अजन्मे बच्चे ने माँ को बनवाया PM : कहानी पडोसी मुल्क पाकिस्तान से , जो है सत्ता संघर्ष और व्यवस्था के बदलने बिगड़ने की उठापटक से भरपूर

कहानी पडोसी मुल्क पाकिस्तान से , जो है सत्ता संघर्ष और व्यवस्था के बदलने बिगड़ने की उठापटक से भरपूर
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Highlights

 व्यवस्था राजतंत्र की रही हो या फिर लोकतंत्र की कुर्सी की जंग ने हमेशा रोचक कहानियां लिखी है

2 दिसंबर 1988 यानी की आज से 34 साल पहले यह तारीख दुनिया के इतिहास में तब दर्ज हो गई जब किसी मुस्लिम देश की पहली महिला ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली

बेनजीर भुट्टो उन दिनों गर्भवती थी और जब जिया को पता चला की बेनजीर मां बनने वाली है ठीक उसी समय पाकिस्तान में चुनाव की घोषणा कर दी गई

जब डॉक्टर ने बेनजीर की हालत देखी तो स्थिति चिंताजनक पाई गई और बेनजीर को आराम करने की सलाह दे दी गई

 पाकिस्तान की पूरी इंटेलिजेंस यह पता लगाने में गच्चा खा गई और इंटेलिजेंस ने जिया को 17 नवंबर की तारीख बता दी

इतिहास सत्ता और कुर्सी की ना जाने कितनी ही कहानियों से भरा पड़ा है. व्यवस्था राजतंत्र कि रही हो या फिर लोकतंत्र की कुर्सी कि जंग ने हमेशा रोचक कहानियां लिखी है. लेकिन आज हम जिस कहानी की बात करने जा रहे है, वह अपने आप में अनुठापन लिए हुए है. 

2 दिसंबर 1988 यानी कि आज से 34 साल पहले यह तारीख दुनिया के इतिहास में तब दर्ज हो गई जब किसी मुस्लिम देश की पहली महिला ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. यह घटना हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में हुई और जिस मुस्लिम महिला ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली उसका नाम था बेनजीर भुट्टो.  

जी हां वही बेनजीर भुट्टो जिनके पिता जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान की सियासत में एक बड़ा नाम थे और प्रधानमंत्री ररहे. जिसके पति आसिफ अली जरदारी उस मुल्क के राष्ट्रपति रहे. बेनजीर ने खुद प्रधानमंत्री बन मुस्लिम देशों में पहली महिला प्रधानमंत्री होने का गौरव प्राप्त किया. 


वैसे तो पाकिस्तान की सियासत में भुट्टो परिवार से जुड़े किस्सों की भरमार है लेकिन आज वह किस्सा सुनाएंगे जब एक अजन्मे बच्चे ने अपनी मां को प्रधानमंत्री बनवा दिया. 

बेनजीर के पिता जुल्फिकार अली भुट्टो के आर्मी कमांडर जिया उल हक ने पाकिस्तान में तख्तापलट कर मार्शल लॉ लागू कर दिया. 4 अप्रैल 1979 को जुल्फिकार को फांसी पर लटका दिया गया. जुल्फिकार की मौत के बाद उनकी बेटी बेनजीर ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने कि कवायद शुरू कर दी लेकिन जिया उल हक अगले चुनाव करवाने से इनकार करता रहा.  

जब अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी का दवाब बढ़ा तो जिया उल हक को चुनाव करवाने के लिए तैयार होना पड़ा लेकिन यहां भी जिया ने अपने शातिर दिमाग के घोड़े दौड़ा दिए.  जुल्फिकार को फांसी पर लटकाए जाने के बाद पूरे पाकिस्तान में बेनजीर के लिए एक सहानुभूति की लहर थी और ऐसे में बेनजीर को रोकने के लिए जिया उल हक ने एक दूसरा खेल कर दिया. 

जिया उल हक़ को लगा कि शातिर दिमाग काम कर गया है. 

बेनजीर भुट्टो उन दिनों गर्भवती थी और जब जिया को पता चला कि बेनजीर मां बनने वाली है ठीक उसी समय पाकिस्तान में चुनाव की घोषणा कर गई.  बाद में इस तरह की अफवाहों ने भी तूल पकड़ा कि जिया उल हक ने मतदान की तारीख भी वही तय करी जो बेनजीर के प्रसव का समय था

. बेनजीर खुद अपनी किताब में लिखती है कि...

