जयपुर | राजस्थान में विधानसभा के लिए होने वाले चुनावों में वक्त बहुत कम बचा है और भाजपा कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दल पूरे दमखम से राजस्थान की जंग में कूद पड़े हैं.
लेकिन इस वक्त के राजस्थान के सियासी माहौल और समीकरणों पर नजर दौड़ाई जाए तो राजस्थान का मेवाड़ क्षेत्र भाजपा और कांग्रेस के लिए बड़ी जंग का मैदान बना हुआ है.
राजस्थान को लेकर ऐसा कहा जाता है कि सत्त्ता की चाबी मेवाड़ से निकलती है. इस मंत्र को ध्यान में रखकर भाजपा और कांग्रेस ने अपना पूरा दमखम मेवाड़ की तरफ झोंक दिया है.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मेवाड़ के समीकरणों को साधने की जिम्मेदारी खुद के कंधों पर उठा रखी है और गहलोत लगातार मेवाड़ क्षेत्र के दौरे कर रहे हैं.
महंगाई राहत कैम्प हो या पार्टी के दूसरे कोई कार्यक्रम अशोक गहलोत मेवाड़ जाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे. इन दिनों अशोक गहलोत उदयपुर के दौरे पर हैं. इससे पहले भी गहलोत ने अपना जन्मदिन मेवाड़ अंचल में ही मनाया था जो कि वहां के मतदाताओं के बीच एक बड़ा मैसेज था.
गहलोत के मेवाड़ दौरे के साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का भी कल उदयपुर दौरा है. उदयपुर में अमित शाह एक बड़ी जनसभा को सम्बोधित करने वाले हैं. भाजपा चीफ सीपी जोशी दो दिन पहले ही अमित शाह की जनसभा के लिए उदयपुर पहुँच गए हैं. और मेवाड़ की धरती पर अमित शाह के लिए भाजपा की बड़ी भीड़ जुटाने की कोशिश है.
लेकिन अमित शाह उदयपुर पहुँचने से पहले ही अशोक गहलोत ने एक लैटर बम फोड़ दिया है. गहलोत ने अमित शाह की यात्रा से ठीक पहले उदयपुर में हुए कन्हैयालाल के जघन्य हत्याकांड में आरोपियों को जल्द सजा दिलवाने के लिए केन्द्र सरकार को लैटर लिखा है.
अशोक गहलोत ने इस मामले में केन्द्र सरकार को लिखा है कि घटना के एक साल बाद भी कन्हैयालाल के हत्यारों को सजा नहीं मिल पाई है. इस मामले में अशोक गहलोत ने बात को केन्द्र सरकार पर डालते हुए बताया है कि राजस्थान सरकार ने घटना पर तुरंत एक्शन लेते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया लेकिन केन्द्र सरकार ने मामला NIA को ट्रांसफर कर दिया.
लेकिन NIA की जांच के बाद अभी तक इस मामले में आरोपियों को सख्त सजा नहीं मिल पाई है. अशोक गहलोत ने इस पत्र में यह भी हवाला दिया है कि NIA की जांच में राजस्थान की एजेंसियों ने पूरा सहयोग किया.
मेवाड़ में हो सकता है ध्रुवीकरण
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जिस तरह के समीकरण बन रहे हैं उसे देखकर लग रहा है कि मेवाड़ भाजपा को सियासी लिहाज से एक उर्वरक जमीन तैयार कर सकता है. क्योंकि बीते साल कन्हैयालाल हत्याकांड ने ना केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश के दिमाग को झकझोर कर रख दिया था . अब खबर है कि इस मामले में एक फिल्म को लेकर काम चल रहा है.
बीते साल भी कन्हैयालाल हत्याकांड के मुद्दे को भाजपा ने जोर शोर से उठाया था. चुनावी साल में एक बार फिर से भाजपा इस मुद्दे को हवा देने की कोशिश में है. अगर भाजपा कन्हैयालाल हत्याकांड को चुनावों तक लेकर जाती है तो इस क्षेत्र में धार्मिक ध्रुवीकरण होने के आसार बन रहे हैं.
भाजपा के पास जगह भरने की चुनौती
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी खुद मेवाड़ क्षेत्र से आते हैं और उन्हें उस क्षेत्र में मारक भी माना जाता है. यही कारण था कि भाजपा ने सीपी जोशी को अपना प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया. क्योंकि इससे पहले गुलाबचंद कटारिया इस क्षेत्र में भाजपा के लिए एक बड़े क्षत्रप का काम करते थे. उनके बाद जो जगह खाली हुई उसे भाजपा सीपी जोशी के बहाने भरने की कोशिश में है.
हालाँकि सीपी जोशी को मेवाड़ में काफी लोकप्रिय माना जाता है लेकिन सियासी तौर पर वे भाजपा को कितना फ़ायदा पहुंचाते हैं इसकी अग्निपरीक्षा अभी होनी बाकि है. सीपी जोशी खुद लगातार मेवाड़ में सक्रिय है और अपने कैम्पेन को धार देने में लगे हुए है.
हिंदुत्व की काट क्या लाएंगे अशोक गहलोत
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मेवाड़ में शुरू से हिंदुत्व के एजेंडे को भाजपा ने भुनाया है और इस चुनाव में भी भाजपा की यही कोशिश है. दुसरा यह भी कारण है कि हर चुनाव में मेवाड़ क्षेत्र में ऐसे मुद्दे जरूर मिल जाते है जो हिंदुत्व की राजनीति को खाद पानी देने का काम करते हैं लेकिन अशोक गहलोत ने कन्हैयालाल हत्याकांड मामले में गेंद केन्द्र सरकार के पाले में डालकर एक बार के लिए तो भाजपा के लिए थोड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है.
वही उस क्षेत्र में अशोक गहलोत का सबसे ज्यादा फोकस आदिवासी वोटबैंक को साधने का है. गहलोत खुद लगातार आदिवासियों के बीच जाकर कैम्पेन कर रहे है. ऐसे में इस क्षेत्र में भाजपा के दिग्गजों की टक्कर सीधी अशोक गहलोत से होने वाली है.
मेवाड़ में जिस तरह का धारदार कैम्पेन फिलहाल दोनों की पार्टियों का चल रहा है उसे देखकर लग रहा है कि राजस्थान की असली जंग मेवाड़ में ही लड़ी जाएगी.