भेदभाव पैदा करने वाले बयान देती है। जनसंख्या ज्यादा वहां होगी, जहां गरीब और अनपढ़ लोग हैं। बेरोजगार लोग हैं। आप मेवात से कंपेयर कर लीजिए। नगर-डीग के गुर्जरों और अलवर के मुसलमानों में जनसंख्या अनुपात में फर्क मिल जाए तो कह देना। मेवात में गुर्जरों में भी उतने बच्चे मिलेंगे, जितने मुसलमानों के हैं। क्योंकि उस इलाके में शिक्षा नहीं है।"
जुबेर खान ने कहा, "इस्लाम धर्म में सबसे पहले वतन का कानून मानना फर्ज है। देश में कोई ऐसा मुसलमान बता दीजिए, जिसने किसी कानून को मानने से इनकार किया हो। आप दो बच्चों का कानून बनाइए, सब मुसलमान मानेंगे। कौन मना कर रहा है? सब पर लागू करें। मुसलमानों को टारगेट करना बड़ा आसान है। इस देश में पैदा हुए हैं। इस देश में मरेंगे। इस देश की मिट्टी में मिलेंगे। बीजेपी वाले कितना ही सांप्रदायिकता वाद फैला दें। भारतीयता और राष्ट्रीयता में मुसलमान कहीं पीछे नहीं रहे। जिस मेवात में अशिक्षा और गरीबी है। वहां बीजेपी सरकार ने एक भी स्कूल क्रमोन्नत किया क्या?"
उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस के लोगों का एक एजेंडा है कि हिंदू-मुस्लिम के नाम पर बांटा जाए। जितने भी जासूस पाकिस्तान के लिए पकड़े गए हैं, उनमें कितने हिंदू और कितने मुसलमान हैं? आर्मी में शहीद होने वालों में कितने हिंदू और कितने मुस्लिम हैं। कंपेयर कर लीजिए। बीजेपी के मुद्दे ही श्मशान-कब्रिस्तान वाले हैं। जनसंख्या पर कानून क्यों नहीं लाते हैं?
निर्दलीय विधायक युनूस खान ने कहा, "जनसंख्या सबसे बड़ी समस्या है। यह बात सही है कि जनसंख्या ज्यादा होने से लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पातीं। शिक्षा, स्वास्थ्य, रहन-सहन और खानपान नहीं दे पाते। सरकार अगर जनसंख्या नियंत्रण पर कानून लाती है तो बिना भेदभाव लाए। भेदभाव नहीं होना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण के लिए 1975 में जिस तरह नसबंदी हुई थी। उसके खिलाफ सब बोलते हैं, लेकिन जनसंख्या नियंत्रण पर तो कोई चर्चा ही नहीं होती। कल विश्व जनसंख्या दिवस पर भी इसे लेकर चर्चा तक नहीं हुई।"
जनसंख्या वृद्धि के मुद्दे पर विधायकों के इन बयानों से साफ है कि यह मुद्दा केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर चिंतन की आवश्यकता है। वहीं, इसे लेकर राजनीतिक दलों के बीच मतभेद भी साफ तौर पर दिख रहे हैं।