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राजस्थान में देखा गया है कि जिस भी मंत्री ने जनता को पानी पिलाने का जिम्मा उठाया उसे ही अगले चुनावों में पार्टी ने पानी पिला दिया, यानि उसी का टिकट काट दिया।
जयपुर | राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर जोरदार दंगल चल रहा है। पहले कांग्रेस सत्ता में जमे रहना चाहती है तो भाजपा इस बार उसे उखाड़ फेंकना।
इसी कशमकश के बीच दोनों ही पार्टियों ने टिकट वितरण में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिसके चलते दोनों को ही नेताओं के बगावती तेवरों से भी गुजरना पड़ा है।
कई मंत्रियों ने भी नहीं चाहते हुए अपने टिकट गंवा दिए हैं। इसी बीच प्रदेश की राजनीति में एक और चौंकाने वाली बात निकलकर सामने आई है।
दरअसल, राजस्थान में देखा गया है कि जिस भी मंत्री ने जनता को पानी पिलाने का जिम्मा उठाया उसे ही अगले चुनावों में पार्टी ने पानी पिला दिया, यानि उसी का टिकट काट दिया।
बता दें कि इस बार अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार के मंत्री जलदाय मंत्री महेश जोशी (Mahesh Joshi) का टिकट कट दिया गया है।
हालांकि, ये पहली बार नहीं हुआ है इससे पहले भी पिछले तीन विधानसभा चुनावों में जलदाय विभाग के मंत्रियों के साथ ऐसा ही हुआ है।
राजस्थान में हुए पिछले तीन विधानसभा चुनावों में जो भी विधायक जनता को पानी पिलाने के लिए जलदाय मंत्री बना, उन्हें अगली बार टिकट से हाथा धोना पड़ा है।
अब इसे सियासी संयोग कहे या फिर मंत्री की किस्मत!
आपको बता दें कि इस बार कांग्रेस ने जलदाय मंत्री महेश जोशी का टिकट काट दिया है।
कांग्रेस सरकार बनने के ढाई साल बाद महेश जोशी को जलदाय विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन, जलदाय विभाग में भ्रष्टाचार को रोक नहीं पाने के चलते उनका टिकट काटा जाना सामने आ रहा है। भ्रष्टाचार को लेकर ईडी भी जोशी को शक के दायरे में लेकर जांच-पड़ताल में लगी हुई हैं।
इससे पहले साल 2013 में भाजपा की सरकार में भी विधायक से जलदाय मंत्री बने सुरेंद्र गोयल (surendra goyal) भी टिकट काटकर पत्ता साफ कर दिया गया था।
तब ये माना गया था कि जैतारण में हुए दंगों को रोकने में गोयल असफल हो गए और उन्हें इसका खामियाजा टिकट कटवाकर भुगतना पड़ा था।
यहीं नहीं, एक और जलदाय मंत्री पर गाज गिरी थी। साल 2008 में कांग्रेस की सरकार में महिपाल मदेरणा (mahipal maderna) को जलदाय मंत्री की जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन भंवरी देवी हत्याकांड में उन्हें 2011 में जेल हो गई और उनका भी टिकट कट गया।