Sirohi: हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहा है पंचायतीराज विभाग, आदेश के एक पखवाड़े बाद भी विधवा को नहीं मिल रहा दुकान का कब्जा

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 राजस्थान उच्च न्यायालय की दोहरी पीठ ने पिंडवाडा पंचायत समिति को 12 मार्च को दिए थे आदेश
- मुख्य कार्यकारी अधिकारी और विकास अधिकारी आदेशों की कर रहे है अवमानना

सिरोही | राजस्थान उच्च न्यायालय की दोहरी पीठ की ओर से सरूपगंज की एक विधवा की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए गए आदेशों की एक पखवाडे बाद भी पालना नहीं हो रही है। इधर, विधवा पंचायत समिति की ओर से आवंटित दुकान का न्यायालय की ओर से निर्धारित किए गए बकाया किराये को जमा करवा दिए जाने के बाद भी कब्जा लेने के लिए न्यायालय के आदेश लिए अधिकारियों की चौखट दर चौखट घुम रही है, मगर अधिकारी है कि राजनीतिक दबाव के चलते जानबुझ कर हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना कर रहे है।
दरअसल, सरूपगंज की एक विधवा श्रीमती सीमा डी पटेल का वर्ष 2011 में पंचायत समिति की ओर से अपनी और अपने बच्चों की आजीविका चलाने के लिए सरूपगंज में पंचायत समिति की भूमि पर दुकान का आवंटन किया था।

जहां वह मसाले का व्यापार कर अपना भरण पोषण कर रही थी। इसी दौरान विगत दस माह पूर्व अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक दबाव के चलते अधिकारियों ने उसे दुकान से बेदखल करने के लिए यह बताते हुए बेदखली का नोटिस दिया कि दुकान जीर्णशीर्ण अवस्था में है और उसकी मरम्मत की आवश्यकता है।

विधवा का यह आरोप है कि अधिकारियों ने जिस समय निरीक्षण किया उसे समय वह मौके पर भी मौजूद नहीं थी। बावजूद इसके उसकी दुकान जिसमें मसाले और गेहुं भरे हुए थे को सीज कर दिया गया। अपनी आजीविका पर मंडराते संकट को देखते हुए विधवा जो कि स्वयं सत्तारूढ पार्टी की कार्यकर्ता है वह गुहार लेकर अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की चौखट तक पहुंची मगर उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई।

आखिरकार थकहार कर वह राजस्थान उच्च न्यायालय की शरण में पहुंची। राजस्थान उच्च न्यायालय की एकल पीठ में सुनवाई के बाद हुए फैसले से वह संतुष्ट नहीं हुई तो वह अपना हक पाने के लिए उसने डबल बैंच में अपील दायर की। विधवा की इस अपील को न्यायाधीपति मुन्नूरी लक्ष्मण व मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया।

विभाग की ओर से रखे गए अलग अलग तर्क
मामले की सुनवाई के दौरान पंचायतीराज विभाग की ओर से तर्क दिया गया कि दुकान चूंकि जीर्णशीर्ण अवस्था में है और उसकी मरम्मत की आवश्यकता है इसलिए बेदखली का नोटिस दिया गया।

इसके विपरित याचिकाकर्ता श्रीमती सीमा पटेल की ओर से न्यायालय के समक्ष आर्किटेक्ट की ओर से जारी एक फिटनेस प्रमाणपत्र रिकॉर्ड में रखा। सुनवाई के दौरान विभाग की ओर से यह बताया गया कि याचिकाकर्ता किराये के भुगतान के मामले में अनियमित थी।

इसके अलावा यह भी तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता के साथ किए गए इकरारनामा के नियमों और शर्तों के अनुसार जब भी विभाग को दुकान की आवश्यकता होगी, याचिकाकर्ता एक महीने का नोटिस देने पर दुकान का कब्जा सौंप देगा और कोई दावा नहीं करेगा। कोर्ट के समक्ष यह भी तर्क रखा गया कि पूर्व में याचिकाकर्ता की ओर से दायर रिट याचिका भी खारिज कर दी गई है।

प्रतिवादी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि अब वहां बस स्टैंड के निर्माण के लिए दुकान की भूमि का उपयोग करने का निर्णय लिया गया है, जो एक सार्वजनिक उपयोगिता है।

कोर्ट ने यह सुनाया फैसला
मामले की सुनवाई के पश्चात न्यायाधिपति मुन्नूरी लक्ष्मण व मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि याचिकाकर्ता खुद स्वीकार करती है कि वह किराये के 10 हजार रूपए का भुगतान करने के लिए तैयार है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हालांकि बेदखली के नोटिस और जवाब में, प्रतिवादी इस बात की कोई दलील नहीं लेकर आए कि दुकान का उपयोग बस स्टैंड के निर्माण के लिए किया जाएगा।

न्यायालय के समक्ष इससे संबंधित कोई भी सामग्री प्रस्तुत नहीं की गई है, बस स्टैंड के निर्माण के उद्देश्य से स्वीकृत नक्शा तो दूर की बात है, जिसमें अपीलकर्ता-याचिकाकर्ता को आवंटित की गई दुकान का स्थान दर्शाया गया हो। इसलिए, बस स्टैंड के निर्माण की कहानी अच्छी तरह से स्थापित नहीं लगती है।

कोर्ट ने आदेश में कहा कि इन परिस्थितियों में और यह ध्यान में रखते हुए कि अपीलकर्ता एक विधवा है और उसे अपने बच्चों का भरण-पोषण करना है और अपनी आजीविका कमानी है। ऐसे में उसे अपनी दुकान जारी रखने का अवसर दिया जाना चाहिए।

हालांकि, यह इस शर्त के अधीन होगा कि याचिकाकर्ता पंचायत समिति, पिंडवाड़ा के कार्यालय में डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से किराए के लिए शेष राशि 10 हजार रुपये का भुगतान करे। ऐसी स्थिति में दुकान का कब्जा तुरंत याचिकाकर्ता को बिना किसी और देरी के सौंप दिया जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रतिवादी 23 मई 2023 से अवधि के लिए अपीलकर्ता से कोई किराया नहीं लेगा।

बकाया किराया जमा करवाया मगर कब्जा नहीं मिला
हाईकोर्ट के 12 मार्च 2024 को हुए आदेश के बाद याचिकाकर्ता श्रीमती सीमा डी पटेल ने 18 मार्च को पंचायत समिति के नाम 10 हजार रूपए की राशि का डिमांड ड्राफ्ट तैयार करवा सुपुर्द किया,लेकिन विभाग की ओर से यह डीडी लिया नहीं गया। जिस पर उसने पोस्ट के माध्यम से डीडी विभाग को भेजा। अब न्यायालय के आदेश को एक पखवाडा बीत चुका है, मगर न तो विधवा को कोई कब्जा सौंपा गया है और न ही उसकी सुनवाई हो रही है।

हमने मार्गदर्शन मांगा है
हाईकोर्ट के आदेशों की एक पखवाडे तक पालना नहीं होने को लेकर जब पंचायत समिति पिंडवाडा के विकास अधिकारी मनदीपसिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि हमने विभाग से मार्गदर्शन मांगा है, हम अपील में जा सकते है।  

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