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पारीक की मांगें प्रशासनिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं, जहां मसूदा और केकड़ी के बीच की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है और बिजयनगर से केकड़ी की दूरी 80 किलोमीटर है।
पारीक ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर कांग्रेस की राज्य सरकार पर उपरोक्त आदेश के प्रतिकूल प्रभाव को उजागर किया है।
जयपुर | कांग्रेस विधायक राकेश पारीक ने मसूदा, बिजयनगर और भिनय तहसीलों को केकड़ी में शामिल करने की खबरों पर चिंता जताई है।
पारीक ने जिला कलक्टर के साथ बैठक में मांग की कि इन तहसीलों को अजमेर में ही रखा जाए। उन्होंने मांग पूरी नहीं होने पर धरने पर बैठने की चेतावनी दी है।
पारीक को सचिन पायलट का खास सहयोगी माना जाता है, जो पहले ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।
पारीक की मांगें प्रशासनिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं, जहां मसूदा और केकड़ी के बीच की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है और बिजयनगर से केकड़ी की दूरी 80 किलोमीटर है।
इसके विपरीत मसूदा सीधी सड़क के माध्यम से सीधे अजमेर से जुड़ा हुआ है। पारीक ने इन तहसीलों को केकड़ी में शामिल किए जाने से लोगों को हो रही असुविधा पर चिंता जताई है।
पारीक ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर कांग्रेस की राज्य सरकार पर उपरोक्त आदेश के प्रतिकूल प्रभाव को उजागर किया है।
उन्होंने सरकार को जनता और जनप्रतिनिधियों में गहरे आक्रोश की चेतावनी दी है, जिससे आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है।
पारीक ने जारी आदेश को वापस लेने और मसूदा, भिनय और बिजयनगर को अतिरिक्त जिला कलेक्टर अजमेर के अधीन शामिल करने की मांग की है।
पारीक ने कहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत, प्रदेश प्रभारी रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा से वन टू वन संवाद में उन्हें 12 बिंदू दिए।
इनमें से एक बिंदु जिले की नई सीमाओं के बारे में था, जहां पारीक ने मुख्यमंत्री से मसूदा विधानसभा क्षेत्र के लोगों से चर्चा करने के बाद ही निर्णय लेने का अनुरोध किया।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जिले की सीमा लोगों के अनुसार बनाई जाए।
पारीक ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी वाजिब मांगें नहीं मानी गईं तो वह हजारों लोगों के साथ धरने पर बैठेंगे।
उन्होंने सचिन पायलट का समर्थन करने का संकल्प लेते हुए कहा है कि वह नेता के लिए अपने खून की एक-एक बूंद देने को तैयार हैं।
पारीक ने यह भी दावा किया है कि राजनीतिक पद भले ही आएं और जाएं, लेकिन विकास में सरकार की तरफ से कोई कमी नहीं आने देंगे।
पारीक ने आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी पर इस आदेश के प्रतिकूल प्रभाव को लेकर सरकार को आगाह किया है.
यह देखा जाना बाकी है कि सरकार पारीक की उचित मांगों को पूरा करेगी या जनता के गुस्से के परिणामों का सामना करेगी।
साथ ही अन्य जगहों से आने वाली आशंकाओं को लेकर भी सरकार के कान भी खड़े होंगे या नहीं, यह देखने वाली बात है।