 " जब कराची के अखबारों में यह खबर छपी की मैं मां बनने वाली हूं

उसके ठीक चार दिन बाद ही जिया उल हक ने चुनावो की घोषणा कर डाली"

बेनजीर की दोस्त सानिया ने तो पहले ही बेनजीर को कह दिया था कि तुम्हारी मां बनने की खबर के साथ ही जिया चुनावो की घोषणा कर देगा. 

जिया उल हक को लगा कि उसका शातिर दिमाग काम कर गया है. क्योंकि प्रेगनेंसी के दिनों में बेनजीर ना तो अपने घर से बाहर निकल पायेगी और ना ही प्रचार कर पाएगी.  जिया उल हक के खुद के संविधान के मुताबिक सरकार गिरने के नब्बे दिन के भीतर चुनाव होने जरूरी थे इस लिहाज से चुनाव अगस्त लास्ट या सितंबर के शुरुआत में हो जाने चाहिए थे लेकिन जिया ने चुनाव की तारीख 16 नवंबर तय कर दी.

जिया ने चुनाव लेट करवाने के जो कारण बताए वे और भी ज्यादा दिलचस्प थे.  जिया ने बताया की एक तो मानसून सिर पर है, दूसरा रमजान और मुहर्रम का हवाला देकर कहा कि यह मुसलमानों के लिए गमीं का महीना है.  जिया को लगा की तारीखों के खेल में उसने बेनजीर को उलझा दिया है लेकिन बेनजीर के गर्भ में पल रहे बच्चे ने पूरे खेल को ही सुलझाकर रख दिया. 

पाकिस्तान में चुनावी माहौल के बीच सितंबर का महीना आ गया और बेनजीर लगातार चुनावी दौरे करते हुए इतनी थक गई कि बीमार पड़ गई.  जब डॉक्टर ने बेनजीर की हालत देखी तो स्थिति चिंताजनक पाई गई और बेनजीर को आराम करने की सलाह दे दी गई.  चुनाव एकदम सिर पर था और बेनजीर अपनी पार्टी का प्रचार तो दूर कही हिल - डुल भी नही पा रही थी. ऐसे में बेनजीर ने तय किया अब ऑपरेशन से बच्चे को जन्म देना ही ठीक रहेगा. 

19 सितंबर को बेनजीर ने जब फिर से डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने ऑपरेशन अगले महीने के लिए टाल दिया जो कि बेनजीर के लिए बहुत बड़ा झटका था.  लेकिन अगले ही दिन यानी की 20 सितंबर को कुछ मेडिसन लेने बेनजीर क्लिनिक गई तो वहां मौजूद डॉक्टर सेतना ने कहा कि तुम्हे रात को यहीं रुकना होगा.  क्योंकि अभी की गई जांच में सब कुछ नॉर्मल है और कल सुबह ऑपरेशन किया जाएगा.  हॉस्पिटल के डॉक्टर खुद यह जानकर परेशान थे कि एक दिन पहले जिस ऑपरेशन को अगले महीने के लिए टाल दिया हो आखिर एक दिन में ही वह बच्चा जन्म लेने की स्थिति में कैसे आ गया ?

21 सितम्बर को ऐसा क्या हुआ ? 

21 सितंबर को सुबह से ही अचानक उस अस्पताल के बाहर लोगो का हुजूम उमड़ पड़ा जिस अस्पताल में बेनजीर भुट्टो बच्चे को जन्म देने वाली थी. 

बेनजीर भुट्टो अपनी किताब में लिखती है कि हमने जानबूझकर बच्चे को पैदा होने की बताई गई तारीख को गुप्त रखा.  यह सोचकर कि  जिया जरूर चुनाव की तारीख को इससे जोड़कर रखेगा. 

एक और मजेदार बात यह है कि बेनजीर भुट्टो कब बच्चे को जन्म देने वाली है इसका पता लगाने के लिए जिया उल हक ने पाकिस्तान की पूरी इंटेलिजेंस को लगा दिया. जिया को छोड़िए  पाकिस्तान की पूरी इंटेलिजेंस यह पता लगाने में गच्चा खा गई और इंटेलिजेंस ने जिया को 17 नवंबर की तारीख बता दी.  इस तारीख को ध्यान में रखकर चुनाव की तारीख 16 नवम्बर तय कर दी गई. बेनजीर अपनी किताब में आगे लिखती है कि

" बच्चे ने हमे और भी भौचक कर दिया न केवल जिया के लोग एक महीने की गलती खाकर एक महीने आगे का अंदाजा लगा गए बल्कि आधे अक्टूबर में पैदा होने वाला बच्चा पांच हफ्ते पहले ही पैदा हो गया"

बड़ा होकर यही बच्चा पाकिस्तान की राजनीति में बिलावल भुट्टो जरदारी के नाम से जाना गया. जो वर्तमान में पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी है. 

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