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राजस्थान में सरकार के लाख प्रयत्नों के बावजूद बाल विवाह पर अभी तक पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकी है। जब भी शादियों का सीजन आता है कहीं न कहीं बाल विवाह की शहनाई भी बज ही जाती है।
जयपुर | पढ़ने और खेलने कूदने की नाबालिग उम्र में ही लड़के-लड़कियों को शादी के बंधन में बांधने वालों अब सावधान हो जाओ।
अगर अब किसी भी तरह से बाल-विवाह को अंजाम दिया गया तो दूल्हा-दुल्हन के परिवार पर तो गाज गिरेगी ही साथ ही शादी में को संपन्न कराने वालों की भी खैर नहीं।
राजस्थान में सरकार के लाख प्रयत्नों के बावजूद बाल विवाह पर अभी तक पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकी है।
जब भी शादियों का सीजन आता है कहीं न कहीं बाल विवाह की शहनाई भी बज ही जाती है।
ऐसे में प्रदेश के धोलपुर जिला प्रशासन ने इस कुप्रथा को रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है।
इस संबंध में जिला कलक्टर की ओर से आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
जिसमें बाल विवाह रोकने को सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए प्रिंटिंग प्रेस, बैंडवादक, पंडित सहित सभी लोगों से सहयोग की अपील की है।
बाल विवाह पर अंकुश लगाने के लिए जिला प्रशासन ने लड़के और लड़की के परिवार की ओर से छपाए जाने वाले निमंत्रण पत्र यानि शादी के कार्ड पर दूल्हा-दुल्हन की जन्म तारीख भी छपवाने के निर्देश दिए हैं।
इस संबंध में धौलपुर जिला कलक्टर अनिल कुमार ने सभी से अपील की है कि बाल विवाह रोकने में सभी लोग साथ दें। जागरुकता से ही बाल विवाह रोके जा सकते हैं।
प्रिंटिंग प्रेस को छापनी होगी वर-वधू की जन्म तिथि
बाल विवाह पर अंकुश लगाने के लिए धौलपुर जिला प्रशासन की ओर से की गई इस पहल के अनुसार, जिले में सभी प्रिंटिंग प्रेस वालों को शादी का निमंत्रण पत्र (शादी कार्ड) प्रिंट करने से पहले वर-वधु की उम्र के प्रमाणित दस्तावेज लेने होंगे और शादी के कार्ड पर अनिवार्य रूप से वर-वधू की जन्म तिथि छापनी होगी।
गृह विभाग के आदेश के अनुसरण में जिले के कलक्टर अनिल अग्रवाल ने सभी उपखंड अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं जिसके बाद इस संबंध में सभी प्रिंटिंग प्रेस को आदेश जारी कर दिए गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में 2019-21 के मध्य 25.4% महिलाओं का बाल विवाह हुआ यानी विवाह के समय उनकी उम्र 18 साल से कम थी।
शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति ज्यादा खराब है। शहरी क्षेत्रों में यह 15.1% और ग्रामीण क्षेत्रों में 28.3% तक रहा।
निर्देशों की अवहेलना पर इन पर आ सकता है संकट
अगर अब जिले में प्रशासन की ओर से जारी किए गए इन निर्देशों की अवहेलना की जाती है तो प्रिंटिंग प्रेस के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
कब होते हैं ज्यादा बाल विवाह?
राजस्थान में अधिकतर बाल विवाह ग्रामीण इलाकों में होते हैं। कैलेंडर वर्ष में जब भी कोई अबूझ सावा निकलता है उस समय बाल विवाह की भरमार हो जाती है।
इन अबूझ सावों में फुलेरा दौज, आखातीज, गणेश चतुर्थी, पीपल पूर्णिमा जैसी तिथियां काफी मानी जाती रही हैं।
क्या है सजा का प्रावधान?
बाल विवाह के खिलाफ वर्तमान में लागू बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के मुताबिक, बाल विवा संपन्न कराने वाले पंडित या मौलवी, परिवारजन, बैंडवादक, मैरिज होम, कैटरिंग, बाराती और घराती आदि सभी को 2 साल तक की सजा और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान हैं।