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राजस्थान में इसी साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में राजस्थान सरकार आगामी चुनावों को देखते हुए जनसंख्या नियंत्रण के लिए लगाए गए प्रतिबंध को हटाने में लगी है।
जयपुर | जहां देश की सरकार जनसंख्या नियंत्रण का संदेश दे रही है, वहीं राजस्थान सरकार आगामी चुनावों को देखते हुए जनसंख्या नियंत्रण के लिए लगाए गए प्रतिबंध को हटाने में लगी है।
राजस्थान में इसी साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव 2023 होने जा रहे हैं।
ऐसे में राज्य की गहलोत सरकार ने प्रदेश में राजकीय सेवाओं में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को साधने के लिए नया फंडा अपनाया है।
गहलोत सरकार ने राज्य में दो से ज्यादा संतान होने पर लगाई जाने वाली रोक को समाप्त कर दिया है।
जी हां, चुनावी साल में सरकार ने राज्य की 125 सेवाओं के तहत कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों को लुभाने के लिए ये बड़ा कदम उठाया है।
अब किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के दो से ज्यादा संतान होने पर भी न तो उसकी पदोन्नति रोकी जाएगी और न ही उसकी वेतन बढ़ोतरी।
ऐसे में दो से अधिक संतान वाले कार्मिकों को पदोन्नति के साथ वेतन वृद्धि का पूरा लाभ मिलेगा। वेतन बढ़ोतरी का वास्तविक लाभ 3 वर्ष बाद मिलेगा।
इनकों नहीं माना जाएगा तीसरी संतान
इस संबंध में कार्मिक विभाग ने अधिसूचना जारी की है। राज्य सरकार की ओर से जारी की गई इस अधिसूचना में साफ कहा गया है कि अगर किसी को जुड़वा बच्चे हैं या किसी तरह की विकलांगता से पीडित है और कानूनन दूसरी शादी के बाद हुई संतान को तीसरी संतान नहीं माना जाएगा।
2019 से ही मिलेगा लाभ
राजस्थान सरकार की नई अधिसूचना के अनुसार, इस तरह के मामलों में जिन कार्मिकों की पदोन्नति 2019-20 लंबित है उन्हें उसी वर्ष से पदोन्नति का लाभ मिलेगा।
वहीं जिन कार्मिक की पदोन्नति 2023-24 में लंबित है उनको इसी वर्ष से पदोन्नति का फायदा मिल सकेगा।
क्या कहता है नियम?
राज्य में 1 जून 2002 से लागू नियमानुसार तीसरी संतान होने पर संबंधित कार्मिक की 3 वर्ष तक पदोन्नति और वेतन वृद्धि रोकी जा सकती है।
ऐसे में इस मामले को लेकर राज्य के कई कर्मचारी संगठन लंबे समय से विरोध करते आ रहे थे। मुख्यमंत्री के सामने इस प्रतिबंध को हटाने की मांग भी की गई थी।