उदयपुर, राजस्थान: उदयपुर के ग्रामीण इलाकों में तेंदुए के लगातार हमलों ने लोगों के बीच गहरी दहशत फैला दी है। तेंदुआ अब तक कई बार हमला कर चुका है, जिसके चलते ग्रामीणों की जिंदगी में डर और खौफ का माहौल बन गया है।
उदयपुर के गोगुंदा में गुरुवार शाम एक मां और बेटे पर लेपर्ड ने हमला कर दिया। दोनों ने फौरन भागकर जान बचाई। इतने में लेपर्ड भी भाग गया। सरकारी नाकामी से गुस्साए लोगों ने वन विभाग के कर्मचारियों पर पत्थर बरसाए।
इन कार्मिकों ने सरकारी स्कूल में बंद होकर जान बचाई। हैदराबाद से आए शूटर शाफत अली खान के साथ ही राजस्थान के 12 अन्य शूटर, सेना के जवान और वनकर्मी जंगल में लेपर्ड को तलाश रहे हैं।
इससे पहले, गोगुंदा में हमला करने आए लेपर्ड पर कॉन्स्टेबल ने फायर किया। हालांकि लेपर्ड बच गया और भाग गया। तेंदुए ने एक ग्रामीण पर भी हमला करने की कोशिश की। गनीमत रही ग्रामीण बच गया।
गोगुंदा थाना प्रभारी शैतान सिंह नाथावत ने बताया- दो रात से पुलिस, वन विभाग की टीम के साथ सर्च अभियान में जुटी है। इस लेपर्ड ने बुधवार रात 10 बजे कॉन्स्टेबल प्रदीप चौधरी पर हमले की कोशिश की।
कॉन्स्टेबल ने लेपर्ड पर दो राउंड फायर किया। आज सुबह 11 बजे मोडी ग्राम पंचायत के काकण का गुड़ा गांव में मोहनलाल पर लेपर्ड ने हमले की कोशिश की। ग्रामीण के पास लाठी थी, जिसे घुमाते हुए वह चिल्लाया। इतने में लेपर्ड भाग गया।
इधर, उदयपुर में आदमखोर लेपर्ड को मारने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है।
तेंदुए के हमले से ग्रामीणों में डर और गुस्सा
तेंदुए ने हाल के हफ्तों में कई बार हमला किया है, जिससे खेतों में काम कर रहे ग्रामीणों और उनके पशुधन को निशाना बनाया गया है। इन हमलों की वजह से गांवों में डर का माहौल बन गया है। लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने और जरूरी कामों के लिए भी घर से बाहर निकलने से हिचक रहे हैं।
नाराज ग्रामीणों ने गुस्से में आकर विरोध प्रदर्शन किया और वन विभाग के अधिकारियों पर पत्थर फेंके। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग इस समस्या का समाधान करने में असफल रहा है और उनकी सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
वन विभाग की कोशिशें और संघर्ष
वन विभाग, वन्यजीव विशेषज्ञ और पुलिस की संयुक्त टीम तेंदुए को पकड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने जाल बिछाने, ट्रैंक्विलाइज़र का उपयोग करने और शार्पशूटर तैनात करने जैसे कई उपाय किए हैं। इसके बावजूद, तेंदुआ अब तक पकड़ में नहीं आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि तेंदुए ने मानव मांस का स्वाद चख लिया है, जिसके कारण उसके हमले और खतरनाक हो गए हैं।
सरकारी प्रतिक्रिया और असफलताएं
राज्य सरकार पर तेंदुए को पकड़ने का दबाव लगातार बढ़ रहा है। हालांकि कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन वे अभी तक सफल नहीं हो पाए हैं। स्थानीय लोग सरकार की धीमी प्रतिक्रिया से नाराज हैं और इसे इस संकट को गंभीरता से न लेने का आरोप लगा रहे हैं।
ग्रामीणों की जिंदगी पर असर
तेंदुए के हमलों से सिर्फ जान का नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि हजारों लोगों का दैनिक जीवन भी प्रभावित हुआ है। किसान अपने खेतों में जाने से डर रहे हैं, और बच्चों की पढ़ाई भी बाधित हो रही है। इस घटना ने मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष और साथ रहने की चुनौतियों को फिर से उजागर किया है।