नए जिलों का सियासी दांव: क्या गहलोत सरकार के लिए 'तुरुप का पत्ता' साबित होगा नए जिलों का गठन

क्या गहलोत सरकार के लिए 'तुरुप का पत्ता' साबित होगा नए जिलों का गठन
Ashok Gehlot
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खैर! ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि कुर्सी की इस सियासी जंग में कौन बाजी मार पाता है, लेकिन अभी तो गहलोत सरकार ने अपना बड़ा दांव खेल ही दिया।

जयपुर | मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को राजधानी जयपुर से 19 नए जिलों और 3 संभागों का वैदिक विधि-विधान और सर्व धर्म के अनुष्ठानों के साथ उद्घाटन कर दिया है। 

जिसके बाद राजस्थान में अब 33 से बढ़कर 50 जिले हो गए हैं। इसी तरह से 7 से बढ़कर 10 संभाग हो गए हैं। 

राजस्थान में इस साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को देखते हुए ये सीएम गहलोत का बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। 

वैसे तो सीएम गहलोत हर जनसभाओं में कांग्रेस सरकार रिपीट होने का दांवा करते आ रहे हैं। 

लेकिन चुनावों से ठीक पहले 19 नए जिलों का गठन भी कांग्रेस सरकार के लिए तुरूप का पत्ता साबित होता दिख रहा है। 

जिलों के जरिए कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश

सियासी गलियारों में चर्चा है कि सीएम गहलोत ने चुनावी साल में नए जिले बनाकर सियासी नरेटिव बदलने का प्रयास किया है।

क्योंकि प्रदेश में नए जिले बनाने के लिए पिछले कई सालों से लगातार मांग उठ रही थी। 

ब्यावर, कोटपूतली-बहरोड़, नीम का थाना, बालोतरा, डीडवाना-कुचामन, फलोदी समेत कई जिले तो ऐसे भी हैं, जिनके लिए पिछले चार दशक से मांग चल आ रही थी। 

ऐसे में इन जिलों की जनता का दिल जीतकर सीएम गहलोत ने चुनावों से पहले कांग्रेस के पक्ष में सियासी माहौल बनाने का काम किया है। 

भाजपा का आरोप- अपने विधायकों को खुश करने के लिए नए जिलों का गठन

वहीं दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी ने सीएम गहलोत के नए जिलों के निर्माण पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 

भाजपा का आरोप है कि सीएम गहलोत ने नए जिलों का निर्माण क्षेत्र की जनता के लिए नहीं बल्कि अपने विधायकों को खुश करने के लिए किया है। 

नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत सरकार के इस कदम पर निशाना साधते हुए कहा है कि राज्य सरकार ने बिना किसी तैयारी और बजट के जनता के साथ छलावा करते हुए अपने विधायकों को खुश करने के लिए नए जिलों का गठन किया है।

राठौड़ ने कहा कि आगामी 3-4 महीनों में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में चुनाव प्रक्रिया कैसे संपन्न होगी।

जिला निर्वाचन अधिकारी कौन रहेंगे। इसके बारे में सरकार की कोई तैयारी नहीं दिख रही है। 

आम लोगों के सर्वाधिक काम वाले 29 विभाग कैसे नए जिलों में कार्यभार संभालेंगे। इसकी भी सरकार ने कोई रूपरेखा नहीं दी है। 

नए जिलों में ओएसडी अब होंगे कलेक्टर और एसपी

वहीं इधर, गहलोत सरकार ने नए जिलों में पहले ही आईएएस और आईपीएस अफसरों को ओसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) नियुक्त कर दिया था। 

ऐसे में अब नए जिलों का नोटिफिकेशन जारी होते ही इन सबका  पद कलेक्टर और एसपी का हो गया है। 

फिलहाल नए जिलों में कलेक्टर, एसपी और जिला लेवल के ऑफिस अस्थायी रूप से बनाए गए हैं। समय के साथ इनका का पुनर्निर्माण कर दिया जाएगा। 

खैर! ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि कुर्सी की इस सियासी जंग में कौन बाजी मार पाता है, लेकिन अभी तो गहलोत सरकार ने अपना बड़ा दांव खेल ही दिया।

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